16 जनवरी 2023

ऑनलाइन धोखाधड़ी का फैलता जाल

राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन की हालिया रिपोर्ट में ऑनलाइन धोखाधड़ी से सम्बंधित मामलों के आँकड़े न केवल चौंकाने वाले हैं बल्कि डराने वाले भी हैं. रिपोर्ट के अनुसार पिछले पाँच वर्षों में देश में ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों में तीन गुना से भी अधिक की वृद्धि हुई है. पाँच वर्ष पूर्व ऑनलाइन धोखाधड़ी की दर्ज शिकायतों की संख्या साठ हजार से कम थी जो बढ़कर एक लाख चौरासी हजार तक पहुँच गई है. ये चिंताजनक इसलिए है क्योंकि ये वे आँकड़े हैं जिनकी शिकायत साइबर सेल में दर्ज हुई है. बहुत से मामले तो ऐसे होंगे जिनमें शिकार व्यक्तियों ने शिकायत दर्ज नहीं करवाई होगी.


वर्तमान दौर तकनीक का है. बहुसंख्यक लोग इंटरनेट के माध्यम से खरीदारी करने का काम करते हैं. अपने मनपसंद सामान को लेने के बाद तत्काल ही एक क्लिक पर उसका भुगतान हो जाता है. ऑनलाइन खरीददारी के साथ-साथ ऑनलाइन भुगतान वाली स्थिति भी लोगों के लिए बहुत सामान्य सी हो गई है. उनके लिए अब पर्स में नकद धनराशि रखने वाली समस्या नहीं है, उसकी सुरक्षा की चिंता नहीं है. मोबाइल, लैपटॉप आदि के माध्यम से पलक झपकते ही भुगतान हो जाता है मगर यही सुविधा उपभोक्ताओं के साथ ठगी भी करवा रही है. ऑनलाइन आर्थिक गतिविधियों के सञ्चालन में एक तरफ वे लोग हैं जो इस सुविधा का लाभ उठा रहे हैं, इसके दूसरी तरफ वे अपराधी प्रवृत्ति के लोग भी हैं जो इन ऑनलाइन तकनीक का लाभ उठाकर धोखाधड़ी कर रहे हैं, उपभोक्ताओं को लूट रहे हैं. सामान्य बोलचाल में इसे साइबर अपराध या साइबर क्राइम कहा जाता है.




वर्तमान में सरकार के सामने साइबर सुरक्षा बहुत बड़ी चुनौती के रूप में सामने है. साइबर सुरक्षा ऐसा क्षेत्र है जो बहुत ज़्यादा अस्थिर है. साइबरस्पेस से जुड़े खतरे और उनके अलग-अलग तरीक़ों में तेज़ी से वृद्धि हो रही है. अभी हाल ही में रैनसमवेयर अटैक के कारण नई दिल्ली के एम्स में साइबर सुरक्षा में लगी सेंध इसका सबसे ताज़ा उदाहरण है. वर्ष 2022 की माइक्रोसॉफ्ट डिजिटल डिफेंस रिपोर्ट के अनुसार केन्द्र और राज्य अपने-अपने स्तर पर लगातार बढ़ते साइबर हमलों का सामना कर रहे हैं. ये हमले मुख्य रूप से सूचना तकनीक क्षेत्र में, वित्तीय सेवाओं में, परिवहन प्रणाली के साथ-साथ संचार से जुड़े बुनियादी ढाँचे पर हो रहे हैं. साइबर अपराध से जुड़े लोग न केवल सामान्यजन को अपना निशाना बनाते हैं वरन सरकार की सेवाओं और सुविधाओं को जन-जन तक पहुँचाने वाले मंचों को भी अपना निशाना बनाते हैं. इसी कारण से साइबर सुरक्षा सरकार की दृष्टि से भी और आमजन की दृष्टि से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है.


नेशनल कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीमों अर्थात राष्ट्रीय सीईआरटी द्वारा देश की सीमा के भीतर और सीमा पार से संभावित साइबर खतरों को पहचानने में महत्त्वपूर्ण कार्य किया है. आज भी साइबर सुरक्षा उल्लंघनों और इससे जुड़ी घटनाओं की सूचना देने में सीईआरटी सबसे आगे है. कह सकते हैं कि सरकारी तंत्रों में साइबर अपराधियों के सेंध लगाये जाने को रोकने के अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उपाय हैं किन्तु आमजन जरा सी लापरवाही के कारण ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार हो जाता है. यद्यपि सरकार की तरफ से भी नागरिकों के हितों की रक्षा के प्रयास लगातार किये जाते हैं इसके बाद भी सामान्य उपभोक्ता साइबर अपराधी द्वारा ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार हो जाता है. ऐसी स्थिति में नागरिकों को स्वयं में सचेत और सजग रहने की महती आवश्यकता है.


