किसी कंप्यूटर, स्मार्टफ़ोन
अथवा किसी भी तरह के डिजिटल डिवाइस पर पढ़ी जाने वाली किसी भी सामग्री को ऑनलाइन
लेखन के रूप में परिभाषित किया जाता है. इसे सामान्य
रूप में डिजिटल लेखन भी कहा
जाता है. ऑनलाइन लेखन अनेक रूपों में हमारे बीच उपस्थित रहता है. किसी भी डिजिटल
उपकरण के द्वारा पढ़े-लिखे-देखे जाने वाले संदेशों, टेक्स्ट
मैसेज, ईमेल, ब्लॉगिंग, ट्वीट या फिर सोशल मीडिया के अन्य सहायक माध्यम जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप
आदि पर लिखना या वहाँ पर टिप्पणियाँ करना भी ऑनलाइन लेखन के रूप में जाना जाता है.
किसी भी प्रकाशित सामग्री को कागज़ पर पत्रिका, पुस्तक के रूप
में पढ़ना और किसी सामग्री को स्क्रीन पर पढ़ने में अंतर होता है. ऑनलाइन पाठक बहुत
ज्यादा सामग्री को या कहें कि विस्तार से लिखे गए विषय को पढ़ने के कम इच्छुक रहते
हैं. इसी कारण से वे पढ़ते समय जल्द से जल्द पेज को आगे बढ़ाने में विश्वास रखते
हैं. ऐसी स्थिति में ऑनलाइन लेखन करने के भी अपने तरीके हैं,
अपनी विधियाँ हैं, ऑनलाइन लेखन करने वाले को इसका ध्यान रखना आना चाहिए.
ऑनलाइन लेखन किसी भी रूप में कठिन विधा नहीं है.
सामान्य रूप में हम सभी किसी न किसी रूप में ऑनलाइन लेखन करते ही हैं. किसी को मेल
करना, सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों पर किसी पोस्ट को लिखना
या फिर किसी पोस्ट पर कमेंट करना भी ऑनलाइन लेखन के अंतर्गत आता है. यहाँ सामान्य
रूप में कुछ बिंदु हैं, जिनका ध्यान ऑनलाइन लेखन के दौरान
रखा जाना चाहिए. इन्हीं के सतत अभ्यास से ऑनलाइन लेखन को प्रभावी बनाया जा सकता
है.
शीर्षक
को रोचक बनाना – ऑनलाइन लेखन में एक पल को सोशल मीडिया
में किसी पोस्ट पर की जाने वाली टिप्पणी को छोड़ दें तो ऑनलाइन लेखन का अपना ही
महत्त्व है. ऐसे में किसी भी सामग्री के लिए पाठकों की अधिकाधिक उपस्थिति सम्बंधित
पोस्ट के शीर्षक को प्रभावी बनाकर संभव है. यदि किसी सामग्री का शीर्षक प्रभावी और
रोचक है तो पाठक स्वतः उस सामग्री की तरफ आकर्षित होता है.
सामग्री
के संक्षेपण से आरम्भ – ऑनलाइन पाठन में एक बहुत बड़ी समस्या किसी भी
पाठक द्वारा समय की उपलब्धता है. बहुतायत में देखने में आता है कि ऑनलाइन पाठक कम
से कम समय में अधिक से अधिक सामग्री को पढ़ लेना चाहता है. ऐसे में वह किसी भी
सामग्री को पूरा पढ़ने के बजाय उसके संक्षेपण या कहें कि उसके सारांश को पढ़ना पसंद
करता है. यदि किसी पाठ्य-सामग्री का आरम्भ उसके सारांश से किया जाये तो संभव है कि
अपनी मनपसंद सागरी देखकर पाठक उसे पूरा पढ़ने के प्रति आकर्षित हो. यहाँ यह ध्यान
रखना बहुत आवश्यक है कि सारांश पूरी तरह से ऑनलाइन सामग्री से सम्बंधित-संदर्भित
हो. यदि ऐसा नहीं होता है तो पाठक अपने आपको ठगा हुआ महसूस करता है. ऐसी स्थिति
में सम्बंधित ऑनलाइन मंच पर पाठकों का ट्रैफिक कम होता जाता है.
सामग्री को उप-शीर्षकों (हेडिंग) में विभक्त करना – यदि पाठ्य-सामग्री बहुत विस्तार लिए है
तो बेहतर है कि सम्पूर्ण सामग्री को कई उप-शीर्षकों में बाँट दिया जाये. इससे पढ़ने
वाले व्यक्ति को अपने मनपसंद हेन्डिंग के द्वारा सामग्री को खोजना, पढ़ना सहज हो सकेगा. इस तरह से सामग्री भी
अलग-अलग स्पष्ट रूप में समझ आने लगती है.
