इन
दिनों माहौल कुछ ऐसा बना हुआ है कि कहीं भी कुछ पढ़ने बैठो तो बस कोरोना ही कोरोना
दिखाई देता है. हर जगह इसी का असर देखने को मिला रहा है. इसी के असर के कारण
सेंसेक्स धड़ाम हो गया. इसी के असर के कारण बहुत से संस्थान बंद करवा दिए गए. इसी
ऊहापोह में कुछ लिखने का मन नहीं करता है. मन में अजब सी उथल-पुथल मची रहती है कि
एक इन्सान को प्रकृति को जीत लेने का दम भरता है वह एक विषाणु के आगे हार जाता है.
एक वैज्ञानिक जो तमाम आविष्कारों के कारण खुद को भगवान समझने लगता है वह एकदम से
नतमस्तक हो जाता है. एक डॉक्टर जो किसी भी रूप में अपने को भगवान से कम नहीं समझता
है अचानक से अपने हाथ खड़े कर देता है.
कुछ
भी हो, इसके बाद भी भगवान के रूप में पूजा जाने वाला डॉक्टर ही यहाँ मददगार साबित
हुआ. कोरोना को लेकर जिस तरह की आशंकाएँ सामने आईं उनके बाद भी सभी जगहों पर
डॉक्टर ने खुद को मोर्चे पर तैनात रखा. जहाँ-जहाँ भी कोरोना वायरस से पीड़ित लोग
मिले वहाँ भी उनके इलाज के लिए, उनकी देखभाल के लिए डॉक्टर्स ही सामने आये हैं. आज
समाज में डॉक्टर्स को भगवान के समकक्ष माना जाता है. कहीं-कहीं से ऐसी घटनाएँ
सामने आती हैं जबकि लगता है कि भगवान के रूप में कुछ शैतान यहाँ भी आ गए हैं. फिलहाल,
वर्तमान में फैली इस महामारी में न तो मीडिया वाले जा रहे हैं, न चैनल वाले, न
स्टिंग ऑपरेशन करने वाले मगर डॉक्टर्स अपनी जान पर खेल कर उन सभी पीड़ितों का इलाज
करने में लगे हुए हैं.
ऐसे
सभी डॉक्टर्स को सादर अभिवादन, नमन जो अपने परिवार की, बच्चों की, अपने जीवन की
चिंता न करते हुए कोरोना वायरस से प्रभावित लोगों का इलाज करने में लगे हुए हैं.
.#हिन्दी_ब्लॉगिंग
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