1. अपर्चर मोबाईल
फोन और DSLR कैमरा दोनों के ही लेंस में लगा होता है.
2. किसी भी कैमरा
के लेंस में एक छेद बना होता है, जिसकी सहायता से सामने की रोशनी सेन्सर तक जा सके
उसे अपर्चर कहते हैं.
3. अपर्चर किसी भी
कैमरा लेंस का वह छेद होता है, जिसकी सहायता से रौशनी अन्दर
जाती है.
4. अपर्चर कई सारी
सतहों (लेयर) से मिलकर बना होता है, उसके आधार पर ही तय होता
है कि कितनी रौशनी अन्दर जाएगी.
5. अपर्चर को F
नंबर में गिना जाता है, जैसे – f/1.4, f/2.0, f/2.8, f/4.0, f/5.6,
f/8.0
6. अपर्चर का F
नंबर जितना छोटा होगा उसका छेद उतना ज्यादा बड़ा होगा, उससे ज्यादा रौशनी
अंदर जाएगी.
7. F नंबर जितना
बड़ा और ज्यादा होगा, अपर्चर का छेद उतना ही छोटा होगा. इससे
कम रौशनी लेंस से अंदर जा पाएगी.
8. रौशनी के कम
ज्यादा होने के कारण ही फोटो की डार्कनेस का निर्धारण होता है.
9. रौशनी के कम, ज्यादा होने की स्थिति में अपर्चर के द्वारा उसको समायोजित किया जा सकता
है.
10. किसी भी अपर्चर
(Aperture) वैल्यू सेट करने से पहले तीन चीजों पर ध्यान देना
चाहिए.
Available Light – रौशनी की स्थिति, Depth
of Field और Shutter Speed – शटर की स्पीड
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