जनवरी में
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर एक रिपोर्ट सार्वजानिक की थी. इस रिपोर्ट ने
पूरी दुनिया में हलचल मचा दी. उस दिन से आज तक संसद से लेकर सड़क तक इसी रिपोर्ट की
चर्चा हो रही है. रिपोर्ट आने के बाद से अडानी के शेयरों में काफी गिरावट आई और इस
ग्रुप की मार्केट वैल्यू भी गिर गई. इसके साथ ही निवेशकों को भी नुकसान सहना पड़
रहा है. हिंडनबर्ग
एक अमेरिकन इन्वेस्टमेंट कंपनी है जो फोरेंसिक वित्तीय अनुसंधान का काम करती है. हिंडनबर्ग
रिसर्च की वेबसाइट के अनुसार यह कंपनी किसी भी अन्य कंपनी के निवेश,
इक्विटी,
क्रेडिट और डेरिवेटिव पर शोध
करती है. इसके साथ-साथ कंपनी शेयर मार्केट की बारीकियों का विश्लेषण करके, कई
सूत्रों की मदद से किसी कंपनी में हो रही धोखाधड़ी को सबसे सामने लेकर आती है.
हिंडनबर्ग रिसर्च की स्थापना सन 2017 में
नाथन एंडरसन ने की थी. इंटरनेशनल बिजनेस में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद
एंडरसन ने एक डाटा कंपनी में रिसर्च सिस्टम्स का काम शुरू किया. इसी वर्ष एंडरसन
द्वारा अपनी शॉर्ट-सेलिंग कंपनी को शुरू किया गया. हिंडनबर्ग रिसर्च नाम से शुरू
इस कंपनी का मुख्य कार्य अकाउंटिंग में अनियमितताओं को देखना, अहम पदों पर अयोग्य व्यक्तियों
की नियुक्ति, अघोषित लेन-देन, किसी तरह की ग़ैर-क़ानूनी, अनैतिक
व्यापार या वित्तीय रिपोर्टिंग को तैयार करना रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार सन 2020
के बाद से हिंडनबर्ग द्वारा तीस कंपनियों की रिसर्च रिपोर्ट को
प्रस्तुत किया है. यह कोई संयोग नहीं कि उसकी रिसर्च रिपोर्ट आने के बाद से
सम्बंधित कंपनी के शेयर औसतन पंद्रह प्रतिशत तक गिए गए. शेयरों का गिरना मात्र
इतने तक ही नहीं रहा. आने वाले छह महीने में उन कंपनियों के शेयरों में औसतन पच्चीस
प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई, जिनकी रिपोर्ट को हिंडनबर्ग द्वारा
प्रस्तुत किया गया.
यदि इस कंपनी के मूल में जाकर देखा जाये तो यह एक तरह की शॉर्ट सेलर है. शॉर्ट
सेलर से तात्पर्य ऐसे शेयर निवेशक से है जो शेयरों की खरीद और बिक्री तब करता है
जब शेयरों के दामों के भविष्य में गिरने की संभावना होती है. ऐसी स्थिति में कई
बार शॉर्ट सेलर अपने पास शेयर न होते हुए भी इन्हें बेचता है. ऐसा वह शेयर खरीदने
के बजे उनको उधार लेकर बेचता है. यह एक तरह का जुआ कहा जा सकता है. यदि शेयरों की
गिरावट का और उनके बढ़ने का अंदाजा सही निकला तो शॉर्ट सेलर को लाभ ही लाभ होता है.
हिंडनबर्ग पर इसी तरह का शेयर कारोबार करने का आरोप लगता रहा है. कहा जाता रहा है
कि हिंडनबर्ग द्वारा अपनी रिसर्च रिपोर्ट सम्बंधित कंपनी के शेयर खरीदने के लिए ही
सार्वजनिक की जाती है. हिंडनबर्ग उस कंपनी के शेयर गिराकर इसी तरह से लाभ लेती है.
हिंडनबर्ग ने अपनी
रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर कुछ सवाल उठाए हैं. इस रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि गौतम
अडानी के छोटे भाई राजेश अडानी को ग्रुप का प्रबंध निदेशक क्यों बनाया गया है जबकि
उनके ऊपर कस्टम टैक्स चोरी,
फर्जी इंपोर्ट डॉक्यूमेंटेशन और अवैध कोयला आयात करने का
आरोप है. इसके अलावा और भी कई सवाल हैं, जिनके बारे में अडानी
ग्रुप द्वारा किसी भी तरह का स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है. हिंडनबर्ग द्वारा
रिपोर्ट सार्वजनिक किये जाने के बाद से अडानी ग्रुप को भारी गिरावट देखनी पड़ी है.
