इधर देखने में आ रहा है कि विजयादशमी आते-आते बहुत से लोगों (विशेष रूप से महिलाओं) को रावण बहुत पसंद आने लगता है. बहुतेरी तो रावण जैसा भाई पाने की कामना जैसी बातें भी सार्वजनिक रूप से करने लगती हैं. इसी से सम्बंधित पोस्ट सोशल मीडिया पर लगाई, जिस पर बहुत सारी टिप्पणियाँ प्राप्त हुईं. दो टिप्पणी खुद में विशेष समझ आईं, वही आज की पोस्ट के रूप में.
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रावण को पति के रुप मे पाने की चाह रखने वाली फेमिनिस्ट सुंदरी से मेरे चंद सवाल......
हमारे
पुराणों के अनूसार....
रावण
की तीन पत्नियां थी
पहली
का नाम मंदोदरी
दुसरी
का नाम दम्यमालिनी
तीसरी
का नाम अज्ञात है पर इसके रावण से तीन पुत्र थे
देवांतक
, नरांतक और प्रहष्था जिसका रामानंद सागर जी
के
बनाई रामायण धारावाहिक में भी उल्लेख है
और
रावण ने अपनी तीसरी पत्नि की हत्या कर दी थी....
.
और
भी रावण के कहानियां हैं....
.
एक
रावण ने मंदोदरी की बड़ी बहन से बलात्कार करने की
कोशिश
की थी जिसमे वो असफल रहा था...
.
एक
रावण ने अपने सौतेले छोटे भाई कुबेर की पत्नी रंभा से
बलात्कार
किया था जिसके फलस्वरूप उसे कुबेर ने श्राप
दिया
था कि वो किसी भी महिला के मर्जी के विरूद्ध अगर
उससे
संसर्ग करने की कोशिश करेगा तो उसके मस्तक के
सैकड़ो
टुकड़े हो जायेंगे , तभी वो सीता मैया से जबरदस्ती
विवाह
नही कर पाया...
.
एक
रावण ने वेदवती नामक महिला से उस समय बलात्कार
करने
की कोशिश की जब वो श्री हरी विष्णु को पति के रुप
में
पाने के लिए तपस्या कर रही थी उसके उस कुकृत्य की
वजह
से वेदवती ने तपस्या में ही प्राण त्याग दिये ....
.
एक
रावण वो था जिसकी तीन पत्नियों के अलावा हजारों
दासियां
थी जिस से वो समय समय पर संसर्ग करता रहता
था....
.
तो
है रावण को पति रूप में पाने की चाह रखने वाली लंकनी
रुपी
मंदोदरी....
तुम इन में से किस बलात्कारी रावण रूप से विवाह करना चाहोगी ???
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रावण
को भाई के रूप में वही पसन्द कर सकती है जिसका चरित्र सूर्पनखा जैसा हो। जो वन-वन घूम
कर दूसरी स्त्रियों का पति चुराती हो। या जो किसी सुन्दर स्त्री को देखे तो अपने भाई
को उसका हरण करने के लिए प्रेरित करे। ऐसी स्त्रियाँ कभी आदर्श नहीं हो सकतीं।
रावण
को भाई के रूप में वही पुरुष पसन्द करता है जिसका चरित्र कुंभकर्ण जैसा हो। जो सज्जन
होने के बावजूद भाई के कुकर्मों के समय आंख बंद कर ले। ऐसे लोग कभी अनुकरणीय नहीं हो
सकते।
रावण
को पति के रूप में वही स्त्री पसन्द कर सकती है, जो अपने पति
को हजार टुकड़ों में बंटते देख सकती हो। जो देख सकती हो कि उसका पति यक्ष, गन्धर्व, नाग, असुर, राक्षस, यवन सभी जाति की स्त्रियों का हरण करे और बलपूर्वक
अपनी पत्नी बना कर रखे। जो सहन कर सकती हो कि उसका पति उसकी किसी भी बात को न माने...
वह गिड़गिड़ाती रहे, पर उसका पति उसकी बात अनसुनी कर के पाप करता
रहे।
रावण
को मित्र के रूप में वही पसन्द कर सकते हैं जिनका चरित्र बाली के जैसा हो। जो अपने
छोटे भाई की स्त्री को बलपूर्वक छीनने में लज्जा का अनुभव नहीं करता हो। जो तारा जैसी
विदुषी पत्नी की भी कोई बात नहीं मानता हो। ऐसे लोग भी सम्मान के योग्य नहीं होते।
रावण
को अपना नायक वही मान सकते हैं जिन्हें न धर्म का ज्ञान है, न
वेद का। रावण उन राक्षसों का नायक था जो ऋषियों के हवन कुंड में हड्डियां डालते थे,
जो ऋषियों को मार कर खा जाते थे, जो मनुष्यों को
जीने नहीं देते थे। रावण ऐसे ही अमानुषों का नायक हो सकता है।
रावण
को एक आदर्श पुत्र मानने वाले मूर्ख ही हैं, क्योंकि रावण के
कुकर्मों के कारण स्वयं उसके पिता ने उसका त्याग कर दिया था। जिस व्यक्ति के कारण उसका
लज्जित पिता नगर छोड़ दे, वह और कुछ भी हो आदर्श पुत्र नहीं हो
सकता।
रावण
ब्राह्मणों का नायक न था, न है, न होगा...
ब्राह्मणों के आदर्श हैं वे गुरु वशिष्ठ जिन्होंने राजकुमार राम को मर्यादा पुरुषोत्तम
राम बनाया। ब्राह्मणों के नायक हैं वे दधीचि, जिन्होंने धर्म
की रक्षा के लिए अपनी हड्डियां दान कर दी। आधुनिक काल मे भी ब्राह्मणों के नायक चाणक्य,
वर्षकार, पतंजलि, शंकराचार्य,
या करपात्री जी महाराज हैं, कोई रावण नहीं है।
रावण उन ब्राह्मण वंशियो को ही प्रिय हो सकता है जिन्होंने धर्म का त्याग कर वामपंथ
स्वीकार किया हो, वे इतने महत्वपूर्ण नहीं कि वे ब्राह्मणों को
दिशा दें। मैं तो उन्हें ब्राह्मण ही नहीं मानता।
भारतीय लोक रावण को हर विजया के दिन बुराई के प्रतीक के रूप में जलाता रहा है, और जलाता रहेगा। आज भी, और हजार वर्ष बाद भी... लोक किताबी विचारकों की बात नहीं सुनता, उसकी गोद में रोज हजारों चार्वाक, मार्क्स, कन्फ्यूशियस जन्म लेते हैं और मर जाते हैं। लोक अपने ही गति से मुस्कुराता हुआ चलता रहता है। यही भारत है...
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