23 फ़रवरी 2022

जब प्यार करे दिल तो.....

समय ब्लैक एंड व्हाइट के ज़माने से रंगीन से गुजरता हुआ बहुरंगी होता चला गया. सेल्युलाइड की दुनिया वीनस गर्ल से निकल कर धक-धक गर्ल, मिर्ची गर्ल, कांटा गर्ल, चोली गर्ल की राह से गुजरती हुई नग्न-अर्धनग्न कमनीय बालाओं के साथ लगातार आगे बढ़ती रही. इन सबके बीच भी लोगों के स्वभाव बदले, रुचियाँ बदलीं, पसंद बदलीं, पसंदीदा व्यक्ति बदले. बदलाव के इस दौर में यदि कुछ बदलता न दिखा तो वो है अभिनेत्री मधुबाला के प्रति लोगों का आकर्षण. अपने समय में वीनस गर्ल के रूप में मशहूर मधुबाला के प्रशंसक आज भी उतने ही मिल जाते हैं, जितने कि उनके दौर में मिलते होंगे. ऐसा तब है जबकि उनको इस दुनिया को हमेशा-हमेशा को अलविदा कहे हुए आधी सदी से अधिक समय बीत गया है.

 

मधुबाला के प्रति आकर्षण के सम्बन्ध में जब हम खुद अपने को देखते हैं तो आश्चर्य होता है. हमारे इस संसार में आने के चार-पांच साल पहले मधुबाला इस संसार को अलविदा कह गई थी. हमारे समय की और उसके बाद जन्मने वाली पीढ़ी ने मधुबाला को सिर्फ परदे पर ही देखा है, टीवी पर देखा है और अब इंटरनेट के माध्यम से कई-कई सोशल मीडिया मंचों पर देख रही है. इस पीढ़ी ने कभी भी उनको लाइव रूप में नहीं देखा है, किसी कार्यक्रम में उनसे परिचय नहीं हुआ है, किसी समारोह में उनके साथ फोटो खिंचवाने का अवसर नहीं मिला है, किसी आयोजन में उनके ऑटोग्राफ लेने का मौका भी नहीं मिला है इसके बाद भी मधुबाला की मनमोहक छवि इस पीढ़ी के बीच भी जीवित है.

 

इंटरमीडिएट तक की शिक्षा के दौरान घर-परिवार में ही रहना हुआ. उसी दौरान परिवार के अनुशासन में जितना टीवी, वीडियो देखने को मिला उसी में पुरानी फिल्मों को खूब देखने का अवसर मिला. उस समय बहुत सारे अभिनेता-अभिनेत्रियों के बीच मधुबाला सर्वाधिक आकर्षक महसूस हुईं. हँसने का अंदाज, आँखों की शरारत और उनकी अदाकारी ने उनके प्रति अजब सी दीवानगी पैदा कर दी थी. घर के अनुशासन में, छोटे से घर में कभी हिम्मत ही नहीं कर सके कि मधुबाला के पोस्टर कमरे की दीवारों पर लगा सकते किन्तु पत्रिकाओं में, अख़बारों में कभी-कभी निकलती फोटो किताबों, कापियों की शोभा बनती. किताबों, कापियों के कवर के रूप में भी कभी-कभी मधुबाला का चित्र आँखों के सामने दिखता रहता. बाद में आगे की पढ़ाई के लिए जब बाहर निकलना हुआ तब अपनी इस इच्छा को जीभर कर पूरा किया गया. हॉस्टल के अपने कमरे में अलग-अलग अंदाज में मधुबाला अवतरित होने लगीं. हमारे कमरे में उसका चौबीस घंटे रहना हुआ करता था. जिस तरफ नजर दौड़ते मधुबाला ही मधुबाला नजर आती थी. कमरे की तीन दीवारों पर छोटे-बड़े कई रूपों में मधुबाला उपस्थित रहती थीं और एक दीवाल माधुरी दीक्षित के लिए रख छोड़ी थी.

 

बहुत से लोगों के लिए यह मजाक का विषय बन जाता है कि मधुबाला आज भी हमारे मोबाइल में, लैपटॉप में वॉलपेपर के रूप में उपस्थित रहती हैं. मधुबाला से कब प्रेम सा हो गया पता नहीं मगर जिस दिन से उनसे प्रेम जैसा कुछ हुआउस दिन से उनको अपने से अलग नहीं किया है. स्कूल के दिनों में हमारे कुछ दोस्त मधुबाला से चोरी-छिपे मिलवाने में हमारी मदद कर देते थे. कभी किसी पत्रिका के चित्र, कभी उन दिनों हीरो-हीरोइन के चित्रों वाले पोस्टकार्ड आकार के कार्ड गिफ्ट करके. चूँकि मधुबाला के प्रति हमारे इस प्रेम या आकर्षण के बारे में हमारे दोस्तों को, हमारे परिजनों को, हमारे सभी परिचितों को भली-भांति जानकारी है, सो गाहे-बगाहे मधुबाला से कोई न कोई किसी न किसी रूप में मुलाकात करवा ही देता है.

 


अभी कुछ वर्षों पहले हमारी भांजी ने हमारे जन्मदिन पर मधुबाला के चित्रों से अलंकृत एक डायरी हमें भेंट करके उससे मुलाकात करवा दी. वह डायरी आज भी हमारी बुक-सेल्फ में इस तरह से लगी हुई है कि उसकी छवि आँखों के सामने बनी रहती है. कई सारे दोस्त इस बात पर हमारी मौज लिया करते कि शादी के बाद मधुबाला की एक फोटो भी न लगा पाओगे, पोस्टर तो बहुत बड़ी बात है. ये दीवानगी ही कही जाएगी कि आज शादी को भी लगभग दो दशक होने को आये हैं मगर कमरे में मधुबाला अपने पूरे सौन्दर्य के साथ ज्यों की त्यों उपस्थित हैं. तकनीकी दौर ने हाथों में मोबाइल पकड़ाया तो मधुबाला कमरे के साथ-साथ वहाँ भी उपस्थित रहने लगीं.

 

संभव है कि आज की एकदम नवोन्मेषी पीढ़ी ने सौन्दर्य के प्रतिमान बदल दिए हों. उसके लिए सौन्दर्य का सम्बन्ध कम वस्त्रों से, कामुक मुद्राओं से, अर्धनग्न प्रदर्शन से, आधुनिकता के नाम पर फूहड़ता से होने लगा हो किन्तु इसके बाद भी बहुतायत में ऐसे युवा आज भी मिलते हैं जो मधुबाला के प्रशंसक हैं. आज २३ फरवरी को मधुबाला की पुण्यतिथि है. उनको श्रद्धा-सुमन इस आकांक्षा के साथ कि उनका अप्रतिम मनमोहक रूप-सौन्दर्य सदैव समाज में अंकित रहे. वीनस गर्ल के रूप में उनकी छवि और भी चमकती रहे.



(यह इस ब्लॉग की 2150वीं पोस्ट है.)

1 टिप्पणी:

  1. सुंदरता में तो कोई मुकाबला ही नहीं मनमोहक स्मित भी अप्रितम ही रहेगी।अच्छा लिखा है कई मधुबाला प्रंशसको की भावनओं को शब्द मिल गए होंगे।

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