28 मार्च 2020

वुहान के बहाने चीन का दाँव

आज दो खबरें पढ़ने को मिलीं. दोनों ख़बरें एक ही स्थान से संदर्भित हैं. दोनों ही खबरें एक ही बिंदु पर केन्द्रित हैं. एक खबर मिली कि चीन के वुहान में आज से बस सेवा बहाल कर दी गई. इसी के साथ ये भी खबर पढ़ने को मिली कि वुहान में जिन लोगों को कोरोना मुक्त घोषित कर दिया गया था, उनमें से लगभग दस प्रतिशत लोग फिर से संक्रमित मिले हैं. चीन का वुहान, ये वही वुहान है जिसके कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है. कोरोना वायरस को लेकर चीन ने क्या इंतजाम किये ये और बात है मगर सोचने वाली बात है कि जर्मनी, इटली, अमेरिका जैसे देश जिनकी स्वास्थ्य सेवाएँ विश्व में किसी से कमतर नहीं हैं, वे देश भी कोरोना से निपटने में लगभग अक्षम दिख रहे हैं. इन देशों में मौत का बढ़ता आँकड़ा, संक्रमित लोगों के मिलने का आँकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में वो देश जहाँ से इस वायरस की उत्पत्ति हुई, उसने अपने उसी शहर को कोरोना से मुक्त करवा लिया जहाँ कि इस वायरस का जन्म हुआ था. इसे समझने के लिए किसी रोकेट साइंस की आवश्यकता नहीं है.


इन दो खबरों के दो सन्दर्भ हो सकते हैं जो अपने आपमें जुड़े हुए भी हो सकते हैं. पहला तो यह कि ये किस से छिपा नहीं है कि कोरोना चीन के द्वारा पैदा किया हुआ वायरस अथवा एक तरह का जैविक हथियार है. इसके द्वारा उसने लगभग सकल विश्व पर अपना अधिकार जमा लिया है. कोरोना वायरस के हमले के चलते वैश्विक आर्थिक बाजार में, शेयर बाजार में बुरी तरह की गिरावट देखने को मिली है. संभव है कि बहुत सारे उत्पादों के शेयर, बहुत से प्रमुख देशों के शेयर चीन के द्वारा खरीद लिए गए हों. यदि ऐसा हुआ तो समझिये कि चीन ने एक तरह का तीसरा विश्वयुद्ध छेड़कर उसके द्वारा सम्पूर्ण विश्व पर कब्ज़ा कर लिया है. आज के भौतिकतावादी युग में जहाँ कि आर्थिक स्थिति ही सर्वोपरि है वहाँ शेयर बाजार पर चीन का कब्ज़ा (यदि हुआ) सारे देशों पर उसके आधिपत्य को स्थापित करेगा. ऐसी शंका इसलिए भी हो रही है क्योंकि विगत दो-तीन दिन से सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो भी सामने आ रहे हैं जहाँ कि कोरोना संक्रमित चीनी नागरिकों को अन्य देशों में वस्तुओं, जगहों को कोरोना से संक्रमित करते हुए देखा जा रहा है.

बहरहाल, इस आर्थिक आधिपत्य की सत्यता जल्द ही सबके सामने आ जाएगी. आज नहीं तो कल सम्पूर्ण विश्व से कोरोना की महामारी का अंत तो होगा ही होगा. तब विश्व इस बारे में विचार करेगा. हाल फिलहाल चीन अपने वायरस की मारक क्षमता को अवश्य ही जनता होगा और उसने कहीं न कहीं इसकी रोकथाम के चिकित्सकीय उपाय भी अवश्य ही बना रखे होंगे. उसके लिए ऐसा करना इसलिए भी आवश्यक समझ आ रहा था क्योंकि यदि वह ऐसा न करता तो आर्थिक आधिपत्य का सुख कैसे भोगता. कोरोना वायरस से निपटने का तरीका उसके पास होने का सबसे बड़ा सबूत यह भी है कि इटली, अमेरिका, जर्मनी की चिकित्सा स्थिति किसी भी रूप में चीन से कम नहीं. ऐसे में ये देश आज भी कोरोना से संक्रमित बने हुए हैं जबकि चीन का वुहान शहर कोरोना से मुक्त हो गया है. इसके अलावा चीन का एक भी प्रसिद्द शहर कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ.


अब यदि इसी के सन्दर्भ में दूसरी खबर, जिसमें वुहान में ठीक हुए लोगों में से लगभग दस प्रतिशत लोगों में वापस संक्रमण पाया गया है, वह या तो दुनिया का ध्यान चीन से, वुहान से हटाने के लिए प्रसारित की गई है अथवा चीन द्वारा अपने देश के कोरोना संक्रमित लोगों के आँकड़ों से खिलवाड़ किया गया है. यह बात समूचा विश्व जानता है कि चीन में अपनी ही तरह की तानाशाही रही है. चाहे वह आर्थिक नीति का मसला रहा हो अथवा खेलकूद का, वह चाहे नागरिकों से सम्बंधित फैसले लेने का मामला हो या फिर राजीनति का सभी में चीनी तानाशाही खुलकर दिखाई देती है. ऐसे में यह संभव है कि उसके द्वारा अपने देश में कोरोना की वास्तविक स्थिति को छिपाते हुए वुहान को परदे के पीछे रखा गया.

चीन अपने ऊपर लगाये जा रहे चीनी वायरस के आरोप को वुहान के द्वारा ही मिटाना चाहता है. वह नहीं चाहता होगा कि उसकी इस नकारात्मक छवि का प्रभाव सुरक्षा परिषद् की सदस्यता पर पड़े, उसके वीटो पॉवर पर पड़े. ऐसे में उसके द्वारा वुहान को कोरोना मुक्त दिखाया अपनी बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं, अपने बेहतर परिचालन, अपने संयमित आचरण से, अनुशासित बर्ताव से और इसके बाद बस सेवा बहाली को भी दोषमुक्त करने के लिए कोरोना के मरीजों की कुछ संख्या को दोबारा सामने ला दिया. इससे विश्व समुदाय के सामने चीन मासूम बना रहे और कोरोना वायरस बनाये जाने, उसकी दवा बनाये जाने के आरोप से भी बचा रहे.


चीन में वुहान में एक तरफ बस सेवा की बहाली और दूसरी तरफ लगभग दस प्रतिशत मरीजों के मिलने की खबर का अपना ही सह-सम्बन्ध है. जिसे आसानी से समझा जा सकता है बशर्ते विश्व समुदाय समझने को तैयार हो. 
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#हिन्दी_ब्लॉगिंग

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