देश में इस वर्ष सितम्बर
में जी-20 सम्मेलन का आयोजन होना है. इस आयोजन का कारण हमारे देश को
विश्व के शक्तिशाली समूह जी-20 की अध्यक्षता मिलना है. भारत ने बीस देशों के शक्तिशाली समूह जी-20 का अध्यक्षीय पद ग्रहण किया है. बाली
शिखर सम्मेलन में पूर्व अध्यक्ष देश इंडोनेशिया द्वारा भारत को 1 दिसम्बर 2022 को वर्ष 2023 के
लिए अध्यक्षता सौंपी गई. अब पूरे एक साल तक भारत जी-20 से जुड़ी
दो सौ बैठकों की मेजबानी करेगा. ये आयोजन देश के पचास से अधिक
शहरों में किए जाएँगे. नब्बे के दशक में अनेक विकसित और विकासशील देश आर्थिक एवं वित्तीय समस्याओं का समाधान करने
के लिए 25 सितम्बर 1999 को
औपचारिक रूप से वाशिंगटन डीसी में जी-20 समूह की स्थापना की गयी. यह दुनिया की बीस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का समूह है. इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, मैक्सिको, अर्जेंटीना, रूस,
जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, यूके,
ब्राजील, इटली, दक्षिण
अफ्रीका, कनाडा, भारत, इंडोनेशिया, जापान, तुर्की,
कोरिया, फ्रांस, सऊदी
अरब एवं यूरोपीय संघ शामिल हैं. जी-20 को विश्व के आर्थिक,
राजनीतिक मुद्दों पर विचार-विमर्श एवं आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया
है.
सितम्बर में होने
वाले कार्यक्रम की थीम ‘वसुधैव
कुटुम्बकम’ के द्वारा यह संकेत स्पष्ट रूप से दिया गया है कि धरती ही परिवार है. कार्यक्रम का एजेंडा भले ही अभी सदस्य देशों द्वारा तय किया जाना है
किन्तु भारत ने इस बात का साफ संकेत दिया है कि ऊर्जा संकट और आतंकवाद को रोकना उसके
लिए बड़ा एजेंडा होगा. दुनिया के देशों के सामने भारत इनसे निपटने
का रोडमैप भी पेश करेगा. जी-20 अपने
आपमें एक अनूठी वैश्विक संस्था है, जहाँ विकसित और विकासशील
देशों का समान महत्व है. यहाँ विकासशील देश सबसे शक्तिशाली देशों के साथ अपने राजनैतिक,
आर्थिक और बौद्धिक नेतृत्व को प्रदर्शित कर सकते हैं. इसी कारण से भारत
का दुनिया के सबसे प्रभावशाली बहुपक्षीय समूह का नेतृत्व करना प्रत्येक नागरिक के
लिए गौरव का विषय है. अपनी अध्यक्षता के साथ देश अपनी पहली वैश्विक नेतृत्वकारी
भूमिका में नई नीतियों के क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त करेगा. भारत कमजोर देशों
की सहायता करने, विकासशील देशों की आवाज़ को मुखरित करने और
उनके मुद्दों को वैश्विक स्तर पर उठाने के लिए जी-20 की
प्रमुख भूमिका पर दृढ़ता से ध्यान केंद्रित करने के लिए तत्पर है.
भारत को जी-20
की अध्यक्षता मिलना दर्शाता है कि देश
वैश्विक ताकतों के बीच वैश्विक नेतृत्व के रूप में उभरा है. इसके अलावा अन्य कई
मंचों पर भी देश ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्शायी है. आर्थिक क्षेत्र में वह ब्रिटेन
को पीछे छोड़ कर पाँचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बना तो संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा
परिषद में वह अस्थायी सदस्य बना है. इसके अलावा सुरक्षा परिषद में सुधार की माँग
का रूस और अमेरिका द्वारा समर्थन करने को भी देश की वैश्विक शक्ति के रूप में देखा
जा सकता है. जी-20 में विश्व
के वे तमाम विकसित देश शामिल हैं जिनकी वैश्विक जीडीपी में लगभग 85 प्रतिशत की भागीदारी है. ऐसे में प्रत्येक भारतीय को
इसके महत्त्व को पहचानते हुए देश के बढ़ते कद को लेकर गौरवान्वित होना चाहिए. हमारे
देश के सकारात्मक कार्य हम सभी के सामने हैं और इसी का सुखद परिणाम जी-20 की
अध्यक्षता के रूप में मिला है.
देश के प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी ने उल्लेख भी किया है कि हमारी आने वाली पीढ़ियों में उम्मीद जगाने
के लिए हम बड़े पैमाने पर विनाश के हथियारों से पैदा होने वाले जोखिमों को कम करने
और वैश्विक सुरक्षा बढ़ाने पर सर्वाधिक शक्तिशाली देशों के बीच एक ईमानदार बातचीत
को प्रोत्साहन प्रदान करेंगे. भारत का जी-20 एजेंडा समावेशी, महत्त्वाकांक्षी,
कार्रवाई-उन्मुख और निर्णायक होगा. आइए, हम
भारत की जी-20 अध्यक्षता को संरक्षण, सद्भाव
और उम्मीद की अध्यक्षता बनाने के लिए एकजुट हों. आइए, हम
मानव-केंद्रित वैश्वीकरण के एक नए प्रतिमान को स्वरूप देने के लिए साथ मिलकर काम
करें.
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