साइबर क्राइम वास्तव में एक अपराध ना होकर विभिन अपराधों का समूह है जिसमे हैकिंग, ऑनलाइन ठगी, फिशिंग, स्पैम ईमेल, रैनसमवेयर, पोर्नोग्राफी, ऑनलाइन ब्लैकमेल एवं इसी प्रकार के अन्य अपराध आते है. किसी भी साइबर अपराधी द्वारा किये जाने वाला सबसे आम साइबर अपराध हैकिंग और अनाधिकृत प्रवेश है. इसमें अपराधी मानसिकता के किसी भी व्यक्ति द्वारा कम्प्यूटर अथवा किसी नेटवर्क में बिना सम्बंधित व्यक्ति की अनुमति के उसका सञ्चालन करना हैकिंग अथवा अनाधिकृत प्रवेश कहलाता है. इसके द्वारा विभिन्न प्रकार की निजी जानकारियाँ और महत्वपूर्ण सीक्रेट डाटा को चुराया जाता है, जिसके माध्यम से यूजर को वित्तीय एवं अन्य प्रकार से नुकसान पहुँचता है. सबसे अधिक अपराध ऑनलाइन ठगी द्वारा किया जा रहा है. अपराधियों द्वारा उपभोक्ता की बैंकिंग जानकारियाँ चुरा ली जाती हैं और उसके माध्यम से उपभोक्ता के बैंक खाते से रकम निकाल ली जाती है. ऑनलाइन ठगी में एक अन्य रूप में फ़ोन कॉल के द्वारा लोगों से उनके फ़ोन नंबर पर किसी सेवा सुविधा के लिए ओटीपी, क्रेडिट-कार्ड, डेबिट कार्ड नंबर आदि देने को कहा जाता है. जैसे ही उपभोक्ता के द्वारा ऐसा किया जाता है, साइबर अपराधी उसके बैंक खाते में सेंध लगाकर धन की निकासी कर लेते हैं. इसके अलावा कई बार उपभोक्ता को स्पैम ईमेल भेजी जाती है. उपभोक्ता द्वारा उस लिंक पर क्लिक करते ही सिस्टम को हैक कर लिया जाता है. इस तरह भी उपभोक्ता अपनी निजी या बैंकिंग जानकारियाँ अनजाने ही साइबर अपराधियों तक पहुँचा देते हैं.  


ऐसा नहीं नही कि साइबर अपराधियों से बचने का कोई तरीका ही नहीं है. बचने के लिए सबसे प्रमुख है उपभोक्ता का स्वयं में जागरूक रहना. अक्सर इंटरनेट यूजर को ऐसे ईमेल और मैसेज आते रहते हैं जिन पर अनजान लिंक मौजूद होते हैं. इन ईमेल और मैसेज से सावधान रहना चाहिए. कुछ इसी तरह की स्थिति उस समय होती है जबकि कोई व्यक्ति किसी वेबसाइट पर अपने उत्पाद, सम्बंधित सेवा की तलाश कर रहा होता है. यहाँ ध्यान रखा जाये कि अनजान वेबसाइट पर क्लिक न किया जाये. आये दिन हम सभी किसी न किसी एप्लीकेशन को अपने मोबाइल या लैपटॉप में डाउनलोड करते हैं. मुफ्त के एप्लीकेशन और उनके साथ-साथ अन्य दूसरे एप्लीकेशन को डाउनलोड करने के लालच से बचना चाहिए. यदि किसी एप्लीकेशन द्वारा किसी भी तरह की अनुमति माँगी जा रही है तो उसे देने के पहले अवश्य जाँच लें कि सम्बंधित कदम की आवश्यकता उस एप्लीकेशन के लिए कितनी है. इंटरनेट उपभोक्ता को अपनी व्यक्तिगत, बैंकिंग सम्बन्धी और अन्य गोपनीय जानकारियाँ सबके साथ शेयर नहीं करनी चाहिए. अक्सर इनके द्वारा भी साइबर अपराधी द्वारा अपराध किये जाते हैं.


उपभोक्ता अपने नेटवर्क को सुरक्षित रखें. कोशिश करें कि अपने मोबाइल, लैपटॉप आदि को यथसंभव अपडेट करते रहें. इसके अलावा सार्वजनिक वाई-फाई की सुविधा का इस्तेमाल करने से भी यथासंभव बचें. यह माध्यम भी साइबर धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसके साथ-साथ अपने एप्लीकेशन में, अपनी वेबसाइट अथवा किसी भी अन्य ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म में प्रयोग किये जाने वाले पासवर्ड को मजबूत और सुरक्षित बनायें. सुरक्षित बनाये गए पासवर्ड को भी समय-समय पर बदलते रहें. ध्यान रखें यदि हम सावधानी बरतेंगे, जरा से सजग रहेंगे तो साइबर अपराधियों द्वारा फैलाये गए जाल में फँसने से बच सकेंगे.  





 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें