'शांतिदूत'
शब्द का प्रयोग करना बंद करो.
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यदि खुलकर मुस्लिम
समुदाय के हमलावरों, आतातायी
लोगों, उत्पात मचाते युवकों के खिलाफ हत्यारे, बवाली, हिंसक शब्द का प्रयोग नहीं कर सकते तो कुछ न लिखो....
चुपचाप रहो.... मगर 'शांतिदूत' लिखकर उनको
भविष्य के लिए वाकई शांतिदूत माने जाने का रास्ता न बनाओ.
वर्तमान इंटरनेट युग
में इस शब्द के द्वारा सम्पूर्ण विश्व में एक सन्देश जायेगा वहीं भविष्य में इसी एक
शब्द के द्वारा इन वर्तमान मुस्लिम आक्रान्ताओं को, हमलावरों को वास्तविक रूप में शांतिदूत माना-स्वीकारा जाने लगेगा.
क्या पता तब आज की
तरह से फिल्मों के द्वारा सच दिखाने वाले लोग जिंदा भी मिलें या नहीं?
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