ज़िन्दगी सत्यता से परे एक सत्य है. इसे समझने की आवश्यकता है. सत्य और असत्य के बीच झूलते हुए जिस सत्य को प्राप्त कर लिया जाता है, वही ज़िन्दगी कहलाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि किसी भी व्यक्ति के जीवन में ज़िन्दगी ही उसका आजीवन साथ देती है. मौत को हसीन बताने वाले कभी नहीं बताते कि यह क्षणिक स्थिति होती है, जिसके चलते आजीवन साथ चली आ रही ज़िन्दगी भी समाप्त हो जाती है.
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