अनाज बैंक, उरई के लिए हर्ष का विषय था कि उसके सफल सञ्चालन को देखते हुए अनाज बैंक के संरक्षक इन्द्रेश जी ने इसका औपचारिक शुभारम्भ करने का प्रस्ताव स्वीकार किया.
ये भी सुअवसर था कि अनाज बैंक के उदघाटन के तुरंत बाद ईद-उल-जुहा का पर्व था साथ ही रक्षाबंधन और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व था. अनाज बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय उरई द्वारा निश्चय किया गया कि इस धार्मिक अवसर पर पांच किलो अनाज/आटा के साथ-साथ एक किलो चीनी, चावल और एक वस्त्र भी प्रदान क्या जाये, ताकि सभी महिलाएं अपना पर्व हँसी-ख़ुशी के साथ-साथ मिष्ठान के साथ संपन्न कर सकें. सभी महिलाओं को पाँच किलो आटा के साथ चीनी, चावल और एक साड़ी प्रदान की गई.
दोनों धर्मों के त्यौहार संपन्न होने के बाद अनाज बैंक, क्षेत्रीय कार्यालय, उरई की टीम ने अपने-अपने स्तर पर कुछ लाभार्थी महिलाओं से संपर्क किया. उनकी ख़ुशी को शब्दों में बयान करना मुश्किल है. विगत कई वर्षों के बाद उनके जीवन में पहली बार ये अवसर आया कि उनको मुँह मीठा करने-करवाने के लिए किसी और का मुँह नहीं ताकना पड़ा. खुद के लिए नए वस्त्र के लिए किसी और के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़ा. यही वह ख़ुशी थी जिसके चलते अनाज बैंक टीम को लगा कि उनका प्रयास सार्थक रहा. इस मौके पर बनारस की केन्द्रीय टीम भले ही साथ न थी मगर उनके प्रयासों, उनकी ख़ुशी को समझा जा सकता है.
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