महाशिवरात्रि
के स्नान पश्चात् कुम्भ 2019
संपन्न हो गया. अनेकानेक वर्षों से चले आ रहे कुम्भ स्नान, पर्व की
इस परम्परा में इस बार कई-कई तरह के नए आयाम जुड़े. देश के प्रधानमंत्री द्वारा और
प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा इस सम्बन्ध में विशेष रुचि दिखाई गई. इसके कारण भी
प्रशासनिक अधिकारियों में एक तरह की मुस्तैदी साफ़ तौर पर बनी रही. समूचे कुम्भ के
दौरान स्वच्छता, सुरक्षा, अनुशासन आदि का संगम भी बखूबी बना रहा. स्वच्छता के
सम्बन्ध में स्वयं प्रधानमंत्री ने प्रशंसा की तथा सफाई कर्मियों के प्रतिनिधियों
के रूप में पांच व्यक्तियों के पैर भी पखारे. इस बार सांस्कृतिक झांकियों का बनाया
जाना, प्रयागराज में सड़कों के किनारे बने मकानों अथवा अन्य इमारतों में भारतीय
संस्कृति सम्बन्धी चित्रकारी ने आने वालों का मन मोह लिया. कुम्भ मेला परिसर में
की गई लाइटिंग और सजावट आदि ने भी कुम्भ की रंगत को बढ़ा दिया था. यहाँ उद्देश्य
कुम्भ के बारे में बताना नहीं वरन यह बताना भर है कि कई बार चाहने के बाद भी कुम्भ
में न जा सके.
यह हमारी
अपनी दृष्टि से इसलिए दुखद है क्योंकि हम समूचे कुम्भ मेले को अपने कैमरे की निगाह
से कैद करना चाह रहे थे. कुम्भ का अपना जो भी धार्मिक महत्त्व है वह अपना है ही
मगर कहीं, किसी भी आयोजन में उससे सम्बंधित प्रदर्शनी, सजावट, उसकी व्यवस्था आदि
से भी उस आयोजन के बारे में बहुत कुछ देखने-समझने को मिलता है. देश भर के हिस्सों
से आये हुए लोगों के साथ-साथ विदेशों से आये हुए पर्यटकों से मिलना जानकारी में
वृद्धि करता है, खुद अपने नजरिये को बढ़ाता है. ऐसा नहीं कि इस बार प्रयागराज कुम्भ
में जाने का प्रयास नहीं किया, किया और वो भी एक बार नहीं तीन बार मगर कुम्भ को
कैद करना हो ही नहीं पाया. हर बार किसी न किसी काम के चक्कर में यही सोचकर आगे के
लिए कार्यक्रम बढ़ाते रहे कि अगले किसी दिन चले जायेंगे. ऐसा करते-करते दिन आगे
निकलते रहे और बाद में ऐसी स्थिति बन गई कि फिर कुम्भ जाने का प्रोग्राम टालना ही
पड़ा.
हमारा
उद्देश्य संगम में स्नान करना नहीं था क्योंकि प्रयागराज आना-जाना करते हुए दशकों
बीत गए मगर कभी संगम स्नान का सुख नहीं लिया. ये और बात है कि अपनी प्रयागराज
यात्रा में शायद ही किसी बार ऐसा हुआ हो जबकि संगम जाना न हुआ हो अथवा माँ गंगा का
आशीष न लिया हो. इस बार भी कुम्भ स्नान से अधिक मन इस समूचे आयोजन को अपनी आँखों
से देख हमेशा-हमेशा के लिए अपनी धरोहर बना लेना था. बहरहाल, जानकारी मिली है कि
बहुत सी झांकियां, प्रदर्शनी अभी कुछ समय तक ज्यों की त्यों बनी रहेंगी. ऐसा भी
ज्ञात हुआ है कि सजावट, लाइटिंग आदि भी लम्बे समय तक बनाये रखी जाएगी. ऐसे में
जल्द ही कुम्भ समापन पश्चात् एक यात्रा प्रयागराज की तरफ की जाएगी. अबकी हमारा
कैमरा कुम्भ आयोजन बाद के कुम्भ मेला परिसर को अपनी कैद में लेगा. देखा जाये तो यह
भी संग्रहणीय होगा क्योंकि कई दिनों के अनुशासन, व्यवस्थित, सांस्कृतिक, रंगारंग
स्वरूप के बाद संगम तट का रूप-रंग किस तरह से मन-मष्तिष्क को आकर्षित करता होगा.
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