प्रेम-संगीत मिल के सजाएँ प्रिये,
अधरों की बांसुरी अधरों पर धरो.
मन-मुदित श्याम-रंग में रँग जायेगा,
राधा सी, मीरा सी बस दीवानी
बनो.
बनकर आओ गुलाबी भोर महकती,
या ठहर जाओ बनकर शाम बहकती,
मेरे दिन-रात तुमसे ही रोशन रहें,
आँचल तारों का ले चाँदनी सी सजो.
गीत मेरे मगर कोई स्वर ही नहीं,
न ही संगीत है कोई लय भी नहीं,
शांत झील में हलचल मचाने को अब,
मेरे जीवन में तुम इक लहर सी बहो.
दूर सागर से मिलना है तुमको अगर,
तोड़ अवरोध सारे बनाओ डगर,
रात अंधियारी काली भी कट जाएगी,
जुगनुओं की तरह तुम जगमग जलो.
बांसुरी की धुन पर सब मगन रहें,
सुर सजें असुर मिटें सब प्रसन्न रहें.
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श्रीकृष्ण जन्मोत्सव शुभ हो
03-09-2018
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