वर्ष 2020 क्या हम लोगों को याद रहेगा? ये सवाल इसलिए क्योंकि विगत कुछ दिनों से सोशल मीडिया में, मीडिया में, आपसी बातचीत में इसी साल की चर्चा हो रही है. सभी लोग कामना कर रहे हैं कि ये बुरा साल (उनके हिसाब से) बीते और नया अच्छा साल आये. कुछ लोगों का कहना है कि यह वर्ष 2020 कभी भी भुलाया नहीं जा सकेगा. फिर वही सवाल क्या वाकई ऐसा हो सकेगा? ऐसा इसलिए क्योंकि अभी इसी वर्ष के माह मार्च में जनता कर्फ्यू लगने के तुरंत बाद ही लॉकडाउन लगा दिया गया था. उसके बाद मीडिया में, सोशल मीडिया में न केवल देशव्यापी बल्कि विश्वव्यापी आँकड़े दिखाए जाने लगे. हर तरफ से ऐसी खबरें सामने आने लगीं जैसे कि कोई भयावह राक्षस हर घर में घुसकर सभी को खा जाने पर आतुर है. लोगों में भय, आशंका इस कदर थी कि वे सुनसान गली में भी अपने घर के बाहर निकलने से परहेज कर रहे थे.
समय का चक्र कभी रुका नहीं रहता, सो कोरोना की भयावहता पर भी नहीं रुका. मौतों, बीमारों के आँकड़ों के बीच स्वस्थ होने की सुखद खबरें भी आती रहीं. लोगों के स्वस्थ होने का प्रतिशत लगातार बढ़ते रहने से भी लोगों में आशा का संचार होने लगा. इसी बीच वैक्सीन बनने-बनाने, उसके परीक्षण आदि की खबरों ने भी लोगों में संतोष का भाव जगाया. लॉकडाउन के दौरान जीवन को निरुद्देश्य बताते-मानते लोगों के बीच अनलॉक की प्रक्रिया आरम्भ होने से जीवन के प्रति सकारात्मकता जगी. इसी में धीरे-धीरे अनलॉक को क्रमिक रूप से लागू करते हुए बहुत सारे प्रतिबंधों को दूर कर दिया गया. बहुत सारे कामों को पहले की तरह किये जाने पर जोर दिया जाने लगा. इन सबके बीच सरकार ने सभी को सुरक्षित रहने का सन्देश देने का काम बराबर किया. लोगों को मास्क लगाने, हाथ धोते रहने, शारीरिक दूरी बनाने का सन्देश लगातार सबके बीच प्रत्येक मंच से पहुँचाते रहने का काम सरकारी, गैर-सरकारी मंचों से होता रहा. इसके बाद भी आज बहुतायत लोगों में कोरोना को लेकर, खुद को सुरक्षित रखने को लेकर लापरवाही देखने को मिल रही है.
बाजारों में भीड़, मॉल में भीड़, ऑफिस में शारीरिक दूरी का पालन यथोचित रूप में न दिखना आदि लोगों की लापरवाही को, भूलने की आदत को ही दर्शाता है. भूलने की आदत कोई इसी बीमारी के प्रति ही नहीं है बल्कि हम भारतीयों में यह आम बीमारी है. हम सभी लोग बहुत जल्दी अपने आसपास की घटनाओं को भूल जाते हैं. हमने अपने आसपास की छोटी-छोटी घटनाओं को ही नहीं भुलाया है बल्कि देशव्यापी घटित हुई बड़ी-बड़ी घटनाओं को, वीभत्स घटनाओं को, जघन्य हत्याओं को भी लगातार भुलाने का काम किया है. किसी एक घटना का जिक्र करना बाकी सभी घटनाओं के साथ अन्याय होगा, आप स्वयं अपने दिमाग पर जोर डालकर देखिये और विचार करिएगा कि आपको कौन-कौन सी घटनाएँ, कौन-कौन सा वर्ष भली-भांति याद है. अपनी भूलने की आदत के चलते जल्द ही हम सभी इस वर्ष 2020 को भी भुला देंगे. यह क्षणिक भावुकता है, क्षणिक संवेदना है अन्यथा की स्थिति में देश के बहुत से वर्ष ऐसे निकले हैं जबकि उनमें इस बीमारी से ज्यादा जघन्य घटनाएँ हुई हैं, इससे ज्यादा दिल दहलाने वाली वारदातें हुई हैं.
भूलने की यह बीमारी बहुत हद तक सही भी है. कम से कम इससे दुखों को बहुत लम्बे समय तक ढोते रहने से बचा रहा जाता है. बीते समय के दुःख को भुलाकर आने वाले समय को सुखद बनाने के लिए तत्पर रहने के स्वभाव से हम सभी जल्द ही इस वर्ष 2020 को भूलें और आने वाले अपने समय को सुखमय बनाएँ.
(वर्ष 2020 की अंतिम पोस्ट)
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