14 मई 2021

पारिवारिक सहयोग और आत्मविश्वास से हराया कोरोना को

कोरोना ने सबसे पहले जकड़ा था ज्योति, मेरी भाभी, सबसे छोटे भाई की पत्नी को. उसे तुरंत आइसोलेट किया गया. वृद्ध सास-ससुर के मन को संभालने-समझने वाली विनम्र ज्योति के सामने वायरस-असुर टिक नहीं पाया, दो दिन के ज्वर के बाद भाग निकला. फिर 6-7 दिन बाद संदीप, ज्योति के पति, मेरे छोटे भाई पर उसने पूरी तैयारी के साथ धावा बोला. ठण्ड के साथ तेज बुखार. उसके आइसोलेशन में जाने के साथ गृहस्थी की पूरी जिम्मेदारी मम्मी के कन्धों पर आ गई.


संदीप ने एक-दो दिन देखने के बाद संजय भैया को खबर की जो मुझसे छोटा भाई हैसंजय और नीना ने दूसरे शहर में रहते हुए भी चिकित्सा पर निगरानी शुरू कीउन्होंने डॉक्टर से सम्पर्क रखा और रात को जाग-जाग कर ऑक्सीजन-लेवल पर नज़र रखीतीन-चार दिन के बाद जैसे ही ऑक्सीजन लेवल घटना शुरू हुआमेरी प्रिंसिपल भाभी नीना ने एम्बुलेंस बुलाकर संदीप को ज्योति के साथ अस्पताल भिजवाया और दोनों दमुआ से नरसिंहपुर आ गएबिना आराम किए दिन-दिन भर काम कर सकने वाली हमारी 82 साल की मम्मी के लिए घर संभालना कठिन नहीं है पर इस समय आशंका और चिंता से टूटी हुई थींऐसे में बड़े बेटे-बहू के आने से उन्हें निश्चित ही हौसला मिला.


संजय ने संदीप को अस्पताल ले जाकर ड्रिप लगवाईं दो-तीन दिनतब इन्फेक्शन कम होने के कारण डॉक्टर ने घर में रखकर चिकित्सा कराने की सलाह दी थीऑक्सीजन-लेवल मेंटेन करने के लिए संजय के घनिष्ठ मित्र सुनील जायसवाल ने कन्सेन्ट्रेटर दियाएकबारगी लगाअब अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगीसीटी स्कैन स्कोर था और चिकित्सा डॉक्टर के परामर्श पर ही चल रही थी पर दो दिन बाद लगाभर्ती करना ही उचित होगा.


डॉ. नीखरा के कोविड अस्पताल में ऑक्सीजन-बेड के लिए संजय और सुनील ने काफ़ी प्रयास किया पर वे खाली नहीं थेइतना डरावना समय हैसचमुच कहीं कोई खाली बेड खाली नहीं है पर सामान्य बेड उसे मिल गया और निजी स्तर पर ऑक्सीजन-सिलिंडर की सतत आपूर्ति संजय और संदीप के मित्रों के माध्यम से हमने रखी.


संजय ने अस्पताल-घर एक कर दियाचिकित्सा के दौरान हर समय संदीप के पीछे खड़े रहेनीना ने घर से मोर्चा संभाले रखासंजय की दौड़-धूप और युवा डॉ. अभिषेक नीखरा की कुशल चिकित्सा से संदीप दिन बाद स्वस्थ हो गएअभी भी बहुत निगरानी आवश्यक है.


मैं अपने सभी मित्रों- रिश्तेदारों के प्रति कृतज्ञ हूँ जिन्होंने मुझे संदेश भेजेफोन कियेलगातार अपडेट लेते रहे और मनोबल बढ़ाते रहेमैंने रात ढाई बजे ऑक्सीजन सिलिंडर के लिए पोस्ट डाली थीइतनी रात से मुझे मित्रों ने मदद के संदेश देने शुरू कियेयह उपकार हैबचपन से सखीअनिता केसकर मैं जानती हूँ उसे कभी भी पुकार सकती हूँअचला जायसवाल ने कई बार फोन किया... वीना बुंदेला... श्री नरेंद्र सतीजा जीजिनकी सूचना से सिलिंडर मिला... श्री पलाश सुरजन जी...डॉ. लोकेन्द्र सिंह जी... मधुर माहेश्वरी जीमुकेश नेमा... अमृता जैन देव... पंकज नेमा... आभार कहना नाकाफी होगा.


नहीं भूल सकते कमलेश की नि:स्वार्थ और अथक सहायताओं कोउसने गृह-सहायक से अधिक पारिवारिक सदस्य की तरह जिम्मेवारी संभाली.


बहुत सावधानी रखें आप सबघर में कोरोना की दस्तक एक बहुत बड़ी परीक्षा है.


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नागपुर निवासी दीप्ति कुशवाह जी के शब्दों में ही उनके परिजनों की कहानी. कोरोना संक्रमण से किस तरह आत्मविश्वास, सहयोग और पारिवारिक अपनत्व के द्वारा पूरा परिवार  स्वस्थ हुआ. कोरोना विजेता के रूप में दीप्ति जी के सभी परिजनों का, सहयोगियों का हार्दिक वंदन-अभिनन्दन. 

 फेसबुक से साभार ली गई इस पोस्ट को यहाँ क्लिक करके देखा जा सकता है. 


दीप्ति कुशवाह जी के बारे में यहाँ से जानें. 


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कोरोना को हराकर बहुत सारे लोग स्वस्थ हुए हैं. ऐसे कोरोना विजेताओं की कहानियों को आप सबके बीच लाने का एक प्रयास है. इसके लिए कोरोना विजेता ब्लॉग आरम्भ किया है. यह उस ब्लॉग की पहली कहानी है. 

शेष कोरोना विजेताओं से परिचित होने के लिए, उनकी कहानी जानने के लिए आपको कोरोना विजेता ब्लॉग पर जाना होगा.

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