आज की पोस्ट बस एक फोटो के बहाने से. ये फोटो नैनीताल टूर से लौटते समय की है, जबकि बस भीमताल में रोकी गई. बच्चों का बहुत मन था भीमताल देखने का, घूमने का. उनकी सक्रियता, ऊर्जा देखकर लग नहीं रहा था कि वे कई दिन के नैनीताल, रानीखेत के टूर से लौट रहे हैं. उनकी उसी ऊर्जा में हमने भी अपनी ऊर्जा समेट रखी थी.
बच्चों के साथ बच्चे बनकर यदि समय को गुजारा जाये तो वो यादगार समय बन जाता है. ये फोटो उसी का उदाहरण है. बच्चों की जिद थी कोई स्टाइलिश फोटो खींचने की. चूँकि रील का जमाना था ऐसे में बच्चों ने दो-तीन ही क्लिक करके कैमरा वापस कर दिया. बच्चों के द्वारा फोटोग्राफी में नया-नया हाथ आजमाने का एक रिजल्ट ये भी सामने आया कि तीन क्लिक में हमारी एक फोटो सही आई.
बस इसी कारण ये फोटो यादगार बन गई. यदि बाकी दो की तरह जरा सा भी एंगल बिगड़ जाता तो हम इसमें भी फ्रेम से बाहर हो जाते.
बहरहाल, हमें बहुत पसंद है अपनी ये फोटो, आखिर हमारे ग्रुप के बहुत छोटे-छोटे बच्चों ने इसे बहुत प्यार से निकाला है.
(अक्टूबर 2001, भीमताल, नैनीताल से लौटते समय)
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