11 अप्रैल 2024

उम्मीदों की प्याली : एक अभिनव प्रयोग

पिछले दिनों 'उम्मीदों की प्याली' का आना हुआ. इसे लेकर मित्रों में, परिचितों में एक उत्सुकता दिखाई दी. प्रकाशन पूर्व जब भी इस बारे में चर्चा हुई तो सभी को यही बताया गया कि इस पुस्तक में एक तरह का प्रयोग किया गया है.



अब प्रकाशन पश्चात् इस प्रयोग से कितने लोग पुस्तक के माध्यम से परिचित हुए, इसकी जानकारी नहीं मगर प्रयोग के बारे में पूछा बहुत लोगों ने. पुस्तक कौन खरीदेगा, कौन नहीं... ये अलग विषय है, यहाँ इस पुस्तक में किये गए प्रयोग के बारे में कुछ शब्द.

कविताओं के रूप में होने के बाद भी इसमें संकलित रचनाओं को कविता नहीं कह सकते. असल में किसी कविता को पढ़ कर, बातचीत के दौरान उभरे पद्य विचार को, दो-चार काव्य-पंक्तियों के प्रत्युत्तर के रूप में उभरी काव्य-पंक्तियों को संकलित करके पुस्तक का रूप दे दिया.



इस प्रयोग के साथ-साथ एक प्रयोग ये भी किया कि इस पुस्तक में संकलित सभी 80 काव्य-रचनाओं को एक-एक स्केच के द्वारा सजाया है.




रचनाकार-द्वय के बीच बातचीत के रूप में उभरी काव्य-रचनाओं को स्केच भी रचनाकार-द्वय के द्वारा मिले हैं.
उम्मीदों की प्याली को आप अपने हाथों में लेकर उसका स्वाद लेंगे तो एहसास और भी सुखद होगा.





'उम्मीदों की प्याली' श्वेतवर्णा प्रकाशन की वेबसाइट www.shwetwarna.com पर उपलब्ध है.



 

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