13 नवंबर 2025

निष्क्रिय कार्यव्यवस्था

निचले स्तर से लेकर उच्च स्तर तक के प्रशासनिक ढाँचे की, अधिकारियों की, कर्मचारियों की निष्क्रिय कार्यप्रणाली निराशा पैदा करने लगी है. पिछले दो-तीन साल में व्यक्तिगत समस्याओं के साथ-साथ अन्य लोगों की परेशानियों के सम्बन्ध में की गई अनेक शिकायतों में नकारात्मकता ही हाथ लगी. इस तरह की स्थिति से भ्रष्ट, लापरवाह, पक्षपाती कार्य-संस्कृति को, कार्य-प्रणाली को, आचरण को, व्यक्तियों को बेलगाम होने का अवसर मिलता है. ऐसे में तमाम सारी विसंगतियों की, अव्यवस्थाओं की, भ्रष्टाचार की, निरंकुशता की शिकायत करना समय, श्रम, धन, क्षमता आदि का अपव्यय लगता है.

 

बावजूद इसके शांत होकर तो बैठा नहीं जा सकता है, विसंगतियों को सहन भी नहीं किया जा सकता है, भ्रष्ट कार्य-संस्कृति को अनदेखा नहीं किया जा सकता है. सवाल ख़ुद से ही पूछते हैं कि क्या कभी ये दशा सुधरेगी? क्या कभी पारदर्शी व्यवस्था बनेगी? क्या समूचे तंत्र में दायित्व बोध जागेगा? क्या जनमानस की समस्याओं के प्रति संवेदनात्मक वातावरण बनेगा?

 

ऐसे अनेक प्रश्नों के साथ संघर्ष चलता रहेगा! चलता ही रहेगा!!





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