18 दिसंबर 2022

भारतीय अर्थव्यवस्था में डिजिटल मुद्रा की आहट

छह वर्ष पूर्व नोटबंदी की घोषणा के समय से मुद्रा के डिजिटल संस्करण पर देशव्यापी चर्चा होने लगी थी. उस घोषणा के साथ ही प्रधानमंत्री द्वारा डिजिटल लेन-देन करने पर विशेष जोर दिया गया था. डिजिटल भुगतान व्यवस्था को लेकर उस समय आशंका भी व्यक्त की गई थी, जो तत्कालीन स्थितियों में गलत भी नहीं कही जा सकती है. समय गुजरने के साथ आज स्थिति यह है कि खोमचे वाले, ठेले वाले, रेहढ़ी वाले भी डिजिटल माध्यम से लेन-देन कर रहे हैं. नोटबंदी के काफी पहले से बाजार में क्रिप्टोकरेंसी का दबदबा दिखाई दे रहा था. इसे असुरक्षित भी माना जाता है. ऐसे में सरकार के सामने एक तरह का अप्रत्यक्ष दवाब था कि ऐसी डिजिटल मुद्रा का सञ्चालन किया जाये जो सुरक्षित हो और सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हो. ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल रुपये की पेशकश के लिए पहली पायलट परियोजना दिसम्बर माह में मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में शुरू की गई है. आर्थिक क्षेत्र में इसे एक बड़ा कदम कहा जायेगा.


डिजिटल मुद्रा का लेन-देन चार बैंकों- भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक- की ओर से उपलब्ध एप्स, मोबाइल फोन और डिवाइस में बने डिजिटल वॉलेट के द्वारा किया जा सकेगा. इसे आसानी से मोबाइल फोन से एकदूसरे को भेजा जा सकेगा और और हर तरह के सामान खरीदे जा सकेंगे. इस डिजिटल मुद्रा को पूरी तरह से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा संचालित, नियंत्रित किया जायेगा.




देश की डिजिटल मुद्रा को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी अर्थात सीबीडीसी के नाम से जाना जायेगा. यह एक डिजिटल टोकन के रूप में जारी होगा और एक लीगल टेंडर होगा अर्थात इसे कानूनी मुद्रा माना जाएगा. जिस मूल्य पर वर्तमान में नकद मुद्रा (नोट) और सिक्के जारी होते हैं, डिजिटल मुद्रा को भी उसी मूल्य पर जारी किया जायेगा. यदि आसान शब्दों में कहें तो डिजिटल मुद्रा या फिर सीबीडीसी नकद रुपये का इलेक्ट्रॉनिक रूप है. जिस तरह से नकद मुद्रा के द्वारा लेन-देन किया जाता है, उसी तरह से डिजिटल करेंसी के माध्यम से लेन-देन किया जा सकेगा.


देश में डिजिटल मुद्रा आने के बहुत पहले से लोग यूपीआई के माध्यम से भुगतान कर रहे हैं. ऐसे में प्रश्न उठाना स्वाभाविक है कि डिजिटल करेंसी और यूपीआई के माध्यम से भुगतान में क्या अंतर है? यहाँ एक बात का ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि यूपीआई के माध्यम से जो भुगतान किया जाता है वह सीधे बैंक खाते से बैंक खाते को ट्रांसफर होता है. तमाम सारे यूपीआई एप्स को अलग-अलग बैंक नियंत्रित करते हैं. उन पर रिजर्व बैंक की निगरानी नहीं होती है जबकि डिजिटल मुद्रा का लेन-देन सीधे रिजर्व बैंक की निगरानी में होगा. इसके अलावा यूपीआई से होने वाले लेन-देन में एक व्यक्ति बैंक को निर्देशित करता है कि उसके खाते में जमा राशि से वास्तविक रुपये का भुगतान किया जाये. इस प्रक्रिया को पूरा होने में कई बार कुछ मिनट से लेकर दो दिन तक लग जाते हैं. स्पष्ट है कि भुगतान तत्काल न होकर एक प्रक्रिया के अंतर्गत होता है, जो समय ले सकता है. इसके उलट डिजिटल मुद्रा में भुगतान करते ही सामने वाले को उसकी रकम मिल जाती है. वर्तमान में होने वाला डिजिटल लेन-देन किसी बैंक के खाते में जमा रुपये का ट्रांसफर होता है जबकि सीबीडीसी को नकद मुद्रा की जगह उपयोग में लाया जाएगा.


डिजिटल मुद्रा के चलन में आने से सरकार उस खर्च को बचा सकेगी जो नकद मुद्रा छापने में आता है. सरकार इसकी निगरानी कर सकेगी, जो किसी भी रूप में नकद मुद्रा पर नहीं है. इसके अलावा रिजर्व बैंक के हाथों में नियंत्रण होने से बाजार में उसकी तरलता को भी नियंत्रित किया जा सकेगा. इसके आने के बाद बहुत हद तक भ्रष्टाचार, नकली मुद्रा, काले धन की समस्या पर भी अंकुश लग सकेगा. नागरिक अपने धन को जमा करने और निकालने की परेशानियों से भी बच सकेंगे क्योंकि डिजिटल मुद्रा का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया जाएगा. नकदी से ज्यादा सुरक्षित होने के कारण लोग धन की सुरक्षा को लेकर भी चिंता-मुक्त हो सकेंगे.


डिजिटल मुद्रा एक तरह से बहुत पहले से चलन में रही बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी वाली अवधारणा है. यह उसी तरह से कार्य भी करेगी, बस मूल अंतर ये होगा कि क्रिप्टोकरेंसी का नियंत्रण निजी हाथों से होता है, इससे इसकी मॉनिटरिंग नहीं हो पाती. इसमें गुमनाम रहकर भी लेन-देन हो जाते हैं, जिससे गैरकानूनी गतिविधियों में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल होने की आशंका रहती है. इसके उलट डिजिटल मुद्रा का सञ्चालन, नियंत्रण रिजर्व बैंक के द्वारा किया जा रहा है. इससे डिजिटल रुपये की निगरानी हो सकेगी और किसके पास कितने रुपये हैं, इसकी जानकारी भी रिजर्व बैंक को होगी. सरकारी नियंत्रण में होने के कारण हमारे देश का एक रुपये का सिक्का और डिजिटल रुपया एकसमान ताकत रखता है. इसके साथ ही एक बड़ा अंतर यह भी है कि डिजिटल रुपये को क्रिप्टोकरेंसी की तरह खरीदा या बेचा नहीं जा सकेगा बल्कि यह नकद के विकल्प के रूप में काम करेगा.


वर्तमान युग तकनीक का है, जहाँ कदम-कदम पर खुद को भी तथा लगभग सभी क्षेत्रों को अपडेट होते रहने की आवश्यकता है. ऐसे दौर में जबकि अर्थव्यवस्था वैश्विक समुदाय के साथ गति पकड़ने की स्थिति में है, तब इस क्षेत्र में भी व्यापक सुधार अपेक्षित हैं. इन्हीं सुधारों के लिए उठाये जाने वाले तमाम क़दमों में से एक कदम डिजिटल मुद्रा का भी है. आज जबकि डिजिटल भुगतान को लगभग सभी जगह होते देखा जा रहा है, तब सरकारी नियंत्रण से संचालित डिजिटल मुद्रा निश्चित ही भारतीय अर्थव्यवस्था में अपेक्षित सुधार लाएगी.  





 

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