जीवन में मिलते
अनुभवों से यदि व्यक्ति सीखने की कोशिश नहीं करता है तो इसका अर्थ है कि वह
ज़िन्दगी में सीखने के प्रयासों पर ध्यान नहीं दे रहा है. व्यक्ति का जीवन स्वयं
में सीखते रहने की पाठशाला है. यहाँ हर पल कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता रहता है.
ये आवश्यक नहीं कि व्यक्ति को सभी चीजें उसके शिक्षकों से, पुस्तकों से,
शैक्षिक संस्थानों से अथवा पढ़े-लिखे लोगों से ही सीखने को मिलें. बहुत बार ऐसा
होता है कि व्यक्ति की उम्र से छोटे लोग भी उसे बहुत कुछ सिखाते हैं. अक्सर देखने
में आता है कि अशिक्षित व्यक्ति के माध्यम से बहुत कुछ सीखने को मिलता है. यहाँ एक
बात ध्यान रखने की होती है कि ऐसा उसी स्थिति में होता है जबकि व्यक्ति अपनी
मनःस्थिति सीखने वाली बनाये हो.
इधर देखने में आ
रहा है कि लोगों में सीखने के प्रति ललक का अभाव होता जा रहा है. किसी व्यक्ति को
सीखने के प्रति आकर्षित होते बहुत कम देखा जाता है. किसी नए काम को करने के
सम्बन्ध में भी किसी व्यक्ति के द्वारा इस तरह का बर्ताव किया जाता है जैसे कि वह
उस सम्बन्ध में बहुत कुछ जानता है. सीखने के प्रति इस तरह की नकारात्मकता के कारण
ही वर्तमान पीढ़ी किसी नवीन विचार, वस्तु, जानकारी के प्रति बहुत उत्साहित नहीं दिखाई पड़ती है. उसके लिए आज
के दौर में कुछ भी ऐसा नहीं है जो नया हो. उसके लिए किसी भी अबूझ का हल इंटरनेट पर, स्मार्ट फोन पर उपलब्ध है. उसके द्वारा इस बात पर कभी विचार ही नहीं किया
गया है कि सीखने की प्रक्रिया को कोई भी इंटरनेट, कोई भी
स्मार्ट फोन पूरा नहीं कर सकता है. इनके द्वारा सीखने की प्रक्रिया को सरल बनाया
जा सकता है, उससे सम्बंधित एक रास्ता दिखाया जा सकता है
किन्तु सीखने की प्रक्रिया को जिस तरह से आपसी वैचारिक आदान-प्रदान से, समस्याओं के विमर्श भरे समाधान से प्राप्त किया जा सकता है, वह कहीं और से संभव नहीं है.
इसमें कहीं कोई
दोराय नहीं कि वर्तमान दौर में इंटरनेट जानकारियों से समृद्ध है मगर इस बारे में
किसी को कोई संदेह नहीं होगा कि समृद्ध जानकारियों के इस दौर में भी उसके पास
भ्रामक जानकारी, संदेह, संशय बहुतायत में है. यही भ्रम, संदेह सीखने की
किसी भी प्रक्रिया को न केवल अवरुद्ध करता है बल्कि सीखने वाले के मन में भी
नकारात्मकता पैदा करता है. इससे निकलने का, बचने का बेहतर
तरीका है कि हम सभी भले ही तकनीक का सहारा लें, इंटरनेट को
सीखने का माध्यम बनायें, स्मार्ट फोन को माध्यम बनायें मगर
अपने आसपास के अनुभवी लोगों से, व्यक्तियों से भी सम्बंधित
प्रक्रिया के बारे में राय लेते रहें. अक्सर अनुभव से निकले खजाने इंटरनेट पर नहीं
मिलते हैं, किसी स्मार्ट फोन की गैलरी में नहीं पाए जाते
हैं.
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