कोरोना काल की लम्बी समयावधि की प्रशासनिक बंदिश के बाद इधर अब शादी समारोहों, विवाह आयोजनों का आरम्भ पुनः होने लगा है. इसे लोगों की सक्रियता कहें या फिर प्रशासनिक सख्ती कि अभी तक वैवाहिक आयोजनों में लोगों की पहले जैसी भीड़ नहीं दिख रही है. इधर कुछ आयोजनों में शामिल होने का अवसर मिला और कुछ आयोजनों को होते देखा तो उस तरह की भीड़ या भगदड़ देखने को नहीं मिली जो कोरोना काल के पहले देखने को मिलती थी. कोरोना के चलते या फिर प्रशासनिक सख्ती के चलते यदि विवाह समारोहों में भीड़ का आना कम हो जाये तो स्वतः ही बहुत सा अपव्यय रुक जाये. इधर अब एक ही तिथि में कई-कई वैवाहिक आयोजन होते हैं और एक-एक व्यक्ति को कई-कई जगहों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवानी होती है. ऐसे में भोजन सहित अन्य तमाम व्यवस्थाओं का अपव्यय तो होता ही है. इस तरह की कम संख्या में संपन्न होने वाले ऐसे आयोजनों से जहाँ एक तरफ इस तरह के अपव्यय रुक सकेंगे वहीं दूसरी तरफ आर्थिक रूप से कमजोर लोगों पर भी आर्थिक बोझ कम आएगा.
आज का समाज बहुत हद तक दिखावटी व्यवहार करने में अपनी ख़ुशी खोजने लगा है. उसके द्वारा बनावटी काम किया जाना भले ही उसे एक क्षण को ख़ुशी दे देता हो मगर दीर्घकालिक रूप से उसे कष्ट ही देता होगा. ऐसा उन लोगों के मामलों में शत-प्रतिशत होता है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं. ऐसे लोग समाज के धनी, उच्च वर्ग की देखादेखी में अनाप-शनाप खर्च करने लग जाते हैं. विवाह जैसे पवित्र और व्यक्तिगत कार्यक्रम को भी सार्वजनिक कार्यक्रम बना देते हैं, धन की बर्बादी का मंच बना देते हैं. विगत लम्बे समय से देखने में आया है कि झूठी शान के लिए कई बार ऐसे-ऐसे आयोजन, ऐसी-ऐसी व्यवस्था कर ली जाती है जिसका कोई अर्थ नहीं होता है. अब लग रहा है कि जैसे संख्या को लेकर प्रशासन द्वारा सख्ती बरती जा रही है, कुछ ऐसा ही वैवाहिक आयोजनों पर अनावश्यक होने वाले खर्चों के सम्बन्ध में भी कदम उठाया जाये.
विवाह नितांत पारिवारिक विषय है, बहुत ही व्यक्तिगत मामला है. उसे अनावश्यक रूप से सार्वजनिक बनाये जाने, उस पर अनावश्यक रूप से खर्च किये जाने के पक्ष में हम व्यक्तिगत रूप से कभी नहीं रहे हैं. यहाँ स्वयं नागरिकों को इस बारे में कोई पहल करने की आवश्यकता है. ये आवश्यक नहीं कि समाज के हित में, नागरिकों के हित में उठने वाला कोई भी कदम प्रशासन की सख्ती से उठाया जाये. हमें स्वयं ही एक जिम्मेवार नागरिक की तरह इस पर विचार करना चाहिए.
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 2 दिसंबर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (02-12-2020) को "रवींद्र सिंह यादव जी को बिटिया के शुभ विवाह की हार्दिक बधाई" (चर्चा अंक-3903) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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सार्थक एवं विचारणीय । आभार ।
जवाब देंहटाएंसटीक प्रस्तुति
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