02 जून 2008

मीडिया की उठा-पटक

आज बैठे-बैठे टी०-वी० पर निगाह मारी कि चलो समाचार ही देखे जायें। इधर मैं टी-वी देखने से बचता भी हूँ, खास तौर से समाचारों से और सास-बहु जैसे सीरियलों से। दोनों एक जैसे ही हो गए हैं। जैसे सीरियल वालों के पास स्टोरी नहीं है दिखाने को, ठीक उसी तरह समाचार चैनलों के पास समाचार नहीं हैं बताने को। घुमा फिर कर एक ही सवाल, बार-बार एक ही तरह के समाचार। इधर कुछ दिनों से तो हद तब हो गई जबकि ख़ुद को न्यूज़ चैनल बताने वाले या तो रामायण, महाभारत काल की खोज में लग गए या फ़िर बताने लगे कि हनुमान कौन सी भाषा बोलते थे।

न्यूज़ दिखाने के नाम पर कभी धरती पर खतरे को दिखाया जाता तो कभी कलियुग के अवतार 'कल्कि' के अवतरित होने की स्टोरी दिखाई जाती। यदि इन सब से न्यूज़ चैनल की टी आर पी नही बढती तो खाली के नाम पर कई-कई घंटे बर्बाद कर दिए जाते। एक-दो नहीं तमाम सारी घटनाएँ हैं जो दिखा रहीं हैं कि मिशन के नाम पर शुरू हुई पत्रकारिता ने अपना क्या हाल कर लिया है। हद तो तब हो जाती है जब ब्रेकिंग न्यूज़ के चक्कर में गुड-गोबर कर दिया जाता है।

फिलहाल इन सब में किसी तरह का बदलाव आता नहीं दिख रहा है क्यों कि टी आर पी के चक्कर में ये मीडिया वाले न तो राष्ट्र हित देखते हैं न ही परिस्थिति। देखा जाए तो इधर न्यूज़ से आम आदमी उसी तरह गायब होता जा रहा है जैसे कि हिन्दी फिल्मों से आम आदमी गायब हो रहा है। बुन्देलखण्ड में सूखे से हजारों लोग बेघर हुए पर मीडिया ने अपने लाभ भर के लिए स्टोरी दिखाई जबकि बिना बुलाये अमिताभ बच्चन के घर के सामने दिन-रात खड़े रहे, मानो किसी देव-पुरूष का अवतरण होने वाला हो। वैसे मेरा पूरा विश्वास है कि यदि कभी धोखे से भी इस भारत-भूमि पर देव-पुरूष का अवतरण होगा तो शायद मीडिया वाले उसको तवज्जो नहीं देंगे क्योंकि उससे ज्यादा विज्ञापन एवं टी आर पी तो फिल्मी सितारे ही दिला देंगे।

हाँ तो बात हो रही थी आम आदमी के गायब होते जाने की, आम आदमी की फिक्र है किसे? राजनेताओं के सामने समस्या है किसी भी तरह कुर्सी पाने की। पहले कुर्सी मिले तब आम आदमी की तरफ़ देखा जाए। इसी तरह मीडिया को सेलिब्रिटी से फुरसत मिले तो वो आम आदमी की तरफ़ देखे। फिल्मी सितारों का मन्दिर जाना हो या कहीं विदेश जाना हो सब कुछ खबर बनता है। किसी की मौत हो जाए या किसी से बलात्कार हो मीडिया को चटपटी ख़बर बना कर दिखाना है। इन सबको देख कर लगता है कि हम लोग मानवीयता की सीमा रेखा से कहीं ऊपर जा चुके हैं, संवेदनाओं के धरातल से कहीं दूर निकल चुके हैं तभी तो हमें किसे की चीख परेशां नहीं करती, किसी के आंसू रुलाते नहीं, किसे भूखे की ख़बर से टी आर पी नहीं बनती।

इसी मीडिया की उठा-पटक में एक ख़बर आपको देते चलें कि शिल्पा शेट्टी भी अपना ब्लॉग बना चुकी हैं। ख़बर मीडिया से मिली, क्या आपके ब्लॉग बनाने की ख़बर किसी को हुई थी? या किसी अन्य के ब्लॉग बनाने की ख़बर मीडिया से आपको लगी थी? नहीं न, हमारे ब्लॉग बनाने की ख़बर भी किसी को नहीं हुई, सिवाय हमारे। हाय मीडिया! हमारे ब्लॉग बनाने की भी ख़बर हमारे ब्लॉग-मित्रों को कर देते।

2 टिप्‍पणियां:

  1. वाकई मजाक बन कर रह गये हैं यह चैनल.

    आज सुबह आजतक के द्वारा एनाऊन्समेण्ट चल रही थी. ठीक ४ बजे ऊड़न तश्तरी दिखाई जायेगी. हम बड़े खुश, मगर वो तो सही वाली ऊड़न तश्तरी पर बात करने लगे. हमारा जिक्र ही गायब. :(

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