मात्र दो दिनों उसका 4.1
लाख करोड़ का मार्केट कैप साफ हो गया. इस ग्रुप के शेयरों
में लगभग बीस प्रतिशत तक की गिरावट देखने को मिली.
हिंडनबर्ग के द्वारा सार्वजनिक की गई
रिपोर्ट से अडानी ग्रुप पर सकारात्मक या नकरातमक क्या परिणाम पड़ेगा ये एक अलग बात
है मगर उस रिपोर्ट से भारत सरकार की बहुत सी महत्त्वाकांक्षी योजनाओं पर संकट के
बादल मंडराने लगे हैं. लगभग बीस हजार करोड़ रुपये की धारावी पुनर्विकास परियोजना के द्वारा साढ़े
छह लाख झुग्गीवासियों के पुनर्वास का काम अगले सात साल में पूरा करना अडानी ग्रुप
की मुख्य योजना है. इसके अलावा अगले एक दशक में सौ अरब
डॉलर का निवेश करने की घोषणा, जिसमें से सत्तर प्रतिशत ग्रीन एनर्जी पर खर्च करने
का वादा, अडानी डिफ़ेंस एंड एयरोस्पेस के द्वारा ड्रोन सहित अपने रक्षा उत्पादों का निर्यात भी उनकी
परियोजनाओं में शामिल है. भारतीय वायु सेना के विमानों की समय-समय पर देख-रेख का
काम भी अडानी ग्रुप की कंपनी द्वारा किया जाता है. इन परियोजनाओं के साथ-साथ अन्य
कई योजनायें ऐसी हैं जिनके बीच में रुकने पर अथवा उनकी गति में अवरोध आने पर देश
के विकास में भी प्रभाव देखने को मिल सकता है.
यदि अडानी ग्रुप के व्यवसाय को देखा जाये तो इसकी कंपनियों को भारतीय स्टेट
बैंक सहित देश की अनेक बैंकों ने 81,200 करोड़ रुपये का ऋण अडानी ग्रुप को
दे रखा है. भारतीय रिजर्व बैंक को भारतीय स्टेट बैंक ने बताया है कि उसके द्वारा अडानी
ग्रुप को 23000 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया है. इसी तरह से
पंजाब नेशनल बैंक द्वारा 7000 करोड़ का ऋण दिया गया है. हिंडनबर्ग की रिसर्च
रिपोर्ट आने के बाद से जहाँ एक तरफ निवेशकों में घबराहट का माहौल बना वहीं शेयर
बाजार में भी गिरावट देखने को मिली. इस हड़बड़ी के बीच भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन
की ओर से कहा गया कि अडानी ग्रुप को दिए गए ऋण को लेकर लोगों को डरने की जरूरत नहीं
है. अडानी ग्रुप में उनका निवेश सुरक्षित है.
अडानी ग्रुप द्वारा बाद में हिंडनबर्ग रिपोर्ट
के जवाब में कहा कि यह सुनियोजित हमला है जिसके द्वारा अमेरिकी कम्पनियों को मदद
की जा रही है. यहाँ भले ही हिंडनबर्ग को एक शॉर्ट सेलर के रूप में देखा जाता हो,
भले ही अनेक विशेषज्ञों द्वारा कहा जा रहा हो कि उसकी रिपोर्ट अन्य दूसरी
कम्पनियों को लाभ देने के लिए सार्वजनिक की गई है फिर भी भारत सरकार को, भारतीय रिजर्व बैंक को इस पर
गंभीरता से कार्य करने की आवश्यकता है. आखिर देश की बैंकों का बहुत सारा धन अडानी
ग्रुप में लगा है, बहुत सारे निवेशकों का धन इस ग्रुप की
कम्पनियों के शेयरों में लगा है. हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट सही है अथवा गलत इस पर
बन रहे असमंजस भरे माहौल को दूर करना सरकार और अन्य सुरक्षा एजेंसियों की
जिम्मेवारी है.
बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक महत्वपूर्ण जानकारी युक्त बेहतरीन लेख ।
जवाब देंहटाएंअडानी ग्रुप share down hone se nifty50 index per koi jyada parivertan nhi aya
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