सामग्री सहज ग्राह्य हो – ऑनलाइन लेखन में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तथ्य यह
है कि यहाँ पर सिर्फ टेक्स्ट लिखने भर से ही काम नहीं बनता है. ऑनलाइन लेखक द्वारा
बहुधा अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए, उसे और प्रमाणिक
बनाने के लिए, पाठकों तक सहज पहुँच बनाने के लिए
सामग्री में टेक्स्ट के साथ-साथ चित्रों का, वीडियो का उपयोग भी किया जाता है. ऐसी स्थिति में लेखक को ध्यान रखना
चाहिए कि टेक्स्ट सामग्री का अन्य सामग्री के साथ इस तरह का समन्वय हो कि वह
पाठकों को सहज रूप में स्वीकार हो, समझ आये. यदि
टेक्स्ट में अथवा अन्य सामग्री में किसी तरह के विरोधभास की स्थिति बनती है या फिर
किसी सामग्री के द्वारा भड़काने वाली, अश्लीलता जैसी
स्थिति बनती है तो वह भी सार्थक ऑनलाइन लेखन नहीं कहा जाता है.
क्लिष्ट शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए - लेख को लिखते समय यह भी ध्यान दिया जाना
चाहिए कि उसमें प्रयुक्त शब्द सामान्य बोलचाल के हों. अनावश्यक रूप से कठिन, क्लिष्ट, भारी-भरकम शब्दों के प्रयोग से बचा
जाना चाहिए. यदि लेख में सामान्य शब्द, सरल शब्द का
प्रयोग किया जायेगा तो पाठकों के लिए सामग्री को और उसमें दी गई जानकारी को समझना
आसान होता है. ऐसा होने से पाठकों में सम्बंधित साईट के प्रति और सामग्री के प्रति
रुचि बढ़ती है.
की-वर्ड का उपयोग किया जाना चाहिए – ऑनलाइन लेखन, पाठन में की-वर्ड किसी भी पाठ्य-सामग्री का मुख्य तत्त्व कहा जा सकता है. ऑनलाइन
सर्च इंजन में इन्हीं की-वर्ड्स के द्वारा सामग्री को खोजना सरल होता है. बहुत
सारे लेखकों के साथ यह समस्या होती है कि उनके द्वारा अत्यंत महत्त्वपूर्ण सामग्री
को ऑनलाइन लिखा गया होता है, उनके द्वारा सार्थक
पोस्ट की गई होती है मगर वह सामग्री उपयुक्त की-वर्ड्स के अभाव में पाठकों के
सामने नहीं आ पाती है. इसके लिए लेखकों को ध्यान रखना चाहिए कि वे की-वर्ड्स के
रूप में सम्बंधित लेख से जुड़े शब्दों का ही चयन करें. उसमें दी गई सामग्री किन-किन
बिन्दुओं पर केन्द्रित है, उसी को अपने की-वर्ड्स में शामिल किया
जाना चाहिए.
सामग्री में विषय से सम्बंधित लिंक भी देनी चाहिए – यह एक स्वाभाविक सी स्थिति होती है कि
जब कोई लेखक किसी लेख को लिखता है तो वह उसमें अनेक सन्दर्भों का उपयोग भी करता
है. कई बार वह अपनी बात को प्रमाणिक बनाने के लिए भी, अपनी बात में तर्क प्रस्तुत करने के लिए भी अन्य पाठ्य-सामग्री का सहारा
लेता है. ऑनलाइन लेखन में यह सुविधा रहती है कि लेखक अपनी बात को प्रमाणित करने के
लिए उपयोग की जाने वाली लिंक का, सम्बंधित
पाठ्य-सामग्री का हवाला दे सकता है. इसके लिए सम्बंधित बिन्दुओं पर, सम्बंधित जानकारी पर उस लिंक को लगाया जा सकता
है, जहाँ से वह सामग्री ली गई है या फिर
जहाँ से अपनी बात को कहने के लिए लेखक द्वारा तथ्य लिए गए हैं. इस तरह लिंक दिए
जाने से पाठक सीधे तौर पर उस वेबसाइट पर अथवा सम्बंधित मंच आर जाकर विस्तृत रूप
में सामग्री को देख-पढ़ सकता है. ऑनलाइन लेखन में अपने लेख में बीच-बीच में
महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं, जानकारी पर लिंक का लगाया जाना सम्बंधित
लेख को और अधिक प्रभावी बनाता है.
देखा जाये तो
ऑनलाइन लेखन ऑफलाइन लेखन के मुकाबले बहुत सहज और आसान हो गया है. इसके लिए उक्त
कुछ बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए अभ्यास किया जाये, लेखन किया जाये तो समय के साथ ऑनलाइन लेखन में परिपक्वता आती है, सामग्री में भी गाम्भीर्य आता है.
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