22 मार्च 2023

पंजाब में आतंकी आग लगाने का मोहरा है अमृतपाल

किसी समय पंजाब में खालिस्तान के नाम पर जबरदस्त खून-खराबा मचा हुआ था. जिसे पंजाब पुलिस ने सेना और केंद्रीय सुरक्षा बलों की मदद से पूरी तरह से खत्म कर दिया था. सुधार भरे दौर में खालिस्तान के बचे-खुचे समर्थकों ने जाकर पाकिस्तान में शरण ली थी. पाकिस्तान द्वारा उनको लगातार पालने-पोसने का काम चलता रहा. पाकिस्तान का ऐसा करने के पीछे का उद्देश्य भारत विरोधी गतिविधियों को संचालित करना है. इसके लिए कभी उसके द्वारा जम्मू-कश्मीर में गड़बड़ करवाई जाती है, अब वही काम वह पंजाब में करवा रहा है.


पिछले कुछ समय से पंजाब में खालिस्तान के नाम पर उत्पात फिर से दिखने लगा है. इसी उत्पात के बीच एक नाम बहुत तेजी से उभर कर आया, अमृतपाल सिंह. इसके उभरने के पीछे इसका न केवल खालिस्तानी अलगाववादी होना है बल्कि स्वयं को जरनैल सिंह भिंडरावाले का अनुयायी होने का दावा करना है और उसके समर्थकों द्वारा उसे ‘भिंडरावाले 2.0 कहना भी है. अमृतपाल द्वारा अमृतसर के अजनाला पर आक्रमण करना, पुलिस को मजबूर करके अपने साथी को थाने से छुड़वा लेना, हथियार लेकर स्वर्ण मंदिर जाना आदि घटनाएँ ऐसी रहीं जिनके द्वारा अमृतपाल एकदम से सुर्ख़ियों में आ गया. अमृतपाल की ऐसी हरकतों के अलावा ऐसी बहुत सी गतिविधियाँ हैं जो देश-विरोधी हैं. उसके द्वारा आईएसआई द्वारा पाकिस्तान से मँगाए गए हथियारों के वितरण में मदद करना, अवैध रूप से चलाए जा रहे नशामुक्ति केन्द्रों और अमृतसर के पड़ोस के जल्लुपुर खेड़ा में एक गुरुद्वारे में हथियार जमा करना, हथियारों के खुले प्रदर्शन के सम्बन्ध में सरकार के आदेश की अवहेलना करना आई ऐसी गतिविधियाँ हैं जो देश के लिए खतरा हैं. कोई बड़ी वारदात करने के पहले कट्टरपंथी संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ का प्रमुख और खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह फरार हो गया. पंजाब पुलिस लगातार उसकी गिरफ्तारी के लिए ऑपरेशन चला रही है. उस पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून भी लगाया है. 




केन्द्रीय जाँच एजेंसियों ने पंजाब पुलिस को लगातार चेतावनी भी दी थी कि अमृतपाल सिंह का पंजाब में आना बड़ा खतरा बन सकता है. खुफिया एजेंसियों की जाँच में नया खुलासा हुआ है कि अमृतपाल को पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई ने जॉर्जिया में हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी थी. वह पंजाब आने से पहले दुबई से जॉर्जिया गया था. प्राइवेट आर्मी के रूप में ‘आनंदपुर खालसा फोर्स’ बनाने की तैयारी भी इसी ट्रेनिंग का हिस्सा थी. उसे पंजाब में गड़बड़ी कर देश का माहौल खराब करने की पूरी ट्रेनिंग जॉर्जिया में ही दी गई.


