25 फ़रवरी 2019

सोशल मीडिया का दुरुपयोग रोकने को सक्रिय रहिये


सोशल मीडिया की निर्बाध स्वतंत्रता किसी को कुछ भी कर गुजरने को प्रेरित करती है. कुछ लोग इस आज़ादी का सकारात्मक रूप से प्रयोग करते हैं तो कुछ इस आज़ादी का दुरुपयोग करते हैं. किसी समय सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों का उपयोग लोग अपनी पहचान बनाने के लिए किया करते थे. लोगों द्वारा अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन भी इसके माध्यम से हुआ करता था. ऐसा इसलिए भी होता होगा क्योंकि आज से कोई दस-पांच साल पहले इंटरनेट की सुविधा सबके पास में नहीं थी. स्मार्टफोन की सुविधा सबके हाथ में नहीं थी. मोबाइल पर नेट चार्ज अत्यधिक मंहगा होने के कारण भी लोगों द्वारा बहुत ही किफ़ायत से इसका उपयोग किया जाता था. ऐसे में जबकि व्यक्ति की जेब से उसकी क्षमता से अधिक धन का व्यय हो रहा हो तब वह अपनी किसी भी सुविधा का सोच-समझ कर उपयोग करता है. तब नेटचार्ज अधिक होने के कारण व्यक्ति के पास फालतू विचारों, कामों के लिए समय नहीं निकलता था.


समय बदला, स्मार्ट फोन ने सबके हाथों में पहुँच बना ली. फोन करने की सुविधा देने वाली सिम में अनलिमिटेड इंटरनेट की सुविधा के आने ने व्यक्तियों को निरंकुश बना दिया. निश्चित और सीमित समय में इंटरनेट का उपयोग करने वाला व्यक्ति अब चौबीस घंटे के हिसाब से इंटरनेट का उपयोग करने लगा. कभी-कभी लैपटॉप, डेस्कटॉप के सामने बैठने वाला व्यक्ति लगातार अब अपने स्मार्टफोन को ही निहारने का काम करने लगा. किसी समय काम के लिए उपयोग करने के लिए नेट का उपयोग करने वाला व्यक्ति अब बिना काम के भी उसी में चिपका रहने लगा. किसी समय अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए उपयोग में लाने वाले मंच को उसने अपने अन्दर की कुंठा निकालने के लिए उपयोग करने का मंच बना लिया. यही कारण है कि अब बहुतायत में लोगों का अवसाद, कुंठा बाहर आ रही है. अकारण लोग एक-दूसरे को गाली देने का काम कर रहे हैं. रिश्तों, संबंधों, उम्र अनुभव की परवाह किये बिना, सारी शर्म, संकोच त्याग कर सोशल मीडिया के खुले मंच का दुरुपयोग नंगई फ़ैलाने के लिए किया जा रहा है. लोग सकारात्मकता के बजाय अपनी नकारात्मकता को सामने लाने का काम कर रहे हैं. राजनैतिक विद्वेष को व्यक्तिगत विद्वेष में बदलने लगे हैं. बिना यह जाने-समझे कि किसका क्या स्थान है, क्या महत्त्व है, क्या अहमियत है सामने वाले को सिर्फ छोटा करने की कोशिश की जा रही है. सामने वाले के लिए अभद्र भाषा, अशालीन शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है. 

सोशल मीडिया पर ऐसी घटनाएँ काफी समय से हो रही हैं. समय-समय पर लोगों द्वारा उनका जवाब भी दिया जाता है. इधर पुलवामा में सैनिकों पर हुए आत्मघाती हमले के बाद कुछ लोगों ने सैनिकों, शहीदों, उनके परिजनों के सम्बन्ध में आपत्तिजनक विचार दिए, पोस्ट लिखी. कुछ सजग, जागरूक लोगों द्वारा ऐसे लोगों के खिलाफ तुरंत कार्यवाही किये जाने सम्बन्धी कदम उठाया. ऐसी ही एक घटना के सन्दर्भ में प्रशासनिक अधिकारियों से मिलना हुआ. वर्तमान में ऐसे किसी भी घटनाक्रम से, जो कहीं न कहीं सैनिकों, शहीदों, भारतीय सेना के प्रति अशालीन, अभद्र व्यवहार को दर्शाता है न केवल प्रशासन सचेत है वरन आम नागरिक भी सक्रिय है. एक कवि महाशय की एक पोस्ट पर पहले तो वे उसी समय सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा जबरदस्त तरीके से समझाए गए. बाद में उनके खिलाफ शिकायत करने सम्बन्धी काम भी किया गया. ऐसे किसी भी घटनाक्रम पर, किसी भी पोस्ट पर जो किसी के स्वाभिमान के खिलाफ है, किसी के प्रति अभद्र भाषा का प्रयोग करती है, किसी पर व्यक्तिगत आक्षेप लगाती हुई उसकी मान-मर्यादा को चोटिल करती है तो आम नागरिक को सचेत होने का परिचय देना चाहिए. हमें समझना होगा कि यही वे लोग होते हैं जो ऐसे छोटे-छोटे विचारों के द्वारा खाद-पानी पाते हैं और समय आने पर खुलेआम अपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो जाते हैं. हमारी आज कि सजगता, सक्रियता आने वाले कल के लिए सुरक्षित, खुशनुमा वातावरण तैयार करेगी.

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