30 अगस्त 2020

दिन भर उमड़ते विचार रात को चले जाते सोने

पूरे दिन अनेक-अनेक विचार दिमाग में चलते रहते हैं. लगता है कि लिखने बैठा जाये तो न जाने कितना लिख जाए. दिन भर तमाम और कामों की उठापटक में बहुत ज्यादा समय नहीं मिल पाता तो लिखना कम ही हो पाता है. अब जबकि रात को लिखने बैठते हैं, फुर्सत से तो दिमाग एकदम साफ़ नजर आने लगता है. ऐसा लगता है जैसे दिन भर के उठे तमाम विचार सोने चले गए हों. ऐसा नहीं कि शारीरिक रूप से अथवा मानसिक रूप से किसी तरह की थकान हो मगर इसके बाद भी ऐसा क्यों हो जाता है, पता नहीं. 

कहीं यह भी कोरोना काल में बहुत लम्बे समय से घर में घुसे रहने का नकारात्मक असर तो नहीं? बहरहाल, इसका भी निदान करना ही पड़ेगा.  


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#हिन्दी_ब्लॉगिंग

1 टिप्पणी:

  1. करोना काल का असर किस रूप में ए किसी को नहीं पता ...
    लिखते रहे बस जैसे हो जब हो ...

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