मात्र 19 साल की उम्र में 2012 में काम करने के लिए पंजाब से दुबई गया युवक अमृतपाल किसान आन्दोलन के दौरान दीप सिद्धू के साथ दिल्ली बॉर्डर पर आया था. यहीं से उसने दोबारा केश रखकर दस्तारबंदी की और भिंडरावाले के पैतृक गाँव में दस्तारबंदी का बड़ा कार्यक्रम किया. किसान आंदोलन में 26 जनवरी 2021 को लाल किले पर हुई हिंसा में दीप सिद्धू का नाम सामने आया था. उस वक्त लाल किले पर खालसा पंथ का झंडा ‘निशान साहिब’ फहराया गया था. पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले सितम्बर 2021 को दीप सिद्धू ने ‘वारिस पंजाब दे’ नामक संगठन की स्थापना की. राजनैतिक एजेंडा ना बताते हुए दीप सिद्धू ने ‘वारिस पंजाब दे’ का उद्देश्य पंजाब के हक की लड़ाई को आगे बढ़ाना बताया था. हालांकि विधानसभा चुनाव में दीप सिद्धू ने सिमरनजीत सिंह मान की खालिस्तान समर्थक पार्टी का समर्थन किया था. पंजाब चुनाव से ठीक पहले एक कार दुर्घटना में सिद्धू की मौत होने के बाद अमृतपाल ‘वारिस पंजाब दे’ का प्रमुख बन गया. इसके बाद वह पंजाब में धार्मिक यात्रा चलाने के साथ-साथ युवाओं को अमृत छकाने लगा और खालिस्तान के नाम पर ग्रामीण युवाओं को जोड़ने लगा. पाकिस्तान से मिलती सहायता से अमृतपाल ने बेरोजगारी, मँहगाई और रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजे असमंजस के हालातों से जूझते युवाओं का फायदा उठा कर उनके मन में खालिस्तान राज्य की माँग को जगा दिया.


ऐसा माना जा रहा है कि अमृतपाल सिंह को आईएसआई द्वारा सहायता दी जा रही है, ताकि पंजाब में एक नया भिंडरांवाले को फिर से खड़ा किया जाए, पंजाब को फिर से आतंकवाद की आग में झुलसाया जाये. आईएसआई ने भारत-विरोध, देश-विभाजन हेतु सदैव किसी न किसी प्यादे को भरपूर मदद की है. भिंडरावाले, बुरहानबानी से लेकर अमृतपाल तक उसकी यही कहानी है. अमृतपाल धार्मिक शिक्षाओं को देने के नाम पर पंजाब के युवाओं को खालिस्तान के लिए उकसाने का काम कर रहा था. अमृतपाल सिंह यूके में रहने वाले खालिस्तानी आतंकी अवतार सिंह खंडा का करीबी है. ऐसा भी कहा जाता है कि सरकार की ओर से प्रतिबंधित बब्बर खालसा इंटरनेशनल के प्रमुख परमजीत सिंह पम्मा, इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन के प्रमुख लखबीर सिंह रोड़े के साथ भी उसके नजदीकी सम्बन्ध हैं.

  

दरअसल जम्मू-कश्मीर से धारा 370 समाप्त का समाप्त होना पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई की हार मानी जा रही है. अपनी खीझ को और भारत को तोड़ने की मानसिकता से उसके द्वारा एकबार फिर खालिस्तान की माँग को हवा दी जा रही है. यह भी देखने में आया है कि जो खालिस्तान समर्थक इंग्लैंड, कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों में हैं, उनके द्वारा भारतीय दूतावास के सामने समय-समय पर उग्र प्रदर्शन किया जाता है.


केन्द्र सरकार और पंजाब सरकार को अमृतपाल के मामले में किसी भी तरह से ढील देने की आवश्यकता नहीं है. खालिस्तान समर्थक एक व्यक्ति द्वारा गृहमंत्री तक को धमकी देने के बाद भी उस पर कोई कड़ी कार्यवाही नहीं होना, पंजाब में शासन-प्रशासन के लिए मुसीबत बन चुके एक व्यक्ति को वहाँ के मुख्यमंत्री द्वारा नजरंदाज किया जाना समझ से परे है. अमृतपाल को महज एक व्यक्ति समझकर गंभीरता न दिखाना सुखद संकेत नहीं है. एक तरफ उसके समर्थकों द्वारा उसमें भिंडरावाले का रूप देखा जाना, दूसरी तरफ पंजाब में बहुत सारे आपराधिक गैंग का वर्चस्व होना, ड्रग्स की समस्या होना, पंजाब सरकार द्वारा इन आतंकियों पर कार्रवाई करने में ढुलमुल नीति का अपनाया जाना राज्य को आतंकवाद की तरफ ही ले जाता है. हालाँकि अमृतपाल फरार है, लेकिन उसके संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ से जुड़े सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है. पुलिस ने उसके समर्थकों से अनेक अत्याधुनिक हथियार बरामद किये हैं, जो पंजाब में, देश में आतंकी उत्पात मचाने के उसके मंसूबों की गवाही देते हैं. देखा जाये तो राज्य में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति सामान्य नहीं है. इससे पहले कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाए, पूरे पंजाब में आग लग जाए, खालिस्तान समर्थक हथियार लेकर आतंक मचाने लगें उससे पहले समस्या से निपटना होगा.

 






 

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