भेजा है बुलावा तूने शेरा वालिये,
माँ के दरवार में सब मिल कर गाओ रे,
तुने मुझे बुलाया शेरा वालिये, मैं आया, मैं आया शेरा वालिये,
प्रेम से बोलो जय माता की, सारे बोलो जय माता की,
न……न……न……. हैरान न होइए, अभी माता का कोई व्रत या अनुष्ठान नहीं आया है, ये जयकार या गीत बता रहे हैं कि किस तरह लोग गाते-बजाते माँ के दरवार में जाया करते हैं.
इधर एक ख़बर आई है कि अब माँ के दरवार में दर्शन के लिए अपनी-अपनी अंटी ढीली करनी होगी. बोर्ड ने फ़ैसला किया है कि अब माँ के दर्शन के लिए जो पैसे को देगा उसको दर्शन जल्दी सुलभ होंगे. आख़िर माँ के नाम का व्यापर वे लोग भी कर रहे हैं, अब जाकर माँ ने उनकी बुद्धि खोली है कि पैसे लो और दर्शन करवाओ.
धर्म के नाम पर सारे देश में तमाशा चल रहा है फ़िर बोर्ड वाले करने लगे फ़िर हो-हल्ला क्यों? भगवन का नाम लेकर बड़े-बड़े कामों को एक झटके में करा दिया जाता है, दूसरी तरफ़ धनवान लोगों ने हर जगह अपनी सत्ता स्थापित की है, ऐसे में देवता रह जाए ये उनको गवारा नहीं. समाज का कोई भी क्षेत्र हो हर जगह पैसे का, पैसे वालों का बोलबाला है. लोगों को लगता था कि अभी भगवन का स्थान ऐसा है जहाँ पर अमीर-गरीब का फर्क नहीं है, पर विगत कुछ समय की स्थितियों ने दर्शाया है कि भगवन के दर्शनों पर भी अमीरों का पहरा है. चाहे अमिताभ का दर्शन करना रहा हो, अमर सिंह का दर्शन करना हो, अनिल-मुकेश अम्बानी का दर्शन करना हो या फ़िर अन्य राजनेताओं-फिल्मी हस्तियों का दर्शन करना रहा हो सब धन की आभा में सिमट कर रह गया.
चलो अब एक बात साफ हो गई कि कोई कहे कुछ भी पर भगवन के ठेकेदारों ने भगवन को भी कब्जे में कर लिया है. यही सारी स्थितियां आस्था पर भी चोट करती दिखाई देती हैं. माँ के प्रताप का फल उठाने के लिए अमीर-गरीब वैष्णो देवी पहुचता है पर पैसे के चक्कर में कतार में ही लगा रहता है इससे उसके अन्दर कितनी आस्था रहेगी, कितनी निराशा रहेगे ये वो ख़ुद ही बता नहीं सकता.
यहाँ बस एक बात ही याद आती है कि मन चंगा कठौती में गंगा।
माँ के दरवार में सब मिल कर गाओ रे,
तुने मुझे बुलाया शेरा वालिये, मैं आया, मैं आया शेरा वालिये,
प्रेम से बोलो जय माता की, सारे बोलो जय माता की,
न……न……न……. हैरान न होइए, अभी माता का कोई व्रत या अनुष्ठान नहीं आया है, ये जयकार या गीत बता रहे हैं कि किस तरह लोग गाते-बजाते माँ के दरवार में जाया करते हैं.
इधर एक ख़बर आई है कि अब माँ के दरवार में दर्शन के लिए अपनी-अपनी अंटी ढीली करनी होगी. बोर्ड ने फ़ैसला किया है कि अब माँ के दर्शन के लिए जो पैसे को देगा उसको दर्शन जल्दी सुलभ होंगे. आख़िर माँ के नाम का व्यापर वे लोग भी कर रहे हैं, अब जाकर माँ ने उनकी बुद्धि खोली है कि पैसे लो और दर्शन करवाओ.
धर्म के नाम पर सारे देश में तमाशा चल रहा है फ़िर बोर्ड वाले करने लगे फ़िर हो-हल्ला क्यों? भगवन का नाम लेकर बड़े-बड़े कामों को एक झटके में करा दिया जाता है, दूसरी तरफ़ धनवान लोगों ने हर जगह अपनी सत्ता स्थापित की है, ऐसे में देवता रह जाए ये उनको गवारा नहीं. समाज का कोई भी क्षेत्र हो हर जगह पैसे का, पैसे वालों का बोलबाला है. लोगों को लगता था कि अभी भगवन का स्थान ऐसा है जहाँ पर अमीर-गरीब का फर्क नहीं है, पर विगत कुछ समय की स्थितियों ने दर्शाया है कि भगवन के दर्शनों पर भी अमीरों का पहरा है. चाहे अमिताभ का दर्शन करना रहा हो, अमर सिंह का दर्शन करना हो, अनिल-मुकेश अम्बानी का दर्शन करना हो या फ़िर अन्य राजनेताओं-फिल्मी हस्तियों का दर्शन करना रहा हो सब धन की आभा में सिमट कर रह गया.
चलो अब एक बात साफ हो गई कि कोई कहे कुछ भी पर भगवन के ठेकेदारों ने भगवन को भी कब्जे में कर लिया है. यही सारी स्थितियां आस्था पर भी चोट करती दिखाई देती हैं. माँ के प्रताप का फल उठाने के लिए अमीर-गरीब वैष्णो देवी पहुचता है पर पैसे के चक्कर में कतार में ही लगा रहता है इससे उसके अन्दर कितनी आस्था रहेगी, कितनी निराशा रहेगे ये वो ख़ुद ही बता नहीं सकता.
यहाँ बस एक बात ही याद आती है कि मन चंगा कठौती में गंगा।
sahi hai..
जवाब देंहटाएंtirupati me to barso se ye hota aa raha hai.. jitne paise do, utne aaram se bhagavaan ka darshan karo..
सुनने में आया है कि आजकल हेलीकाफ्टर सर्विस भी हो गई है और उनको दर्शन भी अलग से दिलवाये जाते हैं.
जवाब देंहटाएंआम जनता तो हर जगह पिस रही है तो यहा~ण भी सही, क्या करियेगा.