टोक्यो ओलम्पिक के बाद इस समय टोक्यो पैरालम्पिक चर्चा में है. ये और बात है कि ओलम्पिक की तरह मीडिया में इनको बहुत ज्यादा स्थान नहीं मिल पा रहा है मगर हमारे देश के खिलाड़ी लगातार बेहतरीन प्रदर्शन करके पैरालम्पिक खेलों की तरफ जनसामान्य का ध्यान खींच रहे हैं. पैरालम्पिक खेल अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली खेल प्रतियोगिता है. इस प्रतियोगिता में मुख्य रूप से वे खिलाडी सहभागिता करते हैं जो शारीरिक अथवा मानसिक रूप से दिव्यांग (विकलांग) की श्रेणी में आते हैं.
यदि इतिहास की दृष्टि से देखें तो जानकारी मिलती
है कि पैरालंपिक खेलों को दूसरे विश्व युद्ध में घायल हुए सैनिकों को मुख्यधारा
में लाने के उद्देश्य से आरम्भ किया गया था. सन 1948 में दूसरे
विश्व युद्ध में घायल हुए सैनिकों की स्पाइनल चोट को ठीक करने के लिए न्यूरोलोजिस्ट
गुडविंग गुट्टमान ने रिहेबिलेशन कार्यक्रम के लिए खेलों का चयन किया. उस समय इन
खेलों को अंतरराष्ट्रीय व्हीलचेयर गेम्स के नाम से पहचान मिली थी. कालांतर में सन 1960
में रोम में पहले पैरालम्पिक खेल हुए. इसमें सैनिकों के साथ-साथ आम नागरिक
भी भाग ले सकते थे. इन खेलों में उस समय 23 देशों के 400
खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया. ब्रिटेन के मार्गेट माघन पैरालंपिक
खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले एथलीट बने. उन्होंने तीरंदाज़ी में स्वर्ण
पदक जीता. इस पहले पैरालम्पिक खेलों में तैराकी को छोड़कर खिलाड़ी सिर्फ व्हीलचेयर
के साथ ही भाग ले सकते थे. समय के साथ पैरालम्पिक खेलों में बदलाव होते गए और सन 1976
में अन्य पैरा खिलाड़ियों को भी इन खेलों में भाग लेने के लिए
आमंत्रित किया गया.
पैरालम्पिक में सहभागिता करने वाले खिलाड़ियों को
उनकी शारीरिक स्थिति के आधार पर श्रेणीबद्ध किया जाता है. उनको अलग-अलग श्रेणियों
में रखे जाने के पीछे उद्देश्य यह होता है कि मुकाबला बराबरी का रहे. जैसे हाथ से
विकलांग खिलाड़ियों को एक वर्ग में, पैरों से विकलांग
खिलाड़ियों को एक अलग वर्ग में रखा जाता है. इसके अलावा पैरालम्पिक खिलाड़ियों के
वर्गीकरण में उनकी शारीरिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उनकी श्रेणी का निर्धारण
किया जाता है.
किसी खिलाड़ी को पैरा खिलाड़ी मानने के दस मानदंड
हैं-
1. माँसपेशियों की दुर्बलता
2. जोड़ों की गति की निष्क्रियता
3. किसी अंग में कोई कमी
4. टाँगों की लम्बाई में अंतर
5. छोटा क़द
6. हाइपरटोनिया यानी माँसपेशियों में जकड़न
7. शरीर के मूवमेंट पर नियंत्रण की कमी
8. एथेटोसिस यानी हाथ-पैरों की उँगलियों की धीमी
गति
9. नज़र में ख़राबी
10. सीखने की अवरुद्ध क्षमता.
श्रेणीकरण के साथ-साथ खेलों का भी वर्गीकरण किया
जाता है. फील्ड की प्रतियोगिताएं एफ कोड के साथ जानी जातीं हैं. इसमें शॉटपुट,
जेवलिन थ्रो, डिसकस थ्रो आदि शामिल हैं. विकलांगता
के हिसाब से इन खेलों में लगभग 31 श्रेणियाँ होती हैं. ट्रैक
की प्रतियोगिताओं को टी से परिभाषित किया जाता है. इसमें दौड़ और कूदने जैसी
प्रतियोगिताएँ शामिल हैं. इन खेलों में 19 श्रेणियाँ होती
हैं. सभी खेल स्पर्धाओं को विकलांगता के अनुसार अलग-अलग नंबरों में बाँटा जाता है.
जैसे फील्ड की स्पर्धाओं में एफ़-32, एफ़-33, एफ़-34 आदि नंबर देखने को मिलते हैं. यहाँ इन्हीं
नंबरों के अनुसार विकलांगता की स्थिति को पहचाना जाता है. जिस स्पर्धा में जितना कम
नंबर होता है, उसकी उतनी ही अधिक विकलांगता होती है.
फील्ड और ट्रैक की प्रतियोगिताओं के अलावा,
तीरंदाज़ी, बैडमिंटन, साइकिलिंग,
निशानेबाज़ी, ताइक्वांडो, जूडो तथा चार व्हीलचेयर वाले खेल (बास्केटबॉल, रग्बी,
टेनिस और तलवारबाजी) भी पैरालम्पिक में खेले जाते हैं. व्हीलचेयर पर
खेले जाने वाले खेलों की पहचान डब्ल्यूएच-1 या डब्ल्यूएच-2
के नाम से की जाती है. इन खेलों में भी जो खेल खड़े होकर खेले जाते
हैं उनको एस से पहचाना जाता है. इसको भी दो अलग-अलग विकलांगता श्रेणियों में बाँटा
गया है. यदि शरीर के ऊपरी हिस्से में विकलांगता होती है तो एस के साथ यू लिखा होगा, जिसका अर्थ है अपर लिंब. इसी तरह यदि एस के आगे एल लिखा है तो इसका अर्थ
हुआ कि शरीर के निचले हिस्से (लोअर लिंब) में विकलांगता है.
पैरालम्पिक खेलों में खिलाड़ियों के चयन के लिए इंटरनेशनल
पैरालंपिक कमेटी (आईपीसी) द्वारा मानक का निर्धारण किया गया है. इसमें भी ये
आवश्यक नहीं कि किसी खिलाड़ीद्वारा इस मानक इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेने के बाद भी
उसे चयनित नहीं माना जा सकता. ऐसा इसलिए क्योंकि आईपीसी द्वारा प्रत्येक देश एक
निश्चित कोटा है, इस निर्धारित कोटे से ज्यादा ख़िलाड़ी भाग नहीं ले सकते. ऐसे में
यदि निर्धारित कोटे से अधिक ख़िलाड़ी निर्धारित मानक लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं उन
खिलाड़ियों के बीच फ़ाइनल सेलेक्शन ट्रायल करवाया जाता है. इसमें चयनित खिलाड़ी ही
अंतिम रूप से पैरालम्पिक के लिए चयनित होते हैं. इसके अलावा विश्व रैंकिंग के आधार
पर भी खिलाड़ियों का चयन होता है.
वर्तमान में देश की तरफ से अनेक खिलाड़ी टोक्यो
में अपना प्रदर्शन करने के लिए गए हैं. उन सभी को शुभकामनाएँ.
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