28 अक्तूबर 2020

आवाज़ उठाओ कायदे से तो सुनी जाती है

आज, 28 अक्टूबर को फेसबुक पर एक पोस्ट दिखी, पोस्ट कुछ ऐसी थी कि उस पर रुककर उसे देखा. वह एक वेंक्वेट हॉल के सन्दर्भ में थी, जो हमारे परिचित लोगों द्वारा संचालित है. उरई जैसी छोटी जगह में परिचय बहुत सहजता से बन जाता है ऐसे में वह व्यक्ति जो इस वेंक्वेट हॉल को चला रहा है वह अधिकतर लोगों से परिचित होगा. बहरहाल, जो पोस्ट देखी थी वो किसी परिचय के लिए नहीं थी वरन वह एक बैनर से संदर्भित थी. उस हॉल के नाम के साथ एक बैनर दिखाया गया था, जिसमें सबसे नीचे एक सफ़ेद पट्टी में बहुत से देवी-देवताओं के चित्र बने हुए थे. चित्र बने होना भी उस पोस्ट का मूल बिंदु नहीं था बल्कि उन देवी-देवताओं से सुशोभित उस बैनर के लगाये जाने की जगह का असल मसला था. वह बैनर एक सड़क के किनारे बनी दीवार पर लगाया गया था और इतने नीचे लगा था जहाँ न केवल खड़े होकर बल्कि बैठकर भी धार मारी जा सकती थी.


धार मारने से आप अब समझ गए होंगे. असल में जिस दीवार पर बैनर लगा हुआ था वहाँ पर आने जाने वाले लोग (इसमें स्त्री-पुरुष दोनों शामिल हैं) लघुशंका से निवृत्त हो लिया करते हैं. संभव है कि किसी अतिशय बुद्धिजीवी ने उस हॉल को चलाने वालों को सलाह दे दी हो कि कोई बैनर भगवानों के चित्र सहित लगा दो तो वहाँ धार बहनी बंद हो जाएगी. ऐसा ही कुछ उस व्यक्ति ने बताया हो हमारे परिचित में है. उस पोस्ट को देखते ही हमने उसे फोन किया. उसने यही बात बताई तो हमने कहा कि अपने कर्मचारी बैठाओ जो वहाँ पेशाब करने वाले व्यक्तियों की ठुकाई करें मगर यह तरीका गलत है. यह इसलिए भी गलत है क्योंकि रात के अँधेरे में दारू पीकर मूतने वालों को न दीवार समझ आती है, न बैनर और न ही भगवान. ऐसे में भगवानों का निरादर होना ही होना है. परिचित व्यक्ति ने बात समझी और मानी भी फिर एक मित्र की सहायता से उस विवादित पट्टी को बैनर से हटवा दिया गया.




पिछले दो सालों में यह तीसरा ऐसा अवसर है जिसमें देवी-देवताओं से सम्बंधित विवादित सामग्री को हटवाया है. ये तो वे मामले हैं जो आँखों के सामने आ गए अन्यथा की स्थिति में हिन्दुओं को घंटा बनाकर रख दिया गया है, आओ और बजाकर चले जाओ. इससे पहले अप्रैल 2018 में शराब-बियर की दो दुकानों के नामों में बदलाव करवाया था. उसमें इतनी सहजता नहीं हुई थी, जितनी कि आज इस मामले में हुई थी. इसके पीछे एक तो उन दोनों का अपरिचित होना रहा था साथ ही शराब जैसे धंधे से जुड़ा होना भी मुख्य कारण रहा था. दो-चार बार के प्रयासों के बाद वे नाम भी हट गए थे.


इस पोस्ट का उद्देश्य अपने इन कामों को दिखाना नहीं बल्कि उन हिन्दुओं के मन में ये विश्वास जगाना है कि यदि वे अपने धर्म, अपने आराध्यों के अपमान में हो रही किसी भी बात का, घटना का विरोध करते हैं, पुरजोर तरीके से करते हैं तो आवाज़ को सुनने वाले लोग हैं. हिन्दू धर्म के विरुद्ध हो रही तमाम बातों में से कुछ बातों को सुना जाता है, विसंगतियों को दूर किया जाता है, बस आवाज़ उठानी पड़ती है. सो, बिना डरे, बिना संकोच करे आवाज़ उठाइये. गलत देखिए तो खामोश न रहिए. आज आप एक आवाज़ बनेंगे, कल को आपके साथ बहुत सी आवाजें जुड़ जायेंगीं.


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#हिन्दी_ब्लॉगिंग

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