16 मार्च 2018

तस्वीरों के सहारे याद करते हुए

प्रत्येक व्यक्ति के साथ कुछ न कुछ गुण विरासतन मिलते हैं. हमारे भीतर भी विरासत में तमाम गुण (अवगुण भी, पर अवगुणों की चर्चा फिर कभी) मिले हैं. ऐसे ही गुणों में एक गुण फोटोग्राफी का पिताजी से मिला है. हम कक्षा आठ में थे, लगभग ११-१२ साल के तब कैमरा मिल गया था और तभी से लगातार हाथ साफ़ करते रहे हैं. 

आज, १६ मार्च, पिताजी की पुण्यतिथि है, सो बजाय कुछ कहने के पिताजी के द्वारा खींची गई कुछ तस्वीरों को आपके सामने ला रहे हैं. इन फोटो को उनके एलबम में से निकाला है, अपने मोबाइल कैमरे की मदद से. संभव है कि उतनी स्पष्ट न दिखाई दें, जितनी कि वास्तविक में हैं. स्केन किसी और दिन करके लगा देंगे, दोबारा. 

लखनऊ वाली फोटो, पिताजी के उनके वहाँ विश्वविद्यालय में अध्ययन के समय (१९६५-६६ के आसपास) की हैं.


लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ 

विधानसभा भवन, उत्तर प्रदेश, लखनऊ 

चारबाग रेलवे स्टेशन, लखनऊ

जी० पी० ओ०, लखनऊ 

छोटा इमामबाड़ा, लखनऊ 

बड़ा इमामबाड़ा, लखनऊ 

इमामबाड़ा, ऊपरी दृश्य, लखनऊ

किंग जोर्ज मेडिकल कॉलेज, लखनऊ 

किंग जोर्ज मेडिकल कॉलेज, लखनऊ 

आई० टी० कॉलेज, लखनऊ 

छतर मंजिल 

ला मार्टिनियर 

खजुराहो मंदिर, खजुराहो 

खजुराहो मंदिर, खजुराहो 

खजुराहो मंदिर, खजुराहो 

खजुराहो मंदिर, खजुराहो 
और ये फोटो आप देखिये. ये पिताजी के एक मित्र हैं और तस्वीर में दिख रही मैडम वास्तविकता में उनके साथ नहीं हैं. वे मैडम कैलेण्डर में छपी हुई हैं. 



ये कुछ फोटो हमारे पिताजी की, उसी समय की हैं. सबसे नीचे वाली फोटो एल-एल० बी० की डिग्री लेने के बाद की है.




श्री महेन्द्र सिंह सेंगर, उरई (जालौन)

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