वर्ष 2020 को कोरोना के चलते बहुत बुरा समझा जा रहा था। देश, विदेश में तमाम परिवारों ने इस वर्ष में अपने परिजनों को खोया, निश्चित ही ऐसे परिवारों के लिए वर्ष 2020 अत्यंत दुखद, कष्टकारी कहा जाएगा। उस वर्ष के जल्द गुजर जाने और आने वाले वर्ष के सुखद, सुखमय होने की कामना लगातार की जा रही थी।
वर्ष 2021 का आना हुआ। लोगों ने बीते दिनों के कष्टों, दुखों को भुलाते हुए नये साल का स्वागत किया। किस-किस के लिए यह वर्ष खुशियों को लेकर आया, किस-किस के लिए सुखद अनुभूति के साथ आया पता नहीं पर व्यक्तिगत हमारे परिवार के लिए अत्यंत दुखद, कष्टकारी पल लेकर आया। ऐसा दुख जिसे चाहकर भी न भुलाया जा सकता है। परिवार के युवा सदस्य का अचानक, असमय हमेशा-हमेशा को चले जाना घोर कष्टकारी है। हमारे सबसे छोटे भाई के जाने का दुःख एकबारगी हम भाइयों के लिए समय के सहन कर लिया जाएगा पर अम्मा को ताउम्र इस कष्ट से मुक्ति मिलना सम्भव नहीं।
साल का पहला महीना, पहला सनातनी पर्व, मकर संक्रांति ज़िन्दगी भर के लिए एक दुख देकर चला गया। अब बस यादें हैं, आँसू हैं, दर्द है, पीढ़ा है। एक रिक्तता के साथ आगे बढ़ना है, दर्द को महसूस करते हुए उसी दर्द के साथ आगे बढ़ना है।
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वंदेमातरम्
ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे और आप सभी को यह असीम दुख सहने की शक्ति दे 🙏
जवाब देंहटाएंऊँ शांति शांति शांति
इस वर्ष सचमुच कई लोगों ने अपनों को खोया है। ईश्वर सभी को दुःख सहन करने की शक्ति दे।
जवाब देंहटाएंईश्वर आपके पूरे परिवार को इस अपार दुख को सहने की शक्ति दे। दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें!--ब्रजेंद्रनाथ
जवाब देंहटाएंदुखद !
जवाब देंहटाएंदारूण आघात।
धैर्य धारण किजिए नियति के सामने सब बेबस हैं दिवंगत आत्मा शांति पथ को अग्रसर हो।