16 सितंबर 2018

तुमको न भूल पाएंगे


सितम्बर माह ख़ुशी और दुःख का मिश्रित भाव लेकर आता है. एक तरफ जहाँ जन्मदिन की खुशियाँ होती हैं वहीं पुण्यतिथियों के आँसू भी होते हैं. खुशियों के पल हमेशा हँसाते हैं मगर उनके ऊपर दुःख के पल हावी हो जाते हैं और आँसू आ ही जाते हैं. ऐसे पल उस समय और भी कष्टकारी होते हैं जबकि आँसू देने वाला व्यक्ति युवा हो. जिस उम्र में उसे दुनिया भर के सपने सजाना हों, खुद अपनी दुनिया बसानी हो वह दूसरी दुनिया को चला जाये.


परिवार के उस युवा, ऊर्जावान, सक्रिय सदस्य से बहुत लम्बा साथ न हुआ. परिचय था मगर नाम के रूप में, परिवार में सुनाई जाती बातों के रूप में. उस हमउम्र युवा से पहली बार तब मिलना हुआ जबकि हम दोनों की आँखों में भविष्य के सपने थे. अपने-अपने कैरियर के प्रति एक सोच थी. चंद दिनों का साथ हुआ. ये तो नहीं कहा जा सकता कि बहुत गहरी दोस्ती हो गई मगर ये था कि कुछ ऐसा अवश्य था कि आपसी सोच, विचाराभिव्यक्ति एकसमान समझ आई. कैरियर के जिस रास्ते को हम दोनों ने चुना उसमें हमारे उस मित्र को सफलता मिली और हम मंजिल की चाह में आगे ही चलते रहे. आगे बढ़ने की स्थिति यह रही कि हम तो जमीन पर ही अपनी मंजिल तलाशते रहे और उसने आसमान को अपनी गिरफ्त में ले लिया. अपनी मंजिल की चाह के बीच हम सड़कों पर वाहन दौड़कर रफ़्तार पर अपनी बादशाहत कायम करने का सपना संजो रहे होते, वह ध्वनि की रफ़्तार को पीछे छोड़ता हुआ आसमान को भेदने में लगा होता. 


इस बीच अत्यंत संक्षिप्त सा पत्राचार आपस में हुआ. कोई औपचारिकता नहीं, कोई दिखावा नहीं. बस शब्दों ने शब्दों के द्वारा दिल के तारों को और मजबूत करना चाहा. हँसी-ख़ुशी वाले मिलते समाचारों के बीच ऐसा समाचार भी सुनाई दिया, जिस पर किसी ने पहली बार में विश्वास नहीं किया. बादलों को, आसमानों को चीरता युवा आसमानों के पार निकलने की आकुलता लिए सबको अकेला छोड़ गया. कभी उसके जिस मिग को आसमानों को हरा देने की खबर सुनकर प्रसन्नता होती थी, आज उसी मिग पर आक्रोश आ रहा था. आक्रोश आँसुओं में बदल गया. मिग किसी दुखद खबर देने के लिए उड़कर आया. चंद दिनों की मुलाकात में साथ दौड़ता साथी अब ख़ामोशी से चिरनिद्रा में था. सबकी आँखों में आँसू, सबके शब्दों में दिलासा, सबके हाथ एक-दूसरे को सहारा देने के लिए उठते. अपनी-अपनी आँखों के आँसुओं को अपने में पीते हुए दूसरे की आँखों की नमी को पोंछने की कोशिश करते. सबकुछ देखते-जानते-समझते हुए अंततः बस यादें लेकर हम सब वापस लौट आये.

राजी आज भी यादों का हिस्सा है. राजी आज भी अपने लिए एक पत्र में दिखाई देता है. राजी आज भी आसमान में उड़ते मिग के रूप में परिलक्षित होता है. सभी जगह होने के बाद भी वह सामने नहीं है. ये महज एक एहसास है, जो दिल में है, दिमाग में है, मन में है, यादों में है. सच यही है कि राजी! तुमको न भूल पाएंगे.

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