कोरोनाकाल फिर एक बार सबको डराने में लगा है. इस डर
के पीछे एक कारण लोगों का अनावश्यक रूप से दहशत फैलाना भी है. बहुतेरे लोग ऐसा
जानबूझ कर करने में लगे हैं और बहुत से लोग ऐसे हैं जो ऐसा अनजाने में करने में
लगे हुए हैं. कोरोना संक्रमित लोगों में से बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो पूरी तरह से
स्वस्थ होकर वापस आये हैं. सरकारी आँकड़ों पर ध्यान न देकर यदि अपने आसपास ही नजर
दौड़ाएं तो हमें बहुत से लोग ऐसे मिल जायेंगे जो स्वस्थ हो गए हैं. इसके बाद भी हम
सभी को सोशल मीडिया पर लोगों के निधन की खबरें ही बहुतायत में देखने-सुनने को मिल
रही हैं. इससे एक दहशत भरा माहौल सोशल मीडिया पर बना हुआ है.
दरअसल इसे भी एक ट्रेंड की तरह से देखा जा सकता है.
ऐसा इसलिए क्योंकि वर्तमान समय में सबकुछ बाजार की तरह से हमारे सामने आता है. यही
बाजार अब हर एक काम के लिए एक तरह का ट्रेंड बना देता है. यही ट्रेंड आजकल चल पड़ा
है कि यदि किसी की मृत्यु की सूचना दी जाती है तो तमाम ऐसे लोगों में शोक संवेदना
व्यक्त करने की होड़ मच जाती है जो उस दिवंगत व्यक्ति की बीमारी की खबर पाकर उसका
फोन भी नहीं उठाते थे. दिवंगत के अपरिचित होने के बाद भी ये भेड़चाल मची रहती है.
ठीक है, हमारी संस्कृति,
परम्परा में दिवंगत के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करना है मगर बहुत
से काम देशकाल, परिस्थिति के अनुसार भी करने चाहिए.
समस्त संवेदनशील लोगों से अनुरोध है कि विभिन्न
स्त्रोतों से प्राप्त शोक संदेश को सूचना के तौर पर पढ लें और मन ही मन ईश्वर से
आत्मा की मोक्षप्राप्ति की प्रार्थना करें. लगातार ॐ शान्ति, दुखद, RIP इत्यादि
लिखकर अस्वस्थ लोगों का मनोबल न गिराएं. बेहतर हो कि दिवंगत के परिजनों से मिलकर
या उन्हें फोन कर उनके समक्ष अपनी भावनाएँ व्यक्त करें.
बिलकुल सही लिखा है सर आपने। आजकल सोशल मीडिया पर तो भसड़ मची हुई है..
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