कभी
अच्छा माना जाता होगा दोस्तों को गलत राह पर जाने से रोकना, अब
इसे दगाबाजी समझा जाने लगा है. दोस्ती का तात्पर्य, दोस्त का
अर्थ महज एक-दूसरे से मिलना, मौज-मस्ती करना, समय बिताना मात्र नहीं होता है.
दोस्त का सन्दर्भ ही बहुत पावन है, दोस्ती का अर्थ ही बहुत व्यापक है. इसमें किसी
तरह के स्वार्थ की, किसी तरह के धोखे की कोई गुंजाइश होती ही नहीं है. इसके बाद भी
व्यक्तिगत अनुभव ऐसे रहे हैं जहाँ की दोस्तों को उनके गलत काम करने से रोकने पर,
उनके द्वारा कोई गलत कदम उठाये जाने पर रोकने के कारण हमें दोस्तों से हाथ धोना
पड़ा, दोस्ती को खोना पड़ा.
मित्रता
के सन्दर्भ हमारे लिए बहुत ही अलग हैं. कभी किसी स्वार्थ के लिए हमने दोस्ती नहीं
की. कभी किसी मतलब से किसी की तरफ दोस्ती का हाथ नहीं बढाया. दोस्ती जिससे की उसके
साथ कभी भी दगाबाजी नहीं की. जिसके साथ दोस्ती भरे सम्बन्ध रहे उसे अपने कोशिश भर
पूरी ईमानदारी से निभाया है. मित्रों को महज उनके साथ समय बिताने के बाद अकेला
नहीं छोड़ा है. अपनी तरफ से हमेशा यही प्रयास रहा है कि मित्रों के साथ गलत न हो,
वे किसी भी तरह की भावनात्मक, संवेदनात्मक
दबाव में आकर टूट न जाएँ, किसी तरह के अवसाद में आकर गलत कदम
न उठा लें. बहुत बार ऐसे अवसर आये जबकि हमें साफ़-साफ़ लगा की हमारे मित्र किसी
समस्या में हैं. ये समस्या उनकी पारिवारिक भी रही, सामाजिक भी रही, भावनात्मक भी
रही, मानसिक भी रही. उनकी किसी भी समस्या के निदान का हरसंभव प्रयास अपनी तरफ से
किया. उनके किसी भी गलत कार्य को, गलत कदम को उठने से रोका भी. इसके लिए बहुत बार
समझाया भी, बहुत बार हम नाराज भी हुए, कई
बार डाँटा-डपटा भी... हर बार अपना समझ कर.
ऐसा
नहीं की हमारे प्रयास विफल रहे. बहुत से मित्रों को इसका भान हुआ कि वे गलत करने
जा रहे थे अथवा उनके द्वारा उचित कदम नहीं उठाया जा रहा था. उनको इसका भी आभास हुआ कि यदि हमारे द्वारा कभी कठोर शब्द बोले भी गए, कुछ तेज स्वर में कहा भी गया तो
उसके पीछे कोई स्वार्थ नहीं था, किसी तरह का कोई लालच नहीं था. इसके पीछे विशुद्ध
दोस्ती की भावना समाहित थी. अपने मित्र के साथ गलत न होने देने की भावना छिपी हुई
थी. यह सब होने के दौर में कुछ मित्र आज भी हमारे साथ हैं और अपनी भरपूर मित्रता के
साथ हैं. इसके उलट कुछ मित्र तमाम उलाहना, आरोप, दोषारोपण के साथ छोड़ कर चले गए हैं.
जो
साथ हैं उनके साथ दोस्ती अपने उच्चतम स्तर के साथ और भी गहराती जा रही है. जो
छोड़कर चले गए, जिनके लिए हम दोस्त नहीं हैं उनके लिए बुरा सोच भी नहीं सकते क्योंकि
वे कल तक तो हमारे मित्र रहे हैं. हमारे लिए तो वे आज भी मित्र हैं. ऐसे भटके हुए
मित्रों के लिए हमारी कामना फिर भी यही है वे जहाँ रहें, खुश
रहें भले हमसे दूर रहें. बस भटकें नहीं, गलत कदम न उठाएँ.
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#हिन्दी_ब्लॉगिंग
मित्रता के सही अर्थ मित्र के कल्याण में ही निहित हैं यही सच्ची मित्रता है.
जवाब देंहटाएंसकारात्मक सोच सकारात्मकता को जनम देती है ...
जवाब देंहटाएंसब अच्छे रहें ये कामना मित्रों के लिए होनी ही चाहिए ...
मित्र होना बेहद ज़रूरी है। बुरे वक़्त में सांत्वना और साथ तो देते हैं। जो किसी फ़ायदे के लिए जुड़ें वे मित्र ही नहीं, तो उनके लिए क्या सोचना। सभी सलामत रहे।
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