आज विश्व फोटोग्राफी
दिवस है. ऐसा माना जाता है कि सन 1839 में सबसे पहले में फ्रांसीसी वैज्ञानिक लुईस जेकस तथा
मेंडे डाग्युरे ने फोटो तत्व को खोजने का दावा किया था. फोटोग्राफी की आधिकारिक शुरुआत
लगभग 180 वर्ष पहले, वर्ष 1839 में हुई थी. फ्रांस सरकार ने 19 अगस्त, 1839 को इस आविष्कार को मान्यता दी थी, इसलिए 19 अगस्त को अब विश्व फोटोग्राफी दिवस के रूप में मनाया जाता है. फोटोग्राफी के
आने से लोगों में एक-दूसरे को जानने की
भावना का विकास तो हुआ ही, साथ ही अपनी संस्कृति-सभ्यता को संरक्षित रखने की भावना
भी बढ़ी. फोटोग्राफी ने घुमक्कड़ी करने वालों को भी लाभान्वित किया और उन्हें भी
लाभान्वित किया जो घर बैठे ही घुमक्कड़ जिज्ञासा को पूरा करना चाहते हैं.
किसी समय में
फोटोग्राफी भले ही कठिन और जटिल शौक में शामिल माना जाता हो मगर आज जबसे मोबाइल
सबके हाथ आया है, फोटोग्राफी सहज-सरल हो गई है. तकनीकी, कौशल, ज्ञान आदि की
क्लिष्टता से बचने वाला व्यक्ति मोबाइल की सुविधा के चलते आसानी से फोटोग्राफी के
शौक को पूरा करने में लगा है. राह चलते, सफ़र में, बस में, ट्रेन में, हवाई यात्रा
में, नदी में, समुद्र में, पहाड़ों पर, मैदान में, बाग़ में, सुनसान में, रेगिस्तान
में, हरियाली में, ऑफिस में, बाजार में, कार्यक्रमों में, बारिश में, धूप में,
जाड़े में, गर्मी में कहाँ-कहाँ गिनाया जाये, ऐसा कोई क्षेत्र बचा नहीं जहाँ इन्सान
अब फोटोग्राफी करता नहीं दिखता है.
फोटोग्राफी के सम्बन्ध
में, अच्छी फोटो के संबंध में उच्च कोटि के फोटोग्राफर्स के भी अपने-अपने विचार
हैं. कोई फोटो अच्छी क्यों होती है, उस फोटो में अच्छा क्या होता है, इस सम्बन्ध
में प्रख्यात चित्रकार प्रभु जोशी का कहना है कि हमें फोटो के लिए उसके फ्रेम में क्या
लेना है, इससे
ज्यादा इस बात का ज्ञान जरूरी है कि हमें क्या-क्या छोड़ना है. देश के सर्वश्रेष्ठ फोटोग्राफर
में शामिल माने जाने वाले रघुराय का कहना है कि वे कोई भी फोटो खींचने के लिए पहले
से उसकी कोई तैयारी नहीं करते. उनका कहना है कि वे किसी भी फोटो को उसके वास्तविक रूप
में ही लेना पसंद करते हैं. देखा जाये तो कोई भी फोटो कितना भी अच्छी तरह से क्यों
न क्लिक किया गया हो, उसमें तकनीकी पक्ष कितना भी सबल क्यों न हो मगर उसे तब तक बेहतर
नहीं माना जाना चाहिए जब तक कि उसमें कोई विचार न दिखाई दे. एक अच्छा चित्र उसी को
माना जाना चाहिए जो मानवीय संवेदनाओं को जगाकर झकझोर दे. सामान्य शब्दों में कहा
जाये तो एक चित्र हजार शब्दों के बराबर होना चाहिए, जो बिना किसी शब्द के सबकुछ कह
दे.
आज आपको अपनी कुछ
फोटो से, जो मोबाइल से निकाली हैं, आपका परिचय कराते हैं. अच्छी हैं या नहीं, ये
आप विचार करियेगा. हमने बस खींच लीं, अपनी समझ से.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें