14 जून 2008

रोज़ एक कविता, रोज़ एक पाठक

चेन्नई के डॉ०एस० सुब्रहमंयन 'विष्णुप्रिया' हिन्दी भाषा के उन्नायक और विलक्षण प्रचारक के रूप में कार्य कर रहे हैं। "हिन्दी ह्रदय" नामक संस्था के संचालक 'विष्णुप्रिया' जी जनवरी 2004 से नित्य एक कविता हिन्दी में लिखते हैं और एक नए पाठक को सुनाते हैं। "रोज़ एक कविता, रोज़ एक पाठक" नाम से चलाये जा रहे विष्णुप्रिया जी के इस अभियान में हिन्दी कविता प्रतिदिन पाठक को सुनाये जाने के साथ-साथ डाक से नित्य नए सदस्य को भेजी भी जाती है। इसके अतिरिक्त इसका अंग्रेजी अनुवाद कर चेन्नई के गैर-हिन्दी भाषी साहित्यकारों को भेजा जाता है।
विष्णुप्रिया जी को इस काम की प्रेरणा ब्राजील की राजधानी रियो-डी-जिनेरो में पुर्तगाली भाषा के प्रचार में लगे हसबेन सेन जोस के अभियान से मिली। जोस ने भाषा प्रचारक के रूप में सन् 1906 में रोज एक कविता पुर्तगाली भाषा में लिख कर जनता के बीच बांटना प्रारम्भ किया। धीरे-धीरे इस अभियान का इतना प्रभाव हुआ कि दक्षिणी अमेरिका के देशों की स्पैनिश राजभाषा से इतर एकमात्र दक्षिणी अमेरिका देश ब्राजील की राष्ट्रभाषा पुर्तगाली है। इस बात से प्रेरित होकर चेन्नई के विष्णुप्रिया जी हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनने के लिए इस अभियान को चलाने में लगे हैं।
रोज एक कविता लिखने के पीछे विष्णुप्रिया जी का किसी तरह का स्वार्थ नहीं है न ही वे साहित्य-इतिहास में किसी तरह से अपना नाम चाह रहे हैं। हिन्दी भाषा के उन्नयन को लेकर उनका जूनून प्रशंसनीय है।

1 टिप्पणी: