20 अक्तूबर 2021

पैरा शूटिंग खिलाड़ियों हेतु वर्गीकरण

अस्त्र-शस्त्र के प्रति बचपन से ही एक तरह का लगाव रहा है. घर में भी हथियार होने के कारण उनके सञ्चालन को लेकर, रख-रखाव को लेकर कोई असमंजस नहीं रहा. बचपन से फायरिंग के प्रति रुचि होने के कारण प्रदर्शनी, मेला आदि में गुब्बारे फोड़ कर अपने मन को बहला लिया करते थे. बाद में कॉलेज के समय में एनसीसी कैम्प के चलते असली बन्दूक चलाने का मौका मिलता रहा. इसके अलावा विजयादशमी पूजन के पश्चात् बन्दूक,. रिवाल्वर के द्वारा भी फायरिंग करने का अवसर मिलता रहा. इस रुचि को खेल के माध्यम से पूरा करने का मौका उस समय मिला जबकि उरई में एक शूटिंग रेंज का उदघाटन हुआ. कुछ महीनों के बाद शूटिंग रेंज के द्वारा दस मीटर एयर रायफल को अपनी स्पर्धा के लिए चुना.


कोई ढाई-तीन महीने के नियमित अभ्यास के दौरान जानकारी हुई उत्तराखंड में देहरादून में होने वाली स्टेट चैम्पियनशिप के बारे में. उस राज्य स्तरीय स्पर्धा में सहभागिता करने का पूरा मन बना लिया. इसके पीछे एक तो हमारा अपना विश्वास था और इसके अलावा शूटिंग स्पर्धा को करीब से देखने का मन भी था. किसी शूटिंग चैम्पियनशिप में पहली बार सहभागिता करने के हिसाब से परिणाम उत्साहित करने वाले थे. दस मीटर एयर रायफल में चौथा स्थान मिला किन्तु प्राप्त अंकों के अनुसार नेशनल खेलने के लिए चयनित हुए. इसी के साथ पचास मीटर .22 रायफल स्पर्धा में रजत पदक प्राप्त हुआ. हमारी मुख्य स्पर्धा दस मीटर एयर रायफल ही थी, इसलिए उसमें नेशनल हेतु चयनित होने पर ख़ुशी बहुत ज्यादा थी. नेशनल में खेलने के अनुसार अभ्यास, तैयारी शुरू कर दी गई.


इस अभ्यास, तैयारी को उस समय विराम लग गया जबकि जानकारी हुई कि अभी नेशनल इवेंट नहीं हो रही है. उसके बाद जनवरी-फरवरी 2020 से कोरोना का जो हंगामा शुरु हुआ, वह किसी से छिपा नहीं है. पिछले डेढ़-दो साल इसी ऊहापोह में निकल गए. इसी दौरान जानकारी हुई कि पैरा स्पोर्ट्स के लिए आगे खेलने हेतु वर्गीकरण अनिवार्य है. इस हेतु भी अपनी सक्रियता बनाई गई. इसी माह जानकारी हुई कि दिल्ली में वर्गीकरण होने वाला है. उसके लिए सम्बंधित प्रक्रिया को पूरा किया गया और आखिर निर्धारित तिथि पर हमारा वर्गीकरण हो गया. आप सभी को यहाँ जानकारी दे दें कि हम पैरा के रूप में शूटिंग स्पर्धा में सहभागिता करते हैं. ऐसे में यहाँ के लिए निश्चित किये गए वर्गीकरण को करवाना आवश्यक होता है. दिल्ली में 17 अक्तूबर को हुए हमारे वर्गीकरण में हमें SH1A वर्ग में शामिल किया गया है. एक आवश्यक काम तो संपन्न हो गया, अब बाकी का काम तैयारी करना, अभ्यास करना तो है ही साथ ही पैरा इवेंट का इंतजार करना भी है.




वर्गीकरण की इस प्रक्रिया से गुजरने के दौरान जाना कि इस शूटिंग स्पर्धा में किस तरह से वर्गीकरण किया जाता है. इस बारे में एक संक्षिप्त जानकारी आप लोगों के साथ साझा कर रहे हैं. 


पैरा खेलों में निशानेबाजी का वर्गीकरण यह निर्धारित करने का आधार है कि कौन सा खिलाड़ी किस वर्ग में प्रतिस्पर्धा कर सकता है. निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा स्थापित करने के लिए वर्गीकरण का उपयोग किया जाता है. इससे सम्बंधित वर्ग में उसी वर्गीकरण वाले खिलाड़ियों के बीच आपस में प्रतिस्पर्धा होती है. पैरा शूटिंग के लिए तीन वर्गीकरण हैं, वर्गीकरण प्रणाली कार्यात्मक क्षमता पर आधारित है. अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मूल रूप से पांच वर्गीकरण थे. बार्सिलोना खेलों के बाद कार्यक्षमता की निष्पक्ष पहचान के चलते आईपीसी ने 2003 में एक नई वर्गीकरण प्रणाली विकसित करने की योजना बनाई. यह वर्गीकरण प्रणाली 2007 में प्रभावी हुई. इसके अंतर्गत दस विभिन्न विकलांगता प्रकारों को परिभाषित किया गया. बाद में 2011 में इस वर्गीकरण को तीन कर दिया गया. इन स्पर्धाओं में शारीरिक अक्षमता वाले पुरुष और महिला एथलीट प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं. राइफल और पिस्टल स्पर्धाओं के साथ पुरुषों, महिलाओं की खड़े होकर और व्हीलचेयर पर बैठकर मिश्रित प्रतियोगिताएं होती हैं. बाद में इन स्पर्धाओं में दृष्टिबाधित खिलाड़ी भी प्रतिस्पर्धा करने के पात्र माने जाने लगे.


वर्गीकरण सामान्य रूप में तीन प्रकार से किया जाता है- SH1, SH2, SH3. पैरालंपिक खेलों में केवल SH1 और SH2 वर्गों का प्रतिनिधित्व किया जाता है, जो विश्व शूटिंग पैरा स्पोर्ट वर्गीकरण नियमों और विनियमों पर आधारित है.


SH1 के अंतर्गत वे खिलाड़ी या निशानेबाज़ आते हैं जो बिना स्टैंड के अथवा बिना सहारे के रायफल से निशाना लगाने में सक्षम हैं.

SH2 वर्ग में शामिल निशानेबाजों को निशाना लगाने के लिए रायफल को सहारा देने की आवश्यकता होती है.

SH3 वर्ग में दृष्टिबाधित खिलाड़ी शामिल किये जाते हैं. इन खिलाड़ियों को आवाज के माध्यम से निशाना लगाना होता है.


पैरालंपिक में दो वर्गीकरण ही मान्य हैं, SH1 और SH2. इन दो वर्गों में खिलाड़ियों को पुनः वर्गीकृत किया जाता है.


SH1 उपवर्ग 

इन उपवर्गों का उपयोग अनुमत बैकरेस्ट की ऊंचाई निर्धारित करने के लिए किया जाता है. यदि प्रतियोगी खड़े होकर प्रतिस्पर्धा करते हैं तो उन्हें केवल साधारण कृत्रिम अंग/ऑर्थोसिस द्वारा सहारा मिलना चाहिए. आर्म प्रोस्थेसिस में निश्चित कोहनी नहीं होनी चाहिए या राइफल को पकड़ना नहीं चाहिए. SH1 के भीतर वर्गीकृत सभी प्रतियोगी SH1 वर्ग में प्रतिस्पर्धा करते हैं, चाहे उनका उप-वर्गीकरण कुछ भी हो.


SH1Aइसमें खिलाड़ी बैठे या खड़े होकर प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं. कोई बैकरेस्ट की अनुमति नहीं होती है.

SH1B - खिलाड़ी बैठ कर प्रतिस्पर्धा करते हैं. इसमें निचले अंगों में गंभीर हानि लेकिन श्रोणि में सामान्य कार्य शामिल होता है. इस वर्ग में खिलाड़ियों को कम बैकरेस्ट की अनुमति होती है.  

SH1Cइसमें खिलाड़ी बैठ कर खेल सकते हैं. निचले अंगों का कार्य नहीं करना अथवा निचले अंगों में गंभीर हानि के साथ-साथ धड़ में हानि का होना शामिल होता है.


SH2 उप वर्ग 

इन उप-वर्गों का उपयोग बैकरेस्ट की अनुमति पूर्ण ऊंचाई और स्प्रिंग के लचीलेपन को निर्धारित करने के लिए किया जाता है. IPC द्वारा प्रमाणित शूटिंग स्टैंड के अलावा राइफल को सपोर्ट करने के लिए किसी अन्य डिवाइस की अनुमति नहीं होती है. SH2 के भीतर वर्गीकृत सभी प्रतियोगी SH2 वर्ग में प्रतिस्पर्धा करते हैं, चाहे उनका उप-वर्गीकरण कुछ भी हो.


SH2Aइसमें खिलाड़ी बैठे या खड़े होकर प्रतिस्पर्धा करते हैं. दोनों ऊपरी अंगों की गंभीर हानि या एक ऊपरी अंग का काम न करना इसमें शामिल होता है. कोई बैकरेस्ट की अनुमति नहीं है.

SH2B - खिलाड़ी बैठ कर प्रतिस्पर्धा करते हैं. कम बैकरेस्ट की अनुमति रहती है.

SH2Cइसमें एथलीट बैठ कर प्रतिस्पर्धा करते हैं. निचले अंगों में गंभीर हानि होती है या उनसे कार्य नहीं लिया जा सकता है.


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