17 दिसंबर 2018

दिल के करीब - 1400वीं पोस्ट

एहसास ही हैं जो किसी भी व्यक्ति को जीवंत बनाये रखते हैं. यदि व्यक्ति की ज़िन्दगी से एहसासों को निकाल दिया जाये तो मनुष्य और किसी पत्थर में कोई अंतर नहीं रह जायेगा. एहसास ही हैं जो व्यक्ति को वर्तमान और अतीत से जोड़े रखते हैं. विगत को वर्तमान में लाकर जीवंत बनाये रखने की कला भी किसी इन्सान में इसी कारण पैदा हो पाती है. यह एहसास ही है जबकि महज चंद दिनों की मुलाकात के बाद कोई इन्सान विश्वास के साथ एक आवाज़ दे और उस आवाज़ में अजनबीपन न हो बल्कि एक विश्वास ही हो, एक तरह का अपनापन ही हो तब उस पर भी अविश्वास करने जैसा कुछ शेष नहीं बचता. हाथों में लहराते चंद कागज के टुकड़े और आँखों में विश्वास की चमक के साथ उसके द्वारा चंद शब्दों में कही गई बात ही यह दर्शाने को पर्याप्त है कि कोई व्यक्ति आपके बारे में क्या धारणा रखता है. एक विश्वास के साथ चंद कागजों के रूप में एक एहसास संभाल कर सुरक्षित रख लिए गए. विश्वास ही वह सम्पदा है जो निहायत कोमल है, अत्यंत नाजुक है. जरा सी ठेस भी समूचे विश्वास को दरकाती ही नहीं वरन समूल नष्ट कर देती है. उस समय के महज चंद शब्दों के एहसास से उत्पन्न विश्वास खंडित न हो, चकनाचूर न हो यह प्रयास सदैव बना रहा.


बनते-बिगड़ते पलों के बीच के खुशनुमा पल जिस तेजी से आये, उसी तेजी से चले भी गए. उनमें न कुछ अपना था, न कुछ बेगाना था बस समय को गुजरना था सो गुजर गया. एक एहसास उस समय भी बना हुआ था, एक एहसास आज भी बना हुआ है. चंद शब्द उस दिन भी कागज़ पर जज्बातों को बयान कर रहे थे, चंद शब्द आज भी उन्हीं जज्बातों का बयान थे. समय की गति बराबर बनी हुई थी, तब भी कुछ अलग स्थिति थी, आज भी कुछ अलग स्थिति बनी हुई है मगर शब्दों का कलेवर तब भी वही था, आज भी वही है. इसका कारण भी संभवतः यही होगा कि शब्दों में तब भी एहसास वही थे, उन्हीं शब्दों में आज भी वही एहसास हैं. एहसासों के साये में खुद को आगे बढ़ाते रहने का नाम ही ज़िन्दगी है. एहसासों को ज़िन्दगी के साथ आगे संभाले रखना भी ज़िन्दगी है. यही एहसास है जो दिल के करीब है, दिल का हिस्सा है.
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कोई तो है जो
दिल के आसपास रहता है सदा,
अपने अहसास,
अपनी उपस्थिति को
दर्शाता है सदा।
उसके पास होने का
अहसास मात्र ही
तन्हा नहीं होने देता है कभी,
नहीं होने देता है उदास,
न ही परेशान।
लगा रहता है.......मन में
सदा यही..........कि
उदासी का एक लम्हा ही
उदास कर जाएगा उसे भी,
जो है दिल के आसपास
अपनी याद के सहारे,
एक मीठे अहसास के सहारे।
पर..........इस मीठे अहसास के पीछे भी
एक दर्द है छिपा,
वह.........
बहुत पास होकर भी
बहुत दूर है अभी,
आंखों के सामने है फ़िर भी
हाथों की पहुँच से दूर है अभी।
आवाज़ उसकी, दिल तक हमारे पहुँचती है,
हवा में उड़-उड़ कर
उसकी खुशबू फैलती है।
अहसास के सहारे वह
रहता है आसपास
पर......
हकीकत में बहुत दूर है अभी।
लेकिन यही क्या कम है कि
यादों के सहारे ही सही,
अहसास के सहारे ही सही,
हवा में फैलती खुशबू के रूप में ही सही,
कोई है तो हमारा अपना
जो........
दूर होकर भी बहुत,
दिल के करीब है बहुत।


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इस ब्लॉग की 1400वीं पोस्ट 

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