14 जुलाई 2008

परमाणु समझौते की गर्मी

हवाओं में गर्माहट सी दिख रही है. आप कहेंगे कि पानी बरसने के बाद भी गर्माहट?....................जी जनाब, ये देश ही ऐसा है, यहाँ किसी भी मौसम में किसी भी समय गरमी आ सकती है. इस समय गरमी न्यूक्लियर डील की है..............हालाँकि अभी समझौता नहीं हुआ है पर गर्मी आ गई है. लेफ्ट ने राइट करने की गरज से अपना समर्थन बापस लिया था. सोचा होगा कि इस बार तो केन्द्र की सरकार घुटने टेक देगी पर ऐसा कुछ हुआ नहीं. इधर-उधर की जुगाड़ से सरकार समर्थन की बात करने लगी. लेफ्ट को लगा कि अब वे राइट होने वाले हैं. इस बीच नै गर्माहट आई कि उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री कुछ न कर गुजरें, सी बी आई टाईप का नया कारनामा शुरू होने को है.............(ऐसा समाचार पत्रों की ख़बर है)
गर्माहट इसी कारण से बढ़ी है, अब जहाँ देखो वहां लोग चर्चा में मगन हैं। पान की दूकान हो (ब्लॉग वाली पान की दूकान नहीं) या किसी दफ्तर का हॉल, पढ़ा-लिखा अधिकारी हो या घर की काम बाली बाई, कॉलेज हो या सिनेमा हॉल, रेस्टोरेंट हो या खेल का मैदान सब जगह बस परमाणु डील. हँसी तो तब आती है कि जिसे परमाणु का ककहरा भी नहीं पता वो भी इस पर चर्चा कर रहा है. अब क्या कहा जाए? क्या हमारी राजनीतिक समझ इतनी गहरी हो चुकी है कि इन राजनेताओं को समझना आसान हो गया है. क्योंकि हमारा अपना विचार है कि इन नेताओं को समझने में ख़ुद ब्रह्मा भी परेशां होंगे. आज क्या कहें, कल क्या करें....................अभी क्या कहें, अगले पल क्या कर गुजरें............पता नहीं. खैर हम तो बरसते पानी के मजे ले रहे थे कि लेफ्ट ने गरम हवा चला कर गर्माहट पैदा कर दी. अब ये गरमी तो दो-चार दिन में ही समाप्त होगी, जब समर्थन की बात पक्की हो जाएगी.
तब तक गरमी झेलना पड़ेगी, क्योंकि यदि भारत में रहना होगा, नेता-नेता कहना होगा। कुछ समझे............ये है छीछालेदर रस.

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