16 जून 2020

ये भी एक तरह की भेड़चाल है, चाटुकारिता है

व्यक्ति कितनी जल्दबाजी में रहता है इसको सोशल मीडिया पर देखा जा सकता है. एक-दो पंक्तियों की पोस्ट को तो व्यक्ति पढ़ लेता है मगर कुछ लम्बी पोस्ट दिखाई देने की स्थिति में लोग बस लाइक का बटन खटका कर आगे बढ़ जाते हैं. कुछ तो पोस्ट पर बस लाइक का खटका दबाने ही आते हैं. एक मिनट में बीसियों पोस्ट पर लाइक करना यही दर्शाता है. ऐसा बहुत बार देखने में आता है. हास्यास्पद स्थिति तो उस समय भी देखने को मिलती है जबकि कोई अपने किसी परिचित के बारे में पोस्ट लगाता है और लाइक करने के शौक़ीन बिना कुछ जाने समझे बस लाइक, कमेंट थोपे जाते हैं. यह एक तरह की अपनी उपस्थिति दिखाने से ज्यादा जी-हुजूरी करने जैसी मानसिकता है.


एक बार ऐसी हास्यास्पद स्थिति उस समय देखने को मिली जबकि हमने एक पोस्ट लगाई ‘हमारा जन्मदिन है, आज के एक महीने बाद.’ इस पोस्ट में हमने तीन हिस्से किये. पहला किया हमारा जन्मदिन है, दूसरा किया आज और तीसरा किया के एक महीने बाद. इन तीन हिस्सों के बीच कई-कई पंक्तियों का अंतर कर दिया. इससे सामने दिखाई देने वाली पोस्ट महज इतनी थी कि

हमारा जन्मदिन है .
.
.
.
आज
.
.
इतने के बाद see more वाला ऑप्शन दिखाई देने लगा. लोगों ने बिना आगे देखे जन्मदिन की बधाइयाँ देनी शुरू कर दीं. दो-चार नहीं सैकड़ों की संख्या में बधाइयाँ नजर आने लगीं.


कुछ ऐसी घटना हमारे बड़े भाईसाहब ने बताई. यह वाकया खुद उनके साथ ही घटित हुआ था. उन्होंने बताया कि एक बहुत बड़ी हृदयरोग विशेषज्ञ डॉक्टर ने कुछ दिन पहले कोरोना काल में ह्रदयरोगी कैसे अपना ख्याल रखें, इस विषय पर एक प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के लिए बहुत ही अच्छा लेख लिखा था. लेख प्रकाशित होने के बाद उन्होंने उसकी कटिंग की कॉपी सोशल मीडिया पर शेयर की. उनके छह सौ से अधिक मित्रों ने उस फोटो पर प्रशंसा करते हुए लाइक्स और बधाइयों की झड़ी लगा दी.

जब हमारे भाईसाहब की नजर उस पोस्ट पर पड़ी तो उनको वह फोटो धुँधली समझ आई. उसको ज़ूम  करने पर भी कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. उस प्रकाशित लेख का एक वाक्य भी पढ़ना असम्भव था. ऐसे में भाईसाहब ने 601वें नंबर पर कमेंट किया ‘मैडम स्कैन कॉपी एकदम धुंधली है. कुछ भी पढ़ने में नहीं आ रहा. कृपया दुबारा से क्लियर कॉपी पोस्ट करें, जिससे कि हम सब आपके टिप्स का लाभ उठा सकें.’

उन डॉक्टर मैडम ने भाईसाहब के कमेंट को लाइक करते हुए कुछ देर बाद दोबारा उस लेख की कॉपी को पोस्ट किया. उन्होंने लेख की साफ़ स्कैन कॉपी दोबारा अपलोड की और गलती की और उनका ध्यान दिलाने के लिए भाईसाहब को धन्यवाद भी दिया. इस धन्यवाद के साथ-साथ वे भाईसाहब के कमेंट के पहले वाले 600 एवं उनके कमेंट के बाद भी मिलने वाले पचास लाइक्स और बधाइयों पर स्तब्ध थीं.

सोचकर देखिये उस स्थिति को जहाँ एक व्यक्ति गलती की तरफ लिखित रूप में कमेंट के द्वारा ध्यान दिलाता है. सम्बंधित पोस्ट करने वाला तो ध्यान दे लेता है मगर उस कमेंट के बाद भी लोगों की बधाइयाँ रुकती हैं हैं. इसे क्या माना जाये, सिर्फ गलती? नहीं न, ये गलती नहीं, ये नजरअंदाज करना भी नहीं बल्कि ये एक तरह की भेड़चाल है. यह भेड़चाल, चाटुकारिता लगातार सोशल मीडिया पर पनपती जा रही है. ऐसे समूह का न तो पोस्ट से मतलब होता है, न पोस्ट की सामग्री से, न उसकी महत्ता से. उनको तो बस लाइक के द्वारा, कमेंट के द्वारा बस अपनी उपस्थिति दर्ज करवानी होती है. किसी को लगे या न लगे मगर यह स्थिति सोचनीय है, चिंताजनक है. इस तरह की स्थिति किसी न किसी रूप में गलत, भ्रामक जानकारियों, सामग्रियों के प्रसार का वाहक बनती है. यह दिमाग को भी कुंद करने, खोखला करने का काम करता है.

इससे बचने की आवश्यकता है. इसके लिए बेहतर है कि पोस्ट को पूरा पढ़ा जाये, उसके सही-गलत का संज्ञान लिया जाये. बिना भेड़चाल का, चाटुकारिता का हिस्सा बने सम्बंधित को गलत के बारे में, भ्रामक के बारे में अवगत कराया जाये. आज की भागती-दौड़ती दुनिया में, चाटुकारिता में लिप्त मानसिकता में, इस हाथ दे, उस हाथ ले वाली सोच के चलते क्या यह संभव हो सकेगा?

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#हिन्दी_ब्लॉगिंग

8 टिप्‍पणियां:

  1. हा हा ... अब सोशल मीडिया है तो ये सब भी होता रहेगा ... जिनके हज़ारों दोस्त होते हैं लिस्ट में वो क्या करे ये भी सोचने वाली बात है ...

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  2. जबरदस्त ...... एक भेड़चाल का पर्दाफाश कर दिया आपने । आपकी बात से सहमत हूं आदणीय
    मस्त पोस्ट

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  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक चर्चा मंच पर चर्चा - 3736
    में दिया गया है। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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  4. सही कहा। फ़ेसबुक पर ऐसा होते देखा है। अगर समय न हो तो बाद में पूरा पढ़ा जाए, और पढ़कर ही लाइक कॉमेंट करना सही होता है। नासवा जी ने सही कहा, जिनके हज़ारों मित्र हों वो क्या करें। एक को लाइक करो तो दूसरा बुरा मान जाए।

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  5. बिल्कुल सही कहा सबने ये मंच कुछ ऐसा ही है ,

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