समय के साथ-साथ
हिन्दी भाषा अपना विस्तार करती जा रही है. अपने देश में भले ही हिन्दी को लेकर विवाद
जैसी स्थिति रहती हो मगर वैश्विक स्तर पर हिन्दी लगातार विकास कर रही है. वर्तमान
डिजिटल युग में अनेकानेक स्थितियाँ ऐसी हैं, जिनके सन्दर्भ में भाषाई स्तर को, उसके महत्त्व को नकारा नहीं
जा सकता है. इसी में हिन्दी भाषा ने भी अपने स्वरूप को बढ़ाया है.
डिजिटल युग में
हिन्दी की प्रासंगिकता को लेकर किसी भी तरह के भ्रम की स्थिति नहीं है. तकनीक का भाषाई
विकास में प्रमुख योगदान है. इंटरनेट, सोशल मीडिया, ई-कॉमर्स और ऑनलाइन
माध्यम से शिक्षा ने हिन्दी के उपयोग को बढ़ाया है. तकनीक के विस्तार के चलते ही
अनेक सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म आज समाज में प्रचलित हैं. फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सएप आदि माध्यमों में आज हिन्दी भाषा
में पर्याप्त सामग्री मिल रही है. रील्स के द्वारा हो या फिर वीडियो के द्वारा, लिखित सामग्री हो या फिर कोई चित्र
सभी में बहुतायत में हिन्दी भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है. बहुसंख्यक लोग भी
अन्य भारतीय भाषाओं के साथ-साथ हिन्दी में संवाद करना पसंद कर रहे हैं.
इसके अलावा अनेक
कम्पनियाँ ऐसी हैं जिनका व्यापार, कारोबार डिजिटल रूप में होता है. बहुत सारे नागरिक,
युवा आज डिजिटल माध्यम से खरीददारी करने में अधिक विश्वास करते हैं. इनके लिए भी
ऑनलाइन व्यापार करने वाली कम्पनियों ने हिन्दी माध्यम को भी अपना रखा है. अमेज़न,
फ्लिपकार्ट जैसी कम्पनियों द्वारा
अपने इंटरफेस को हिन्दी में उपलब्ध कराया जा रहा है. यह बभी हिन्दी के विस्तार को
दर्शाता है. ऐसा होने के कारण इन कम्पनियों से जुड़ने वाले लोग शहरी क्षेत्रों के
साथ-साथ ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों से भी हैं.
देखा जाये तो हिन्दी
अब केवल भाषा नहीं, केवल
बोलचाल का माध्यम नहीं बल्कि वह सांस्कृतिक आधार का निर्माण कर रही है, आर्थिक और तकनीकी क्षेत्र में भी एक सशक्त माध्यम बनकर स्थापित हो चुकी
है.
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