30 मार्च 2020

आँखों की भी सुरक्षा करें लॉकडाउन में

हम सभी इस समय लॉकडाउन वाली स्थिति में हैं. बहुत आवश्यक या कहें कि अनिवार्य होने की स्थिति में ही घर से निकलें अन्यथा घर पर ही रहें. ऐसा बहुत से लोग कर रहे हैं और बहुत से लोग नहीं कर रहे हैं. जैसी जिसकी सोच, बहरहाल जो लोग लॉकडाउन का पूरी ईमानदारी और अनुशासन से पालन कर रहे हैं वे कोरोना के संक्रमण से भले बचे हुए हों मगर बहुतायत लोग मोबाइल के संक्रमण की चपेट में हैं. अब आप कहेंगे कि ये मोबाइल का संक्रमण कौन सी नई बीमारी है. तो इसे बताने की आवश्यकता नहीं बल्कि आप सभी इसे भली-भांति जानते हैं. जो लोग घरों में लगभग कैद जैसी स्थिति में हैं वे दिन भर और देर रात तक मोबाइल के साथ अपना समय बिता रहे हैं. कहिये, है न ऐसा?


मोबाइल का उपयोग तो वैसे भी कई बिन्दुओं से हम सबके लिए नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करता रहा है अब इस समय जबकि सारा दिन किसी तरह की अन्य व्यस्तता नहीं है तो समय मोबाइल के द्वारा ही बिताया जा रहा है. सोचने वाली बात है जिस मोबाइल का कुछ देर का उपयोग ही आँखों के लिए हानिकारक माना जा चुका है तब घंटों के हिसाब से मोबाइल का प्रयोग आँखों के लिए किस कदर लाभदायक होगी? लॉकडाउन का इस्तेमाल अब उन सारे कामों के लिए किया जा सकता है जिन्हें आप अपनी व्यस्तता के चलते अभी तक कर नहीं पाए थे. जिनको पढ़ने का शौक है वे अभी तक जिन-जिन किताबों को अपनी भागदौड़ में नहीं पढ़ सके थे, उन्हें पढ़ सकते हैं. इसी तरह बहुत से लोगों को परिवार के साथ समय न बिता पाने का दुःख रहता था. लीजिये, अब तो सुनहरी मौका है अपने परिवार के साथ वक्त बिताने का. ये समय ऐसा है जबकि आपके यार-दोस्त, पड़ोसी, रिश्तेदार भी आपको परेशान नहीं कर सकते हैं. आपके कोई और शौक भी हों तो इस दौरान उनको भी पूरा किया जा सकता है.


फिलहाल, अभी आँखों की सुरक्षा पर ध्यान केन्द्रित करना है. आप गौर करियेगा अभी से, मोबाइल चलाते समय आप कितनी बार अपनी पलकें झपकाते हैं? ये कोई सामान्य सी स्थिति नहीं बल्कि बहुत अनिवार्य स्थिति है. हमारी पलकें एक मिनट में लगभग 15 से 20 बार झपकती हैं. करिए गौर, मोबाइल चलाते समय एक मिनट में आपने कितनी बार अपनी पलकें झपकाईं? निश्चित ही यह इतनी बार नहीं है, जितना कि सामान्य अवस्था में होता है. इसका नुकसान यह होता है कि आपकी आँखों की नमी सूखने लगती है. नमी सूखने से आँखों की पुतली पर भी असर होता है, साथ ही इसका दुष्प्रभाव नसों पर भी पड़ता है. परिणामतः आँखों की रौशनी का प्रभावित होना शुरू हो जाता है. इसके साथ ही सिर दर्द की समस्या भी आम हो जाती है. इसके लिए आप एक काम करिए कि अपने मोबाइल या स्मार्टफोन को लगातार बहुत देर न चलायें. जैसा कि कंप्यूटर चलाते समय 20-20-20 का एक सिद्धांत आँखों की सुरक्षा के लिए काम करता है, वह यहाँ भी अपनाएँ. इस सिद्धांत में मोबाइल 20 मिनट चलाने के बाद 20 सेकेण्ड के लिए 20 फीट की दूरी पर देखना चाहिए. इससे आँखों को राहत मिलती है.

सुरक्षा की दृष्टि से रात को मोबाइल चलाने से बचना चाहिए. विशेष रूप से अँधेरे में तो मोबाइल चलाना ही नहीं चाहिए. रात में अथवा अँधेरे में मोबाइल का इस्तेमाल करना रेटिना के लिए घातक होता है. मोबाइल से निकलने वाली विशेष किरणें रात के समय सीधे रेटिना को नुकसान पहुँचाती हैं. इससे आँखें ख़राब हो जाती हैं और व्यक्ति अंधेपन का शिकार भी हो जाता है.

आँखों की सुरक्षा के सम्बन्ध में आप विशेष रूप से सजग रहिये क्योंकि यही किसी भी इन्सान के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है. अपने साथ-साथ अपने बच्चों को भी बचाने की कोशिश करें. आज बहुतायत में देखने में आता है  कि अभिभावक बच्चों को व्यस्त रखने के लिए मोबाइल पर उनके पसंद का चैनल, कार्यक्रम लगा देते हैं. बच्चों के साथ समय बिताने के बजाय वे उसे मोबाइल पर उलझा देते हैं. आज जबकि सारा दिन आप ही मोबाइल में व्यस्त रहेंगे तो संभव है कि बच्चा भी आपकी देखादेखी मोबाइल का और ज्यादा इस्तेमाल करेगा. बच्चों की कोमल आँखें बहुत जल्दी इससे नकारात्मक रूप से प्रभावित हो जाती हैं. यही कारण है कि आज बहुत से बच्चों में आँखों की समस्या उत्पन्न हुई है और उनको चश्मा लगाने की आवश्यकता महसूस हुई है.

ऐसे में आप सभी लोगों से निवेदन है कि आप देशहित में, समाजहित में, अपने परिवार के हित में घर पर ही रह रहे हैं. अच्छा है मगर इसके साथ ही इस पर भी ध्यान दें कि लॉकडाउन का पूरी ईमानदारी से पालन करने के बाद आप स्वयं और अपने परिजनों को कोरोना से बचा ले जाएँ मगर हो सकता है कि आँखों का कोई रोग लगा बैठें. आँखों को कमजोर कर बैठें.

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#हिन्दी_ब्लॉगिंग

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