01 अक्तूबर 2020

बेटियों को हथियार चलाना सिखाइए

देश में कहीं भी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार की घटना सामने आने के बाद पहले तो ख़ामोशी रहती है, यदि कहीं से कोई आवाज़ आनी शुरू हुई तो फिर सोशल मीडिया ऐसे चिल्लाने लगता है जैसे वो आवाज़ उसी की हो. उस आवाज़ में क्या स्त्री, क्या पुरुष सभी ऐसे चिल्लाते हैं जैसे वे ही पूरी धरती उलट कर मानेंगे. उसी में कुछ ज्यादा सक्रिय स्त्री-पुरुष आवाज़ उठाते हैं महिलाओं को शस्त्र लाइसेंस दिए जाने के, महिलाओं को शस्त्र दिए जाने के. ऐसा समझ आता है कि या तो ये लोग बेवकूफ हैं या फिर महज मौज लेने आते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि किसी भी लाइसेंसी हथियार की सुरक्षा किसी भी व्यक्ति से ज्यादा करनी पड़ती है. लाइसेंसी हथियार की सुरक्षा करना, उसका उपयोग, उसका गायब हो जाना बहुत अलग मायने रखता है. जो लोग शस्त्र की बात करते हैं वे ही अभी नहीं समझते कि किसी लाइसेंसी हथियार की कीमत क्या होती है. महज शस्त्र रख लेने से किसी में हिम्मत नहीं आती, महज शस्त्र देख लेने भर से सामने वाले अपराधी में डर पैदा नहीं होता. 

ऐसे विचारों का समर्थन करने वाले/वालियाँ खुद से विचार करते हुए बताएँ कि उन्होंने कितनी बार किसी हथियार को चलाया, उसे लोड किया है? बहुत से लोग ऐसे हैं जिनके सामने हथियार को रख दिया जाये तो उसमें कारतूस कैसे लगाते हैं यही न बता पाएँ. ऐसे में हथियार के रखने की बात करना महज शेखचिल्लीपना ही है. ये लोग नहीं जानते-समझते हैं कि हथियार दिलवाने के बाद महिला से ज्यादा हथियार की सुरक्षा करनी पड़ेगी. लाइसेंसी हथियार मिलने के बाद महिला के साथ किसी भी तरह की वारदात उस हथियार को छीनने के लिए भी हो सकती है. 

यह संभवतः बहुत से लोगों को ख़राब लगेगा मगर सच यही है कि आज भी बहुसंख्यक महिलाएँ ऐसी हैं जिनकी कलाई हथियार का वजन नहीं उठा सकती. किसी हथियार को लोड करने की क्षमता उनमें नहीं है. किसी भी शस्त्र को चलाने की सामर्थ्य उनमें नहीं है. अपने सामने खड़े अपराधी को गोली मारने की शक्ति उनके भीतर नहीं है. असल में हम लोगों ने अपने परिवार में अपनी महिलाओं को इस तरफ सशक्त बनाया ही नहीं. उन महिलाओं ने, बेटियों ने भी हथियारों का अर्थ महज हत्या से लगाया, उन हथियारों को कभी आत्मरक्षा का स्त्रोत माना ही नहीं. उन बहुसंख्यक महिलाओं-बेटियों में मन में उस हथियार के प्रति सम्मान नहीं वरन घृणा का भाव है. ऐसे में वे कैसे उस हथियार का सञ्चालन कर सकती हैं? 

महिलाओं को शस्त्र प्रदान किये जाने की बकलोली के स्थान पर उनको शस्त्र सञ्चालन का अभ्यास करवाया जाए. खुस महिलाओं को अपने मन से हथियारों के प्रति बना घृणा का भाव त्याग कर उनके प्रति सम्मान का भाव जगाना होगा. कोई भी हथियार महज बकबक करने से नहीं चलाया जा सकता. सामने खड़े अपराधी पर गोली चलाने के लिए, किसी आपात स्थिति में हथियार को सामने लाने के लिए हथियार की नहीं वरन जिगर की आवश्यकता होती है. आप विचार करिए कि आपने अपने घर की महिलाओं में इस शक्ति को, इस जिगर को पैदा किया? 

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#हिन्दी_ब्लॉगिंग

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