28 फ़रवरी 2020

सतर्क रहिये

सतर्क रहने की जरूरत आपको है, हम सबको है क्योंकि वारदात करने वाले, ठगने वाले, धोखा देने वाले पग-पग पर मौजूद हैं. सतर्क रहने का अर्थ किसी हमले से ही सतर्क रहना नहीं, इसका अर्थ किसी अपराधी के वार से बचना मात्र नहीं है. इसके व्यापक सन्दर्भ हैं, व्यापक अर्थ हैं. आवश्यक नहीं कि आपके ऊपर किसी हथियार से ही हमला हो. कई बार हमला भावनात्मक रूप में भी किया जाता है. इस हमले में अधिकतर आर्थिक नुकसान होता है, साथ ही कई बार जान-माल से भी हाथ धोना पड़ता है. आप सबने देखा होगा, स्वयं महसूस किया होगा कि कई बार कुछ लोग अपनी मजबूरी का रोना रोकर आपसे किसी न किसी तरह की आर्थिक मदद चाहते हैं. कभी टिकट के पैसे न होने को लेकर, कभी जेब कट जाने को लेकर, कभी पूरा सामान चोरी हो जाने की बात कह कर. ऐसे में यदि आप जरा भी पिघलते हैं, उनकी स्थिति, रोना देखकर जरा भी दया, करुणा का भाव दिखाते हैं, समझिये कि लुट गए आप.

असल में ये एक तरह का गैंग होता है जो कभी रेलवे स्टेशन पर, कभी बस स्टैंड पर दिखाई देता है. उनके आँसू, उनका रोना, उनके साथ कभी बच्चे, कभी वृद्ध देखकर मन विचलित हो जाता है और उनकी आर्थिक मदद कर बैठते हैं. ये मदद कहीं न कहीं आपके साथ की गई लूट होती है. आज फिर ऐसा ही वाकया हमारे साथ हुआ. ऐसे और भी न जाने कितनी घटनाएँ हमारे साथ हो चुकी हैं. यद्यपि आज तक किसी भी रूप में हम लुटे नहीं तथापि सबकी उनके हिसाब से मदद भी कर दी. आज भी बिना लुटे मदद कर दी. हुआ ये कि झाँसी एक कार्यक्रम से लौटना हो रहा था. झाँसी बस स्टैंड पर बस के पास खड़े हुए थे. उसी समय एक लड़की के साथ अधेड़ उम्र के स्त्री-पुरुष का हमारे पास आना हुआ. उस लड़की ने उन्हें अपने माता-पिता बताते हुए कहा कि उसका सामान चोरी हो गया है, उसमें रखे बारह हजार रुपये चोरी हो गए हैं. उनके महाराष्ट्र (किसी जगह का नाम बताया, जो याद नहीं) जाना है. उसी के साथ उसने कहा कि भूख लगी है, कुछ पैसे दें तो खाना खा लें. ये पूछने पर कि महाराष्ट्र कैसे जाओगी? उसने कहा कि लोगों से पैसे माँग लेंगे.

ऐसी स्थितियों से आये दिन सामना होता रहता है तो दिमाग चैतन्य रहता है. उससे कहा कि कोई पहचान-पत्र रखे हो? मना करने पर कहा कि जहाँ रहती हो वहाँ से किसी से मँगवा लो, हम फोन से बात करवा देते हैं. उससे तुम लोगों की सहायता करने में आसानी हो जाएगी. इसके बाद हमने मोबाइल निकाल कर अपने दोस्त को फोन लगाकर कहा कि तीन लोग लुट गए हैं, उनकी सहायता करके महाराष्ट्र भिजवाओ. उस लड़की ने जानना चाहा कि किसे फोन किया तो उसको बताया कि हमारा एक दोस्त पुलिस में है रेलवे में. वह अभी आ रहा है. तुम लोगों को ले जाकर ट्रेन में बिठवा देगा. बस तुरंत उसकी आवाज़ बदल गई. उसके हाव-भाव भी बदल गए. अब बात बस खाने पर आकर टिक गई. पास खड़े फल वाले से उन तीनों को उनके मनमाफिक फल दिलवाए.


बाद में आसपास के और दुकानदारों, फल वालों ने बताया कि इनका बहुत बड़ा गैंग है. दिन भर यही काम करते हैं. आपने सही किया कि पैसे न दिए. एक ने बताया कि बगल के प्राइवेट बस स्टैंड पर ये टीकमगढ़ जाने की बात कहते हुए किराए के पैसे माँग रही थी. अपनी एक आदत कि किसी भी माँगने वाले को बजाय पैसे देने के उसे उसकी जरूरत के हिसाब से मदद कर देते हैं. आज भी यही किया. फल उनके पेट में जायेंगे. कम से कम हमारे पैसे का दुरुपयोग वे नहीं कर सकेंगे. 
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#हिन्दी_ब्लॉगिंग

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