रूसी राष्ट्रपति
पुतिन ने अपनी ऐतिहासिक और प्रचंड बहुमत वाली जीत के बाद रूस के और अधिक शक्तिशाली
रूप में उभर कर आने का विश्वास व्यक्त किया था. इस दावे के साथ ही उन्होंने
रूस-यूक्रेन युद्ध में नाटो सेनाओं के शामिल होने के अपने विश्वासपरक दावे के
सापेक्ष दुनिया को विश्वयुद्ध से एक कदम दूर बताया था. पुतिन की विश्वयुद्ध की
सम्भावित चेतावनी नाटो सेनाओं, पश्चिमी देशों के लिए थी. इन सबके पीछे रूस की सशक्त सेना, पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था, सजग सुरक्षा एजेंसियों का
होना माना जा रहा था मगर चंद आतंकियों ने रूस के, पुतिन के
इस विश्वास को हिला डाला. चार आतंकियों ने मॉस्को के नज़दीक स्थित क्रोकस कॉन्सर्ट
हॉल में घुसकर सोवियत काल के रॉक बैंड ग्रुप पिकनिक के एक म्यूजिक कॉन्सर्ट के दौरान गोलियों की
बौछार कर दी थी. एके 47 से की गई अंधाधुंध गोलीबारी में सैकड़ों लोगों की जान गई और
घायल हुए.
जहाँ इस हमले की
जिम्मेवारी एक तरफ इस्लामिक स्टेट ख़ोरासान प्रान्त (ISIS-K) ने ली वहीं दूसरी तरफ पुतिन इस आतंकी हमले
को यूक्रेन की साजिश बता रहे हैं. पुतिन के इस संदेह का कारण आतंकियों का यूक्रेनी
सीमा से यूक्रेन में प्रवेश करने की कोशिश करना रहा है. एक तरफ रूसी राष्ट्रपति
इस्लामिक आतंकी संगठन को, यूक्रेन को इसके लिए जिम्मेवार ठहरा रहे हैं, दूसरी
तरफ जैसै-जैसे इस आतंकी हमले की जाँच आगे बड़ रही है वैसे-वैसे चौंकाने वाले खुलासे हो
रहे हैं. इस आतंकी हमले में संलिप्त चारों आतंकियों सहित कुल ग्यारह लोगों को पकड़ने
का दावा रूसी सुरक्षा एजेंसियों ने किया है. इन सभी गिरफ्तार व्यक्तियों का
सम्बन्ध अफगानिस्तान में सक्रिय इस्लामिक स्टेट की खोरासान शाखा से बताया गया है.
इससे इस हमले में तुर्किये का सम्बन्ध होना सामने आया है. रूस की संघीय सुरक्षा एजेंसी
(FSB) ने दावा किया है कि पहले
भी मॉस्को में इसी तरह के दो आतंकी हमले की कोशिशों को नाकाम किया गया है. इस हमले
में तुर्किये कनेक्शन सामने के बाद सवाल खड़ा हो गया है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन को
अपना दोस्त बताने वाले तुर्किये राष्ट्रपति एर्दोगन क्या अब धोखा दे रहे हैं?
रूस में हुए इस
आतंकी हमले में अलग-अलग दृष्टिकोण से अलग-अलग पेंच और सम्बन्ध दिखाई देते हैं. हमले
की जिम्मेवारी सबसे पहले इस्लामिक आतंकी संगठन ने ली थी. रूसी सुरक्षा एजेंसियों
की जाँच से तुर्किये कनेक्शन दिखाई दिया. रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने इस हमले को
यूक्रेन की साजिश बताया. इस संदेह के चलते ही यूक्रेन को पुतिन के गुस्से का
खामियाजा उठाना पड़ा. रूस ने यूक्रेन के बाईस से ज्यादा शहरों में हमले किए. यूक्रेन
के इस हमले में शामिल होने के दावे का असर अमेरिका पर पड़ता दिख रहा है. पुतिन के नजदीकी
विश्वस्त अफसरों को संदेह है कि अमेरिका को इस तरह का आतंकी हमला होने की जानकारी थी लेकिन उसने रूस को इस
बारे में कोई जानकारी नहीं दी. रूसी अधिकारियों द्वारा इस तरह का संदेह उठाये जाने
का एक कारण अमेरिका द्वारा सात मार्च का वह अलर्ट है जिसमें अमेरिकी दूतावास ने अपने
नागरिकों से कहा था कि वे मॉस्को में होने वाली बड़ी सभाओं और कार्यक्रमों से दूर रहें.
इस अलर्ट के बीस दिनों के भीतर ही आतंकी हमला होने का सीधा मतलब यही लगाया जा रहा
है कि अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों के पास आतंकी हमले को लेकर जानकारी थी.
आतंकी हमले के तार
कहाँ-कहाँ, किस-किस से
जुड़े हैं ये तो आने वाले समय में होने वाली जाँच से पता चलता रहेगा मगर अब अंदेशा
रूस के हमलावर होने का है. ऐसा होता नजर आने भी लगा है. सुरक्षा एजेंसियों ने देश
भर में सार्वजनिक कार्यक्रमों को रद्द कर दिया है. सभी जगहों पर सुरक्षा व्यवस्था
को और कड़ा कर दिया है. यूक्रेन पर हमले बढ़ गए हैं, देखा जाये
तो ये बढ़े हुए हमले कहीं का कहीं अमेरिका और नाटो सेनाओं के विरुद्ध क्रोध का
संकेत हैं. दरअसल वर्ष 2002 में चेचन अलगाववादियों द्वारा नॉर्ड-ओस्ट थियेटर में
बंधक बनाये जाने के बाद से यह सबसे बड़ा आतंकी हमला है. उस हमले में एक सौ सत्तर के
आसपास लोग मारे गए थे. रूस अभी तक उस आतंकी हमले को भुला नहीं पाया है. इसके अलावा
इसमें कोई संदेह नहीं कि पुतिन अपने नेतृत्व में रूस से इस्लामिक, कट्टरपंथी आतंकवाद का एक तरह से सफाया कर दिया है. ऐसे में पुतिन की
प्रचंड और ऐतिहासिक बहुमत वाली जीत ने उनके विरोधियों में नाराजगी और निराशा पैदा
कर दी.
यह आतंकी हमला इसी
निराशा और हताशा का परिणाम हो या न हो किन्तु यह हमला पुतिन के विश्वास और
स्वाभिमान पर अवश्य है. इस आतंकी हमले के बाद रूस आक्रामक मुद्रा में है और
अमेरिका द्वारा यूक्रेन को बेगुनाह बताते हुए क्लीन चिट दी जा रही है. विश्व की इन
दो महाशक्तियों द्वारा उठाये जा रहे कदमों, बयानों का अंतिम निष्कर्ष क्या निकलेगा ये तो भविष्य के गर्भ
में छिपा है किन्तु इस आतंकी घटना ने एक तरह का वैश्विक भय अवश्य पैदा कर दिया है.
इस आतंकी हमले ने विश्व की दो महाशक्तियों के बीच खतरनाक संघर्ष के शुरू होने का
बीज बो दिया है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें