31 दिसंबर 2023

वर्ष का दुखद अंत... कष्टकारी आरम्भ

दिसम्बर का अंतिम दिन पूरी तरह से समाप्त भी नहीं हो पाता है कि लोगों के द्वारा नए वर्ष के शुभकामना संदेशों का आना शुरू हो जाता है. इधर जबसे सोशल मीडिया मंचों की बाढ़ आई है, उस पर लोगों का अधिकाधिक समय गुजरना शुरू हुआ है तबसे फोन के द्वारा बधाई, शुभकामना देने का चलन कम से कमतर हो गया है. फोन आने भले कम हो गए हों मगर संदेशों का सैलाब आकर मोबाइल के अन्दर तबाही सी मचा जाता है. फोन के द्वारा और मैसेज के द्वारा बधाई संदेशों के आने में बहुत बड़ा अंतर होता है. इस अंतर का समझ में आना उस समय और भी गहराई से महसूस होता है जबकि यहाँ भी औपचारिक और अनौपचारिक संबंधों जैसी स्थिति बनी हो.




हर हाथ में मोबाइल की स्थिति में और सामाजिक क्षेत्र में सक्रियता की स्थिति ने सभी को एक-दूसरे से जोड़ रखा है. ये और बात है कि इस जुड़ाव को कौन कितना शिद्दत से महसूस कर रहा है.अक्सर ऐसे लोग, जिनसे कि बहुत आत्मीय सम्बन्ध भी नहीं होते हैं वे फोन के द्वारा बातचीत करके खुद को आपका सबसे ख़ास बताने को आतुर रहते हैं. इसी तरह वे लोग जिनको ये एहसास होता है कि आपके जीवन में उनका क्या महत्त्व है वे दो-चार शब्दों के साथ ही अपनी बात को समाप्त करते हुए रिश्तों की गंभीरता को बनाये रखते हैं.


इसी गंभीरता और अगम्भीरता के दर्शन कुछ वर्ष पहले हुए थे जबकि नए साल का स्वागत हम अपने परिजन को विदाई देते हुए कर रहे थे. यह अजब सी असामान्य सी स्थिति थी. एक तरफ रिश्ते की मर्यादा, गंभीरता तो दूसरी तरफ सामाजिकता का निर्वहन. अजब सी असमंजस वाली स्थिति थी. समझ में नहीं आ रहा था कि किस तरह से खुद में समन्वय बनाया जाये. असमय बारिश भरे मौसम में अपने आँसुओं को बारिश की बूँदों के साथ मिलाते-बहते हुए एक तरफ पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा था, दूसरी तरफ औपचारिकता में बंधे रिश्ते के कारण अगले ही पल सामाजिकता का भी निर्वहन करना पड़ रहा था. प्रयागराज की पावन धरती पर श्वसुर साहब की अंतिम यात्रा से लेकर उनके अंतिम संस्कार तक खुद को संयमित रखते हुए परिवार को दिलासा देने का काम भी हो रहा था वहीं दूसरी तरफ नए वर्ष की शुभकामनाओं, बधाइयों को भी सहेजने का काम किया जा रहा था.


समय बहुत कुछ दिखाता है, सिखाता है बशर्ते हम लोग उससे सीखना चाहें. उस वर्ष के जाते हुए दिन ने और आने वाले दिन ने एकसाथ बहुत कुछ सिखाया. 

आदरणीय श्वसुर साहब को सादर श्रद्धांजलि..




 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें