27 अप्रैल 2025

नफरत फ़ैलाने वाले भी तुम

अनुभव कीजिए कि क्या पहलगाम हत्याकांड के ठीक पहले मिनट तक किसी ने पोस्ट किया कि पहलगाम के मुसलमानों की सेवा न ली जाए?


दो चार मुसलमानों की तात्कालिक सहायता के वशीभूत क्या ये भुला दिया जाएगा कि उन आतंकियों ने ही हिन्दू, मुस्लिम की पहचान करने के बाद ही गोली मारी?


पर्यटकों को घुमाने और अन्य सेवायें देने वाले स्थानीय मुसलमान जो अब सीना ठोंक कर सहायता करने का झंडा गाड़ रहे, उस समय मिलकर आतंकियों का मुक़ाबला करने का दम क्यों न दिखा पाए?


हिन्दू मुस्लिम उन आतंकियों ने शुरू किया था, उसका विरोध बंद हो गया, क्यों?


इस घटना ने आतंकियों को अब नया ढंग दे दिया है हत्याएं करने का. अब वे विशुद्ध काफिरों को ही मार सकेंगे. अपने मजहबियों की हत्या करने का दोष अब उनके सिर नहीं आयेगा.


इस घटना के दौरान या बाद में सम्भव है कि स्थानीय लोगों में सहायता की होगी पर क्या मात्र इसी कारण से भुला दिया जाए कि जो लोग मारे गए, उनको मुसलमान न होने के कारण मारा गया?


फिर हिन्दू मुसलमान कौन कर रहा?


आँखें खोलिए और सजग, सचेत, सुरक्षित रहिए. ज़्यादा भावनाओं में बहने से पहले आतंकवाद का इतिहास देख लें, कट्टरपंथियों की मानसिकता देख लें. यहाँ वक़्फ़ के ख़िलाफ़ बोलने पर शहर भर आग में जलने लगता है. एक पोस्ट लगाने पर दर्जी का गला काट दिया जाता है. क्रिकेट के विवाद में मुहल्ले भर में मारा-काटी मचा दी जाती है.


और आप सब कहते हो कि नफ़रत हम फैलाते हैं. सच को पहचानो और उसे सामने लाने की कुव्वत रखो.


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