17 जून 2019

सबको बस मौके की तलाश है


समाज में अच्छे बुरे लोगों का अस्तित्व हमेशा से रहा है और हमेशा ही रहेगा. ये कोई आज की बात नहीं वरन जबसे समाज का निर्माण हुआ है तभी से ऐसी स्थिति रही है. किसी एक बुरी घटना के हो जाने पर या फिर बुरी घटनाओं के लगातार होते रहने पर लोगों द्वारा ऐसा माहौल बनाया जाने लगता है जैसे पूरा समाज ही बुरा हो गया है. इस तरह से व्यवहार किया जाने लगता है जैसे सभी बुरे लोग आसपास आकर बस गए हैं. समाज को न रहने लायक बताया जाने लगता है. समाज में अपराधों का बोलबाला ही बताया जाने लगता है. समाज अपराधियों के हाथों से संचालित होना दिखाया जाने लगता है. एक पल को रुककर विचार करिए कि क्या वाकई ऐसा है? क्या वाकई समाज में सिर्फ और सिर्फ बुराई का ही बोलबाला है? क्या समाज का सञ्चालन अब अपराधियों द्वारा हो रहा है? क्या समाज में कहीं भी अच्छाई नहीं दिखाई दे रही है? 


ये सवाल ऐसे हैं, जिनपर यदि गंभीरता से विचार किया जाये तो बहुत कुछ समाधान निकल आएगा. यहाँ हम सभी को कहीं बहुत दूर देखने की जरूरत नहीं. हम सभी को बस अपने आसपास निगाह डालने की आवश्यकता है. गौर करिए, आप सड़क पर चले जा रहे हैं. क्या आपसे साथ चलने वाला हर व्यक्ति आपके साथ या किसी दूसरे के साथ आपराधिक कृत्य कर रहा है? क्या आपके साथ चलने वाला व्यक्ति आपके साथ या किसी दूसरे के साथ भलाई का कार्य कर रहा है? क्या सड़क चलता कोई भी व्यक्ति किसी का सामान लूट कर भाग रहा है? क्या कोई व्यक्ति सभी की आर्थिक मदद करता हुआ आगे बढ़ रहा है? ऐसा तो नहीं हो रहा है. ऐसा हो भी नहीं सकता है. इसके पीछे कारण यह है कि समाज में अच्छे, बुरे दोनों तरह के लोग रहते हैं. समाज का संचालन इन्हीं के द्वारा होता है. बुरी प्रवृत्ति का व्यक्ति सिर्फ बुरा ही करेगा और उसके लिए वह मौके की तलाश में रहता है. ठीक इसी तरह से अच्छा व्यक्ति भी सिर्फ अच्छा ही करेगा और वह भी किसी उचित अवसर की तलाश में रहेगा. अकारण न तो अच्छे काम किये जा रहे हैं और न ही बुरे काम हो रहे हैं. अकारण न तो परोपकार किया जा रहा है और न ही अकारण अपराध किये जा रहे हैं.

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