04 अप्रैल 2020

शौक-शौक में सज गया बगीचा

इस समय लॉकडाउन, कोरोना सभी के दिमाग पर हावी है. आपके भी, हमारे भी, बच्चों के, बड़ों के, जिसे देखो वो यही बातें करता नजर आ रहा है. इस लॉकडाउन में कुछ लोग अपने समय का सदुपयोग कर ले रहे हैं, कुछ लोग अभी भी उसी पुरानी दिनचर्या के साथ बंधे अपने गिन काट रहे हैं.


लॉकडाउन ने कुछ समस्याएं पैदा की हैं तो कुछ सहूलियतें भी दी हैं. समय खूब दिया है कुछ करने के लिए. लोग अपना समय कैसे गुजार रहे, वे जाने पर हम और हमारा परिवार इस समय का सदुपयोग कर रहा है. कुछ अलग सा करने का प्रयास किया जा रहा है. घर के अन्दर कैद लगभग असामान्य सी दिनचर्या को निश्चित करने, अनुशासन में लाने का प्रयास किया जा रहा है. इसी में बिटिया ने अपने शौक की तरफ कदम बढ़ाया. उसे पेंटिंग का शौक है और आये दिन उसका शौक कैनवास पर उतरता रहता है, ड्राइंग की कॉपी में उभरता रहता है. इस खाली से पड़े समय में उसने पढ़ने के अलावा इस तरफ भी अपना ध्यान लगाया.


घर में कबाड़ के रूप में पड़े, बेकार से पड़े प्लास्टिक के डिब्बों, बोतलों को इसके लिए अपना औजार बनाया. उन खाली, बेकार पड़े बोतलों, डिब्बों में से काम के कुछ डिब्बों, बोतलों को गमले के रूप में परिवर्तित कर दिया. पेंटिंग के अपने शौक को इस बार बजाय कागज़-कैनवास के उसने इन डिब्बों, बोतलों पर आजमाया. परिणाम यह हुआ कि कुछ सुन्दर से गमले, रंगीन आकृति वाले गमले तैयार हो गए. यह शायद उन पौधों के लिए ही तैयार किये जा रहे थे जो लॉकडाउन से एक-दो दिन पहले ही लाये गए थे. सजे-सजाये गमलों में उन पौधों ने जगह बनाई और फिर आँगन में सज गए.


बिटिया रानी के इस प्रयास के बारे में दैनिक जागरण ने संज्ञान लेते हुए उसका उत्साहवर्धन किया. 


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#हिन्दी_ब्लॉगिंग

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