03 जनवरी 2023

आपसी सहयोग, विश्वास को नहीं छोड़ेंगे

विगत दो वर्षों की उथल-पुथल भरी जीवन-शैली के बीच भी लोगों ने अपने उत्साह को नहीं छोड़ा. जिस तरह से कोरोना ने लोगों के दिल-दिमाग में गहरे घाव छोड़े थे उसे देखकर लगता नहीं था कि लोग सहजता से बाहर निकल सकेंगे. बावजूद इसके लोगों ने अपनी जिजीविषा को नहीं छोड़ा और कोरोनाकाल के डरावने घेरे से खुद को बाहर निकाल लाये. लोगों की जिजीविषा ने जहाँ उनके अपने-अपने पर्वों-त्योहारों को मनाने का अवसर दिया वहीं दूसरों के सुख-दुःख में भी शामिल होने का मौका दिया.


अब जबकि पुराने साल को पीछे छोड़कर हम सब नए साल में पहुँच गए हैं तब हमें अपने डरावने अतीत और उसकी भयावहता को पीछे छोड़ने की आवश्यकता है. लोगों ने सब कुछ भूल कर नए वर्ष का स्वागत पूरे जोश, उत्साह, उमंग से किया है, ये सुखद है मगर इसी सुखद के पीछे से कोरोना वायरस की खतरनाक आहट फिर से सुनाई देने लगी है. खबरें डरावनी ही नहीं अत्यंत भयावह हैं. लोग बाहर से उत्साहित दिखाई दे रहे हैं मगर भीतर ही भीतर उनको बहुत कुछ डरा रहा है. यह डर लोगों के खुद के प्रति नहीं बल्कि अपनों के लिए है. उन नौनिहालों के लिए है जिन्होंने अभी ज़िन्दगी का बहुत सूक्ष्म पल ही देखा और उनके सामने भयानक वायरस आकर खड़ा हो गया. विगत दो सालों में जिस तरह से नौनिहालों ने, युवाओं ने इस संसार को त्यागा है, उनको कोरोना ने अपना ग्रास बनाया है वह वाकई दुखद भी है, भयावह भी है. ऐसी घटनाओं से दिल सिहर उठता है. अपने हाथों में ऐसी जिंदगियों को जाते देखना, जिनको भविष्य के लिए नए-नए सपने देखना था, अत्यंत कष्टकारी होता है.




ज़िन्दगी का यही वो क्षण होता है जबकि तकनीकी, ज्ञान, विज्ञान से संपन्न व्यक्ति के हाथ में कुछ नहीं होता है. उसके पास सिवाय हाथ मलने के, सिवाय पछताने के कुछ नहीं रह जाता है. देखा जाये तो यही स्थितियाँ व्यक्ति को सिखाती भी हैं. यही हालात व्यक्ति को लड़ने के लिए ऊर्जा भी देते हैं. जिजीविषा और विश्वास से भरे जनमानस को अपनी पिछली इन्हीं घटनाओं से सबक लेने की आवश्यकता है. एक बार पीछे पलट कर देखने की आवश्यकता है. हम सभी ने लॉकडाउन जैसी भयावहता को देखा और सहा है. क्या उस दौर में हमने भौतिकतावादी वस्तुओं का संग्रह करने का विचार किया? क्या उन दिनों में लोगों ने लक्जरी गाड़ियों, सामानों, जेवरातों को खरीदने के लिए प्रयास किये? सभी ने प्रयास किये अपने लोगों की सुरक्षा के. सभी ने कोशिश की एकसाथ रहने की. सभी के कदम बढ़ाये सामुदायिकता के लिए. सभी ने संग्रह किया जीवन देने वाली खाद्य-सामग्री का.


उन दिनों एक बहुत लम्बा समय बिना भौतिकता के बीता. उस समय को लोगों ने आपस में एक-दूसरे का साथ देकर बिता दिया. ऐसे में यह समझने वाली बात है कि ज़िन्दगी में आवश्यक क्या है, अनिवार्य क्या है. यही वो समझ है जो इंसानियत सिखाती है, इन्सान बनाती है. हमने जब भी इस सोच को, इस समझ को छोड़ा है हम सभी इन्सान से जानवर में बदल गए. इसी बदलाव ने समाज को ख़राब कर दिया. इसी परिवर्तन ने प्रकृति का विनाश करना शुरू कर दिया. इसी बदलाव ने पर्यावरण को असुरक्षित कर दिया. इसी परिवर्तन ने मानसिकता को दूषित कर दिया है. आज हम अपने चारों तरफ नजर डालें तो प्रदूषित वातावरण ज्यादा देखने को मिल रहा है. चाहे प्रकृति की बात करें, पर्यावरण की बात करें, संस्कृति की बात करें, खान-पान की बात करें, सामाजिकता की बात करें, पहनावे की बात करें, बोल-चाल की बात करें सभी में एक तरह का प्रदूषण स्पष्ट दिखाई देने लगा है.


विगत को विस्मृत करते हुए हम सभी आगत के स्वागत में लगे हैं, अच्छा है मगर हमें विगत को पूरी तरह से विस्मृत नहीं करना चाहिए. नए साल के जश्न के ठीक पहले जाने वाले साल के सबक को याद रखें. जाने वाले साल ने हमें क्या-क्या सीखने योग्य दिया उसे याद रखें. बीत चुके अन्य सालों में भी हम सबने किस तरह दुःख-दर्द सहकर भी सबके साथ को स्वीकार किया, सबके विश्वास को बनाये रखा, उसी को आने वाले साल के साथ भी बनाये रखें. आने वाला समय कितना भयावह होगा, होगा भी या नहीं इस बारे में आज से परेशान होने की नहीं बल्कि सजग रहने की आवश्यकता है. आने वाले कल की चिंता में हमें अपना आज ख़राब नहीं करना है.


जाने वाले इस साल के साथ अपने नौनिहालों को, युवाओं को सिखाना है कि कैसे अतीत से सीख लेते हुए हम आगे बढ़ें. निश्चित ही ये पीढ़ी रफ़्तार की शौक़ीन है, तकनीक की प्रेमी है. ऐसे में उसको ये समझाने की महती आवश्यकता है कि रफ़्तार और तकनीक के शौक में ज़िन्दगी को ख़त्म नहीं किया जाना चाहिए. इसी पीढ़ी को समाज, संस्कृति, साहित्य, सामाजिकता आदि का पाठ सिखाना होगा. हम सभी को नए साल के स्वागत के जश्न के साथ याद रखना होगा कि आने वाले साल को हम जो भी धरोहर सौंपेंगे, वही हमको वो अपने जाते समय देकर जायेगा. तो संकल्पित हों कि एक-दूसरे का विश्वास बनते हुए, एक-दूसरे का साथ बनते हुए आने वाले संकटों का सामना करेंगे. नए साल को हम खुशियाँ, स्वास्थ्य, सुखद मनोभाव, बेहतर इन्सान, सामाजिकता आदि से सजाते हुए आगे बढ़ेंगे. 






 

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